गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे , ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं. यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है और इसका पालन पाश्कल ट्रीडम के अंश के तौर पर किया जाता है और यह अक्सर यहूदियों के पासोवर के साथ पड़ता है.
सन्हेद्रिन ट्रायल ऑफ जेसुस के आध्यात्मिक विवरणों के अनुसार यीशू का क्रुसिफिकेशन संभवतः किसी शुक्रवार को किया गया था. दो भिन्न वर्गों के अनुसार गुड फ्राइडे का अनुमानित वर्ष । एडी 33 है, जबकि आइजक न्यूटन ने बाइबिल और जूलियन कैलेंडर के बीच के अन्तर और चांद के आकार के आधार पर गणना की है कि वह वर्ष मूलत: एडी 34 है। द जुडास किस गुस्तेव डोर द्वारा, 1866.सुसमाचार के अनुसार, यीशू को मंदिर के प्रहरियों ने गेथ्सेमाने गार्डन में उनके शिष्य यहूदा इस्करियोती की अगुवाई में गिरफ्तार किया। यहूदा ने (चांदी के 30 टुकड़ों) के बदले यीशू से विश्वासघात किया और मंदिर के प्रहरियों से कहा कि वह जिसे चुम्बन लेगा उसे ही उन्हें गिरफ्तार करना है. यीशू को गिरफ्तार कर अन्नास के घर लाया गया, जो तत्कालीन उच्च पुरोहित का इयाफस का ससुर था वहाँ उनसे पूछताछ की गयी किन्तु उसका कोई खास नतीजा नहीं निकला जिसके बाद उन्हें उच्च पुरोहित काइयाफस के पास भेज दिया गया, जहां सैन्हेद्रिन इकट्ठे थे।
कई गवाहों ने यीशू के खिलाफ विरोधाभासी बयान दिये जिसका यीशू ने कुछ भी जवाब नहीं दिया.अंत में उच्च पुरोहित ने यीशू को कहा कि वह पवित्र शपथ लेकर उत्तर देने का आदेश देते हुए कहा - मैं, तुम्हें ईश्वर के नाम का वास्ता देकर तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम हमें बताओं कि क्या तुम्ही एकमात्र अभिषिक्त व्यक्ति, परमेश्वर के पुत्र हो? यीशू ने सकारात्मक उत्तर देते हुए कहा कि ष्तुमने कहा है और समय आने पर तुम देखोगे कि स्वर्ग के बादलों के बीच मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठा है। उच्च पुरोहित ने यीशू को ईश्वर की निंदा का दोषी ठहराया और सर्व सम्मति से यीशू के मामले में सैन्हेद्रिन की सुनवाई में यीशू को मौत की सजा सुनायी। पीटर ने भी पूछताछ के दौरान यीशू को पहचानने से तीन बार इनकार किया। यीशू पहले से ही जानते थे कि पीटर उन्हें तीन बार पहचानने से इनकार करेगा। उनकी दोनों सुनवाइयों के सम्बंध में यीशू की सैन्हेद्रिन सुनवाई का लेख देखें, जिनमें से एक रात में हुई थी तथा दूसरी सुबह, और इस तरह समय के अन्तर के कारण गुड फ्राइडे का दिन प्रभावित होता है।
क्रॉस के ढंग दर्शाते हुए भारतीय रोमन कैथोलिक द्वारा बॉम्बे में गुड फ्राइडे का एक जूलूस सुबह पूरी परिषद यीशू को साथ लेकर रोमन राज्यपाल पोंटीयस पायलट के पास पहुंची। उन पर आरोप लगाये गये कि वह देशद्रोही हैं, उन्होंने सीजर के करों का विरोध किया है और स्वयं को राजा घोषित किया है पायलट ने यहूदी नेताओं को यह जिम्मेदारी दी कि वे यीशू को अपने कानून के अनुसार फांसी दें किन्तु यहूदी नेताओं ने कहा कि रोमन लोगों ने उन्हें प्राणदंड देने की अनुमति नहीं दी। पायलट ने यीशू से पूछताछ की और सभा से कहा कि यीशू को सजा देने का कोई आधार नहीं है. यह जानकर कि यीशू गैलिली के निवासी हैं पायलट ने इस मामले को गैलिली के राजा हेरोड को सौंपा, जो यरूशलेम में पासोवर की दावत के लिए गये थे। हेरोड ने यीशू से सवाल किये पर उसे कोई जवाब नहीं मिलाय हेरोड ने यीशू को पायलट के पास वापस भेज दिया. पायलट ने सभा से कहा कि न तो उसने और न ही हेरोड ने यीशू में कोई दोष पाया हैय पायलट ने निश्चय किया की यीशू को कोड़े मारकर रिहा कर दिया जाये।
रोम में पासओभर के भोज के दौरान यह प्रथा थी कि यहूदियों के अनुरोध पर एक कैदी को रिहा कर दिया जाता था । पायलट ने लोगों से पूछा कि वे किसको रिहा करना चाहते हैं.मुख्य पुरोहित के निर्देश पर लोगों ने कहा कि वे बराब्बस को रिहा करना चाहते हैं, जो एक विद्रोह के दौरान हत्या के जुर्म जेल में है. पायलट ने पूछा कि वे यीशू के साथ किस प्रकार का सलूक चाहेंगे, और उन लोगों ने मांग की, उसे सूली पर लटका दो। पायलट की पत्नी ने उसी दिन यीशू को सपने में देखा था, उसने पायलट को आगाह कर दिया कि इस धार्मिक व्यक्ति के साथ कोई सरोकार न रखे। पायलट ने यीशू को कोड़े मरवाए और भीड़ के सामने ला कर उसे रिहा कर दिया । मुख्य पुरोहित ने पायलट को एक नये आरोप की जानकारी दी कि यीशू स्वयं को परमेश्वर का पुत्र होने का दावा करता है इसलिए उसे मौत की सजा सुनायी जाये। इससे पायलट भयभीत हो जाता है और यीशू को वापस महल के अन्दर ले जाता है तथा उनसे जानना चाहता है कि वह कहां से आये हैं। 