सोमवार, जनवरी 27, 2014

दिल्ली में सरकार और कांग्रेस के बीच बढ़ रहा है टकराव

नई दिल्ली। सूबे की अरविंद केजरीवाल सरकार और इसको समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी में टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे संकेत हैं कि मुख्यमंत्री केजरीवाल पिछली शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करा सकते हैं। समझा जा रहा है कि सरकार के इस संभावित कदम से कांग्रेसी खेमे में भारी नाराजगी है। पार्टी का एक खेमा सरकार से समर्थन वापसी का दबाव लगातार बढ़ा रहा है।
कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो पार्टी ने केजरीवाल सरकार को बिजली की कीमतें कम करने के मुद्दे पर तो समर्थन दिया है लेकिन उसने सब्सिडी देने के पक्ष में आम आदमी पार्टी की सरकार को समर्थन नहीं दिया। ऐसे में यह मुद्दा दोनों दलों के बीच प्रत्यक्ष विवाद की बड़ी वजह बन सकता है। सरकार ने 400 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमतों में पहली जनवरी से ही 50 फीसद की कटौती कर दी। सूबे की सरकार जनलोकपाल बिल तैयार कर चुकी है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस सप्ताह होने वाली दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी जाएगी। इसके बाद रामलीला मैदान में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस बिल को मंजूरी दी जाएगी। कांग्रेस इस पक्ष में नहीं है कि परंपराओं के खिलाफ विधानसभा की बैठक रामलीला मैदान में बुलाई जाए। सूत्रों की मानें तो असली टकराव पिछली सरकार के खिलाफ केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू कराई जाने वाली जांच को लेकर होने के आसार हैं। प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेसी नेताओं का यही कहना है कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार क्या जांच कराने वाली है। क्योंकि उनकी सरकार ने कुछ गलत किया ही नहीं है। इसके पीछे यह भी दलील दी जा रही है कि जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को राष्ट्रमंडल खेलों के मामले में कुछ हासिल नहीं हुआ तो भला इस सरकार को क्या मिलेगा। लेकिन इतना जरूर है कि तरह-तरह की जांच शुरू किए जाने से कांग्रेस की छवि पर आंच जरूर आएगी। विशेषकर, लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस में इस मुद्दे पर चिंता जरूर है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली बार-बार यह कह रहे हैं कि यदि सरकार जनहित से जुड़े काम करती रहेगी तो कांग्रेस उसे पूरे पांच साल भी समर्थन दे सकती है। लेकिन दोनों पक्ष के बीच बढ़ते टकराव के मद्देनजर ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद कोई बड़ा फैसला कर सकती है।

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