सोमवार, अक्तूबर 14, 2013

मुजफ्फरनगर में दशहरे पर मुलायम, अखिलेश और आजम का पुतला दहन

लखनऊ। मुजफ्फरनगर में हुए दंगे को लेकर एकपक्षीय कार्रवाई, हिंदुओं के उत्पीड़न और भाजपा विधायकों पर रासुका लगाने के विरोध में मुजफ्फरनगर और बागपत के कई गांवों में रावण, मेघनाद और कुंभकरण की जगह मुलायम, अखिलेश और आजम के पुतले दहनकर काला दशहरा मनाया गया। नंगला मुबारिक गांव में तो बड़ी तादाद में फोर्स की तैनाती के बावजूद महिलाओं ने घोषणा के मुताबिक नारेबाजी की और पुतले दहन किये।
पांच अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा थाने के गांव नंगला मुबारिक की महिलाओं ने उत्पीड़न के खिलाफ मुलायम, अखिलेश व आजम खां के पुतले फूंकने के दौरान घोषणा की थी कि गांव मे काला दशहरा मनाते हुए इस बार बुराई के प्रतीक रावण, मेघनाद व कुंभकरण नहीं बल्कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व दंगों के लिए जिम्मेदार कैबिनेट मंत्री आजम खां के पुतले दहन किये जाएंगे। पुलिस अगले ही दिन से पुतला दहन न करने के लिए हर तरह का दबाव बना रही थी लेकिन महिलाएं अडिग रहीं।
रविवार सुबह इंस्पेक्टर सिखेड़ा ने फोर्स के साथ गांव में गश्त की और ग्राम प्रधान समेत सैकड़ों लोगों के साथ बैठक कर पुतले न जलाने की अपील की। ग्रामीणों के आश्वासन के बावजूद उन्होंने भारी तादाद में फोर्स तैनात कर दी।
करीब तीन बजे दर्जनों महिलाओं ने फोर्स को चकमा देकर तीनों नेताओं के पुतले जला दिए। सरकार के खिलाफ नारेबाजी सुनकर फोर्स दौड़ी लेकिन तब तक तीनों पुतले जल चुके थे।
उधर बागपत केलधवाड़ी गांव में भी विजयादशमी पर्व पर रावण के पुतले की जगह आजम का पुतला जलाया गया। पूरे गांव के लोगों ने एकजुट हो कर कहा, कि आज देश-प्रदेश की सबसे बड़ी बुराई रावण नहीं, बल्कि आजम खां हैं। गांव की एक चौपाल पर जमा लोगों ने कहा कि आजम खां की वजह से ही पश्चिमी यूपी दंगों की आग में झुलसा। इसके बाद भी उन्हीं के इशारे पर प्रशासन की ओर से एक तरफा कार्रवाई की गई। कहा कि आजम खां ने तो रावण को भी पीछे छोड़ दिया। इससे पूर्व लोगों व महिलाओं ने लाठी डंडों व जूतों से पुतले की पिटाई कर भड़ास निकाली।

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