सोमवार, अक्तूबर 14, 2013

राहुल फॉर्मूले से कांपी कांग्रेस, बड़े-बड़े सूरमाओं के भी पसीने छूटे

 नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर देखकर अभी से पार्टी के तमाम सांसद डरे हुए हैं। राहुल अपने बनाए फार्मूले पर अमल के लिए अभी जिस तरह बड़े-बड़े सूरमाओं के पसीने छुड़ा रहे हैं, उसे लोकसभा चुनाव की झलक माना जा रहा है।
अनुकंपा के आधार पर टिकट पाने वाले गांधी परिवार के स्वामिभक्त पुरानी परंपरा से डिगने को तैयार नहीं हैं, लेकिन राहुल के फार्मूले को पूरी तरह तोड़ पाने में वे सफल नहीं हो सके हैं। लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में राहुल और सख्ती बरत सकते हैं, इस आशंका में तो एक दर्जन केंद्रीय मंत्रियों के होश भी फाख्ता हैं। कांग्रेस में सिर्फ अनुकंपा या जोड़-तोड़ के आधार पर टिकट का जमाना खत्म होने के सख्त संकेत इन विधानसभा चुनावों से मिल रहे हैं। राहुल ने जयपुर के चिंतन शिविर में संगठन में जगह मिलने और टिकट की वैज्ञानिक व्यवस्था बनाने के जो दावे किए थे, उस पर सख्ती के साथ आगे बढ़ चुके हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली सभी जगहों पर टिकट पाने के लिए राहुल के मानक से पार पाना सबके लिए मुश्किल हो रहा है।
अभी टिकटों की पहली सूची में तो राहुल के मानकों से पूरी तरह अलग जाकर लोग अपने चहेतों को प्रत्याशी नहीं बना सके हैं। साफ-सुथरा रिकार्ड, पिछला प्रदर्शन और मिले वोटों की संख्या जैसे मानदंडों के आधार पर पूरे टिकट तो शायद ही मिल पाएं, मगर पूरी लॉबिंग के बाद भी बड़े-बड़े दिग्गजों को जैसा टका सा जवाब मिला है, उससे तमाम कांग्रेसी कांप गए हैं। किसी को भी टिकट दिलाना अब मुख्यमंत्री तक के लिए संभव नहीं होगा।
राहुल के कड़े रुख ने लोकसभा टिकटों के दावेदारों को और परेशान कर दिया है। राहुल ने सभी सांसदों को अपने क्षेत्र की कम से कम दो सीटें जिताने का लक्ष्य दिया था। पिछली जीत का अंतर या हारे हुए कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या के आधार पर ही उन्हें टिकट मिलेगा। इससे दर्जनभर से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों तक के टिकट खतरे में पड़ गए हैं। मौजूदा सांसदों में भी दर्जनों को टिकट मिलना मुश्किल होगा। लगातार टिकट मिलने के बाद हार रहे उम्मीदवारों का पत्ता कटना तो तय ही है।

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