19 वीं सदी,यीशू और पोंटीयस पिलेट सहित एक्के होमो के एंटोनियो सिसेरी के चित्रण .भीड़ के सामने आखिरी बार आकर, पायलट यीशू के निर्दोष होने की घोषणा की और यह दिखाने के लिए कि इस दंडविधान में उसकी कोई भूमिका नहीं है, पानी से अपने हाथ धोये. आखिरकार, पायलट ने दंगे से बचने के लिए यीशू को सूली पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया। दंडादेश में लिखा था नासरत का यीशू, यहूदियों का राजा. सायरीन के साइमन की सहायता से यीशू अपनी सूली को स्वयं ढोते हुए बधस्थल तक ले गये, जहां उन्हें सूली पर चढ़ाया गया, उस स्थान को हिब्रु में कपाल का स्थान या गोलगोथा और लैटिन में कैलवरी कहते हैं। वहाँ उन्हें दो अपराधियों के साथ सूली पर चढ़ाया गया।यीशू छह घंटे तक सूली पर यातना सहते रहे. सूली पर लटकाये रखे जाने के आखिरी तीन घंटों के दौरान दोपहर से अपराह्न 3 बजे तक पूरे देश में अंधेरा छाया रहा । एक जोरदार चीख के बाद यीशू ने अपने प्राण त्याग दिये.उसी समय एक भूकंप आया, कब्रें टूट कर खुल गयीं और इस मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट गया.सूली पर लटकाये जाने के स्थल पर उपस्थित एक रोमन सैनिक ने घोषणा की कि सचमुच यह भगवान का बेटा था ! सैन्हेद्रिन का एक सदस्य अरिमेठिया का जोसफ यीशू का एक गुप्त शिष्य था, जिसने यीशू को यह दंडादेश देने की सहमति नहीं दी थी, पायलट के पास गया और उसने यीशू का शव मांगा । यीशू के एक अन्य गुप्त अनुयायी और निकोदेमुस नाम के सैन्हेद्रिन के सदस्य ने एक सौ पौंड वजन का मसाले का मिश्रण लाया और मसीह के शरीर को कपड़े में लपेटने में सहायता की। .पायलट ने सूबेदार से कहा कि वह इस बात की पुष्टि कर ले कि यीशू मर चुके हैं। एक सिपाही ने यीशू के शरीर पर भाले से वार किया जिसमें से खून और पानी बाहर निकला। उसके बाद सूबेदार ने पायलट से इस बात की पुष्टि कर दी कि यीशू मर चुके हैं।
अरिमेठिया के जोसफ ने यीशू के शरीर को एक साफ मखमल के कफन में लपेट कर सूली पर चढ़ाये जाने के पास स्थित एक बगीचे में एक चट्टान को खोद कर बनायी गयी उनकी नयी कब्र में दफना दिया। निकोदेमस भी 75 पाउंड का लोहबान और एक दस्तावर औषधि के साथ पहुंचा था और दफन करने के यहूदी नियमों के अनुसार उसने यीशू के कफन के साथ उन्हें रख दिया। उन्होंने कब्र के प्रवेश द्वार पर एक विशाल पत्थर रखकर उसे बंद कर दिया । उसके बाद वे घर लौटे और विश्राम किया क्योंकि सूर्यास्त के बाद सब्बाथ शुरू हो गया। तीसरे दिन, रविवार को, जो अब ईस्टर रविवार (या पश्चा) के रूप में जाना जाता है, मृत यीशू जी उठे।.
रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन (हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले मछली खायी जाती है) और दो कलेवा (एक अल्पाहार,जिसकी दोगुनी मात्रा भी एक पूर्ण भोजन के बराबर नहीं होती) लिया जाता है। जिन देशों में गुड फ्राइडे का दिन अवकाश का दिन नहीं होता, वहां अपराह्न 3 बजे के बाद आमतौर पर कुछ घंटों के लिए कामकाज बंद कर दिया जाता है।
रोमन रीति के अनुसार सामान्यतः पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये बशर्ते किसी धर्मसंबंधी गंभीर मामले में या किसी मातम सम्बंधी मसले पर वैटिकन या स्थानीय बिशप द्वारा विशेष छूट न प्रदान की गयी हो अथवा बप्तिस्म (जिनको मौत का खतरा हो) हो रहा हो, प्रायश्चित कर रहे हो या मौत से जूझ रहा हो। प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल पस्सिओं ऑफ द लोर्ड के सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है किन्तु जो बीमारी के कारण इस सर्विस में भाग नहीं ले पाते, वे बाद में किसी भी समय ग्रहण कर सकते हंै।पूजा वेदी पूरी तरह से खाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता। प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में जल का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र खाली किये जाते हैं । ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ्राइडे अथवा पवित्र शनिवार को घंटियाँ नहीं बजाने की परम्परा है।
सलीम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें