सोमवार, दिसंबर 09, 2013

अब केंद्र की हालत होगी पस्त

नई दिल्ली । दिल्ली समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी का सफाया कांग्रेस के लिए तो सबक है ही, लेकिन केंद्र सरकार पर भी खतरा बढ़ गया है। सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई के बहाने कांग्रेस और केंद्र सरकार से दूरी बनाने में जुटे क्षेत्रीय दलों के लिए इन नतीजों ने उससे पीछा छुड़ाने की राह आसान कर दी है। संकेत साफ हैं कि सरकार समर्थक सपा-बसपा जैसे दल अब कांग्रेस और संप्रग पर हमलावर होंगे।
कांग्रेस की मुश्किल यह है कि घुटन महसूस कर रहे सरकार में शामिल दूसरे दलों के साथ भी आगे निभना मुश्किल लग रहा है। 1केंद्र सरकार को बीते वषरें में कई बार मुसीबत से बचाने वाली समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के मद्देनजर वैसे ही कांग्रेस पर हमले तेज कर दिए हैं। सपा की हालिया कुछ रैलियों में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव समेत पार्टी के दूसरे नेताओं के निशाने पर सबसे ऊपर कांग्रेस ही रही है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लोकसभा चुनाव की लड़ाई (कम से कम उत्तर प्रदेश में) भाजपा और अपने बीच ही रखना चाहती है। लिहाजा, इन नतीजों के बाद पार्टी कांग्रेस और केंद्र की कमियों को सामने लाकर हमले तेज करेगी। तीसरे मोर्चे के गठन के मद्देनजर सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई के बहाने पार्टी वामदलों समेत 13 दलों के साथ पहले ही अलग मोर्चे पर काम कर रही है। ऐसे में ये नतीजे उन्हें एकजुट होने का ज्यादा मजबूत मौका देने वाले हैं।
सूत्र बताते हैं कि चार राज्यों के नतीजों ने बसपा को भी बेचैन किया है। खुद के मामले में उसका प्रदर्शन तो खराब रहा ही, कम से कम दिल्ली में कांग्रेस के सफाए से उसके माथे पर बल पड़ा है। बसपा ने दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस की परोक्ष रूप से मदद की थी, फिर भी वह इतनी बुरी तरह हारी, जिसे कोई सोच नहीं सकता। बताते हैं कि नतीजों ने बसपा का भी मोहभंग किया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव की रोशनी में बसपा भी कांग्रेस के लिए अपना रु ख कड़ा कर सकती है।
इतना ही नहीं, सरकार में शामिल एक क्षेत्रीय पार्टी के प्रमुख नेता ने कहा, 'इस कांग्रेस का अब कुछ भी नहीं हो सकता। कांग्रेस के नये खेवनहार जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उसमें खोने के ज्यादा, पाने के मौके कम हैं। साथी दलों को नये सिरे से सोचना पड़ सकता है'। गौरतलब है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई के लिए माकपा अपने साथ सपा, जदयू, असम गण परिषद, राकांपा समेत कई दलों को लेकर गैर भाजपा-गैर कांग्रेस लड़ाई की जमीन तैयार करने में पहले से ही लगी है

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