' मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड सर्विस था। एक्टिंग से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। मैं पढ़ाई और स्कूल के कार्यक्रमों में अव्वल आती थी। यहीं से मुझ पर एक्टिंग का जुनून चढ़ा और जब घर से जूते, कंघी, आईना आदि सजने-संवरने के सामान गायब होते, तब सारा बिल मेरे नाम फटता। खैर, सन् 1980 में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ ज्वाइन किया। उससे पहले 15-16 साल की उम्र में बेरी जॉन के साथ थिएटर ज्वाइन किया और मेरे एक्टिंग के गुरु बादल सरकार रहे।
परदे पर मुझे असल पहचान सीरियल ‘करमचंद’ से मिली। इस जासूसी धारावाहिक में पंकज कपूर की असिस्टेंट किटी के रोल में थी। तीन सालों में इसकी कुल 39 कड़ियां प्रसारित हुईं। यह धारावाहिक दर्शकों के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि मेरी मां के घर के बाहर लोग बोलते थे कि यह किटी की मम्मी का घर है। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। ‘कब तक पुकारूं’, ‘दर्पण’, ‘तलाश’, ‘तारा’, ‘राम खिलावन सीएम एंड फेमिली’, ‘कहीं किसी रोज’, ‘घोस्ट बना दोस्त’, ‘काव्यांजलि’, ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’, ‘हाउस वाइफ है सब जानती है’ आदि धारावाहिकों में अभिनय करती चली गई।
साथ ही साथ मेरी व्यस्तता फिल्मों में भी रही। मेरे अभिनय की प्रमुख फिल्में ‘पाठशाला’, ‘दोस्ताना’, ‘खोया खोया चांद’, ‘आजा नचले’, ‘गोलमाल’, ‘रुदाली’, ‘खलनायक’, ‘रक्त चरित्र’, ‘अगली और पगली’ आदि हैं। मुझे ‘कलाश्री’ और नाटक ‘नटी’ के स्क्रिप्ट लेखन के लिए ‘एनएफडीसी’ आदि पुरस्कार भी मिले। परिवार की बात करूं तो 1993 में मेरी शादी राजा बुंदेला जी से हुई। वे एनएसडी में मेरे सीनियर थे।
इन दिनों पति द्वारा स्थापित ‘प्रयास प्रॉडक्शन’ को भी देखती हूं। इसके अलावा फिल्म ‘ले ले मेरी जान’ आने वाली है, जिसमें अनुपम खेर के अपोजिट हूं। ‘अलेक्स हिंदुस्तानी’ और ‘कामसूत्र 3डी’ निर्माणाधीन है पर हॉलीवुड की एक फिल्म ‘सोल्ड’ 7 मार्च को रिलीज होने वाली है। इमोशनल सब्जेक्ट पर एक नॉवेल ‘मी एंड मां’ लिखी है, जो जल्द प्रकाशित होगा।'
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