शुक्रवार, जनवरी 17, 2014

क्या है कांग्रेस का संकट, कौन बनेगा खेवनहार?

नई दिल्ली। पिछले दिनों पांच विधानसभा चुनावों में से चार राज्यों में कांग्रेस को करारी हार, संप्रग सरकार की दागी छवि, आर्थिक मंदी, महंगाई, नीतिगत पंगुता के मसले पर उठ रहे सवालों के बीच ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी [एआइसीसी] की बैठक शुक्रवार को होने जा रही है। नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव और अरविंद केजरीवाल के उदय ने कांग्रेस के संकट को गहरा किया है। राजनीतिक विश्लेषक कयास लगा रहे हैं कि अप्रैल-मई में होने जा रहे चुनाव मे पार्टी का प्रदर्शन 1999 के चुनाव से भी बदतर हो सकता है। उस चुनाव में पार्टी को महज 114 सीटें मिली थीं और यह उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। अतुल चतुर्वेदी की एक नजर ..
खराब प्रदर्शन
- 140 सीटें : 1996 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार, घोटालों और कुशासन के आरोपों से घिरी प्रधानमंत्री नरसिंह राव [1991-96] के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता से बाहर हो गई और पार्टी को 140 सीटें मिलीं।
- 141 सीटें : सत्ता में आई एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा [1996-98] सरकार को कांग्रेस ने दो साल समर्थन दिया। उस दौर में कांग्रेस की कमान सीताराम केसरी के हाथों रही। 1998 में हुए मध्यावधि चुनाव में भी पार्टी के खराब प्रदर्शन का सिलसिला बरकरार रहा और उसे 141 सीटों से संतोष करना पड़ा।
- 114 सीटें : पार्टी में असंतोष उपजा और राजनीति से दूर सोनिया गांधी से पार्टी की बागडोर संभालने का आग्रह किया गया। सीताराम केसरी को हटना पड़ा और सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष बनीं। शुरू में इस बदलाव का कोई खास असर नहीं दिखा और कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि में 1999 के आम चुनाव में पार्टी को अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन से गुजरते हुए महज 114 सीटों पर संतोष करना पड़ा। हालांकि पार्टी के नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं हुआ। सोनिया गांधी 1998 से लगातार पार्टी की अध्यक्ष है।
- 154 सीटें : 1975 में लागू आपातकाल की पृष्ठभूमि में हुए 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी सरकार की हार हुई। आजादी के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पहली बार सत्ता से बेदखल होना पड़ा और पार्टी को केवल 154 सीटें मिलीं। जनता पार्टी सत्ता में आई। इंदिरा गांधी और संजय गांधी भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों से हार गए।
बढि़या प्रदर्शन
पार्टी में विभाजन और गैर कांग्रेसी पार्टियों के एक साथ आने के कारण अब तक हुए 14 आम चुनावों में कांग्रेस को पांच बार हार का सामना करना पड़ा है।
- 404 सीटें : 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि में हुए चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला और पार्टी को 404 सीटें मिलीं।
- 353 सीटें : जनता पार्टी सरकार के पतन के बाद 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार तरीके से वापसी करते हुए 353 सीटें मिलीं।
कांग्रेस के कर्णधार - राहुल गांधी शिक्षा :
- दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफेंस कॉलेज में 1989 में स्नातक की प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के बाद पढ़ाई के लिए विदेश चले गए। सुरक्षा कारणों से वहां छद्म नाम राउल विंसी रखा। केवल सुरक्षा एजेंसियों और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को ही उनके बारे में पता था।
- 2002 में भारत लौटने से पहले लंदन की एक वित्तीय सलाहकार कंपनी मे काम किया।
रुचि :
- इतिहास और जन नीतियों से जुड़ी किताबों के शौकीन
- उनके किसी भाषण के कम से कम दस ड्राफ्ट तैयार होते हैं। अंतिम समय तक सलाह मशविरा कर वह उसमें बदलाव करते रहते हैं।
- मुख्यमंत्रियों, राज्य कांग्रेस प्रमुखों के प्रदर्शन की तिमाही, छमाही और वार्षिक समीक्षा करते हुए उनसे भविष्य की योजनाएं मांगते हें।
- साल के कुछ महीने दाढ़ी में दिखते हैं। विदेश प्रवास के दौरान सुरक्षा कारणों से ऐसा करने के कारण अब आदत में शुमार।
- जल्दी सोने और जागने के शौकीन। दिन की शुरुआत योगा और ध्यान लगाने से करते हैं।
- कबाब बिरयानी, आइसक्रीम, डाइट कोक और चॉकलेट खाने के शौकीन हैं।
- बराक ओबामा की तरह ब्लैकबेरी मोबाइल रखते हैं।
- इंटरनेट, संगीत, शतरंज खेलने में भी उनकी रुचि है।
निजी जीवन :
2004 में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी गर्लफ्रेंड का नाम जुआनिटा नहीं वेरोनीक है। वह वेनेजुएला या कोलंबिया की नहीं बल्कि स्पेन ही रहने वाली है। वह पेशे से आर्किटेक्ट है। फिलहाल अविवाहित हैं।

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