सोमवार, मार्च 10, 2014

कांग्रेस ने दिया टिकट, अगले ही दिन भाजपा के हो गए भागीरथ प्रसाद


भोपाल. लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। एक दिन पहले जिन डॉ. भागीरथ प्रसाद को कांग्रेस ने भिंड संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित किया था, दूसरे दिन वही प्रसाद भाजपा के खेमे में चले गए। रविवार को हुए इस सियासी घटनाक्रम में प्रदेश सरकार के संसदीय कार्यमंत्री व प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने प्रमुख भूमिका निभाई। 
शनिवार की शाम को जब टिकट घोषित हुआ, भागीरथ नरोत्तम के घर पर बैठे थे और पिछले चार दिन से संपर्क में थे। पार्टी दफ्तर में प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भाजपा की सदस्यता दिलाई।
इस दल-बदल से साफ है कि भिंड से भाजपा सांसद अशोक अर्गल का टिकट काटकर डॉ. प्रसाद को भाजपा अब मैदान में उतारेगी।
अर्गल धौलपुर (राजस्थान) से लड़ सकते हैं
भिंड से मौजूदा भाजपा सांसद अशोक अर्गल राजस्थान की धौलपुर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। रविवार को भागीरथ के भाजपा में शामिल होने के बाद राजस्थान के प्रभारी डॉ. कप्तान सिंह सोलंकी भी पार्टी दफ्तर पहुंचे। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने इस प्रस्ताव के बारे में अर्गल से बात भी कर ली है। 
इस बीच अर्गल ने भागीरथ के भाजपा में शामिल होने के बाद दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा कि पार्टी में कभी फायदे की बात नहीं सोची। भागीरथ आएं तो पार्टी ने जरूर कुछ सोचा होगा। भाजपा छोडऩे के सवाल पर अर्गल ने कहा कि ऐसा सोच भी नहीं सकता। मेरे बारे में पार्टी फैसला लेगी।
कांग्रेस से जब टिकट घोषित हुआ, नरोत्तम के घर बैठे थे भागीरथ
डॉ. प्रसाद छह माह से भाजपा के संपर्क में थे। दिल्ली में राजनाथ सिंह, अनंत कुमार और अरुण जेटली से भी मिल चुके थे। चार दिन पहले डबरा में नरोत्तम मिश्रा  ने भागीरथ की बात नरेंद्र सिंह तोमर व अरविंद मेनन से कराई। भागीरथ भोपाल आ गए और इन नेताओं से मुलाकात की। 
शनिवार को फोन पर मुख्यमंत्री से भी बात हुई। रविवार को सुबह नरोत्तम के घर पर राज्यमंत्री लालसिंह आर्य, विधायक नरेंद्र कुशवाह व कुछ नेताओं के साथ भागीरथ ने भी नाश्ता किया। इसके बाद सभी मुख्यमंत्री निवास गए। दोपहर 12 बजे के बाद तोमर के साथ भागीरथ पार्टी दफ्तर पहुंचे और सदस्यता ग्रहण की।
- 1975 बैच के आईएएस अफसर। सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में कुलपति भी रहे।
- 2009 में भिंड से कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा, हार गए।
- 1967 में ग्वालियर में एबीवीपी अध्यक्ष भी रहे।
- दिग्विजय के करीबी माने जाते रहे हैं।
यह था भाजपा गेम प्लान
नफा-नुकसान
कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही भागीरथ को पार्टी में लाए जाने की अधिकृत घोषणा की जाए। इससे भाजपा को फायदा होगा और कांग्रेस को देशव्यापी नुकसान होगा।
भिंड की चिंता
अर्गल लगातार पार्टी के भीतर विरोध झेल रहे थे। विस चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री के सामने कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ में नारे लगाए थे। पार्टी को भिंड सीट बचानी थी।
विकल्प नहीं था
पार्टी राज्यमंत्री लालसिंह आर्य के नाम पर विचार कर रही थी। भागीरथ को पार्टी में लाकर भाजपा ने भिंड सीट को मजबूत करने का प्रयास तो किया ही, साथ ही लालसिंह का भी मंत्री पद बच गया।
भागीरथ और भिंड को लेकर उठे सवाल
क्या भाजपा भागीरथ को टिकट देगी ?
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तोमर का कहना है कि भागीरथ को टिकट देने का निर्णय प्रदेश चुनाव समिति लेगी। जहां तक पार्टी की सदस्यता लेने का प्रश्न है, उन्होंने राहुल की बजाए मोदी को चुना। वे पार्टी में आएं हैं।
भिंड से अब कांग्रेस प्रत्याशी कौन ?
कांग्रेस ने पांच नामों का पैनल तैयार किया है। इसमें पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध के बेटे कुबेर बौद्ध और डबरा विधायक इमरती देवी, भांडेर से विधानसभा चुनाव लड़े अरुण भारती, सुनील शेजवार, रूपसिंह जाटव के नाम शामिल हैं।
नाराज राहुल ने पूछा
भाजपा के संपर्क में थे तो टिकट के लिए नाम क्यों भेजा ?
भागीरथ प्रसाद के कांग्रेस छोडऩे से कांग्रेस आलाकमान हैरान है। राहुल गांधी ने इस बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव से जवाब-तलब किया है। उनसे पूछा गया है कि वे जिस व्यक्तिको टिकट देने की अनुशंसा
कर रहे हैं, वह भाजपा के संपर्क में है इसकी सूचना उन्हें क्यों नहीं थी?
दगाबाज हैं : कांग्रेस
भागीरथ ने पैसों के लालच में कांग्रेस को धोखा दिया है। वे दगाबाज हैं।
- अरुण यादव, कांग्रेस अध्यक्ष
क्षमता नहीं समझी
कांग्रेस ने मुझे टिकट तो दिया, लेकिन मेरी क्षमताओं का उपयोग नहीं किया।
- भागीरथ प्रसाद

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