शनिवार, जनवरी 18, 2014

कमरा नंबर 345 की कहानी, थरूर के निजी सचिव की जुबानी.


नई दिल्ली। शुक्रवार की रात करीब साढ़े आठ बजे जब शशि थरूर होटल लीला पहुंचे तो कमरा नंबर 345 का दरवाजा भिड़ा हुआ था, जो उनके नाम पर बुक था। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा तो सुनंदा को बिस्तर पर बेसुध पाया। यह बातें होटल लीला के बाहर तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर के निजी सचिव अभिनव ने बताई।
अभिनव ने पूरी घटना की जानकारी देते हुए कहा कि थरूर दंपति अपने बंगले 97, लोधी एस्टेट में चल रहे रंगाई-पुताई के काम और सुनंदा की तबीयत ठीक न होने के कारण बृहस्पतिवार को होटल लीला में ठहरने आए थे। शुक्रवार सुबह शशि थरूर कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेने होटल से निकल गए थे। अधिवेशन के बाद एक अन्य कार्यक्रम से लौटकर रात करीब साढ़े आठ बजे थरूर होटल पहुंचे तो सुनंदा के कमरे का दरवाजा भिड़ा हुआ था।
उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा तो सुनंदा को बिस्तर पर बेसुध पाया। इस पर थरूर ने समीप (चाणक्यपुरी) में रहने वाले अभिनव को मौके पर बुलाया। बताया जा रहा है कि थरूर ने होटल प्रबंधन को भी मामले की सूचना दी, जिस पर होटल में मौजूद इमरजेंसी डॉक्टर भी कमरे में पहुंच गए। जांच के बाद उन्होंने सुनंदा की मौत की पुष्टि की।
अभिनव के अनुसार, 52 वर्षीय सुनंदा का शव रजाई के अंदर अकड़ा पड़ा था। वे नाइटी पहनी हुई थी। शव पर किसी तरह की चोट के निशान या संघर्ष के संकेत नहीं दिखाई दिए। अभिनव ने करीब नौ बजे मामले की सूचना सरोजनी नगर थाने के एसएचओ को दी। करीब सवा नौ बजे पुलिस मौके पर पहुंच गई। घटना का पता लगने पर संयुक्त पुलिस आयुक्त विवेक गोगिया, दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त बीएस जायसवाल और अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुशवाहा भी मौके पर पहुंचे।

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