सोमवार, फ़रवरी 24, 2014

बंगाल को दलित मुख्यमंत्री की दरकार

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति में लंबे समय तकवाम सरकार में भू-राजस्व मंत्री रहे व दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ से वर्तमान माकपा विधायक रज्जाक मोल्ला ने अलग पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं। वामो से मोहभंग होने के बाद उन्होंने कहा कि बंगाल को अब दलित मुख्यमंत्री की दरकार है। वे प्रदेश में दलितों के हितों वाली सरकार बनाने का प्रयास करेंगे। हाल में दर्जन भर से अधिक मुस्लिम व दलित संगठनों को लेकर गठित अपने सामाजिक न्याय मंच के पहले सम्मेलन में उन्होंने अपने राजनीतिक एजेंडे को सामने रखा।
मोल्ला ने कहा कि बंगाल में ब्राह्मण, कायस्थ और वैद्य महज चार फीसद हैं लेकिन आजादी के बाद से ही वे 96 फीसद लोगों पर राज कर रहे हैं। प्रदेश में मुसलमानों और अनुसूचित जाति व ओबीसी, आदिवासियों को अब तक सामाजिक न्याय नहीं मिल सका है। पीसी घोष से लेकर अब तक चार फीसद आबादी वाले 'कोलकाता केंद्रित लोग' ही बंगाल की जनता पर राज करते आए हैं। हालांकि उन्होंने स्वयं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की लेकिन पार्टी बनाने का संकेत जरूर दिया। मोल्ला के पहले सम्मेलन में माकपा के विक्षुब्ध नेता व नंदीग्राम के तमलुक से प्रभावशाली सांसद रहे लक्ष्मण सेठ भी शरीक हुए। लेकिन वे श्रोताओं के बीच बैठे रहे। माकपा की ओर से उन्हें बर्खास्त करने की खबरों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। मोल्ला के मंच को जदयू सांसद और पसमांदा मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष अली अनवर अंसारी ने भी अपना समर्थन दिया है। दक्षिण कोलकाता के रवींद्र सदन में रविवार को आयोजित सम्मेलन में अली अनवर ने कहा कि हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी दलित हैं। सम्मेलन को अन्य दलित नेताओं ने भी संबोधित किया।

कोई टिप्पणी नहीं: