मंगलवार, अक्टूबर 22, 2013

चुनाव से पहले सर्वे महज मनोरंजन: नीतीश कुमार

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षण को मनोरंजन कार्यक्रम और 'पीआर एक्सरसाइज' कहा है। उनके अनुसार यह आधारहीन व औचित्यहीन है। जो जैसा चाहता है, वैसी सर्वे रिपोर्ट आ जाती है। उन्होंने भाजपा नेताओं, खासकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को निशाने पर लिया।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि 'बिहार को विशेष दर्जा के मसले पर वे पूरी तरह भ्रमित हैं।' मुख्यमंत्री, सोमवार को जनता दरबार के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा-'अब तो यही बाकी रह गया है कि उनके घर का खाना भी खराब होगा, तो इल्जाम मुझ पर आएगा।' उनका इशारा विशेषकर भाजपाइयों की तरफ था।
मुख्यमंत्री के मुताबिक सिर्फ चार हजार लोगों के सैंपल सर्वे पर चुनावी निष्कर्ष आ रहा है। हद है। यह चुनाव तक चलेगा। जब परिणाम कुछ और आएगा, तो ये कहेंगे कि वोटिंग मशीन में गड़बड़ी की गई। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। यहां यह सब नहीं चलेगा। 2010 में भी त्रिशंकु संसद की बात कही गई थी। देखिए न, बड़ी मेहरबानी करके एक सर्वे में हमें नौ सीटें दी। उन्हें तो हमें शून्य पर आउट करना चाहिए था। विडंबना है कि वे मेरी विश्वसनीयता बढ़ने की बात कह रहे हैं और सीटें कम दिखा रहे हैं। तो क्या जनता अविश्वसनीय लोगों को वोट देगी? हम इस पर माथापच्ची नहीं करते हैं। जिनको खुश होना है हो, मस्त रहे। उनके अनुसार 'अगर इस पर प्रतिबंध न भी लगे तो हर्ज क्या है?'
मुख्यमंत्री ने हुकांर रैली के बारे में पूछे जाने पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की, पर यह जरूर कहा कि बिहार तो राजनीतिक रैलियों के लिए जाना ही जाता है। हर रोज रैलियां होती हैं, कौन सी खास बात है? हमलोगों ने तो हाल में बिहार के अधिकार के लिए अधिकार रैली की थी। सुशील कुमार मोदी के 'विशेष दर्जा नहीं, बल्कि विशेष पैकेज' वाली बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे 'कम्पलीटली कनफ्यूज हैं। पता नहीं कब क्या बोल देंगे? बारह हजार करोड़ का स्पेशल पैकेज तो ले ही आए हम। हम विशेष राच्य की अपनी लड़ाई लगातार आगे बढ़ाते जा रहे हैं। केंद्र से अपेक्षा है कि रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई शीघ्र करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम अपना अभियान तेज करेंगे।
गठबंधन से अलग होने के बाद वित्त मंत्री पी.चिदंबरम को मैंने सिर्फ एक पत्र लिखा है। इसके पहले जितने भी पत्र विशेष दर्जा वाले आशय के लिखे गए, तब मोदी जी भी सरकार के अंग थे। उनके हर बात का जवाब देना वक्त की बर्बादी है।
एक प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझको तो इस बात पर आश्चर्य है कि मंगनीलाल मंडल, पूर्णमासी राम, कैप्टन जयनारायण निषाद जैसे लोग जदयू में इतने दिन तक कैसे टिक गए? ये लोग तो छह महीना से अधिक कहीं रहते नहीं हैं। ये 'व्याकुल भारत' हैं। उन्होंने साफ किया कि अभी कांग्रेस के साथ गठबंधन हमारा एजेंडा नहीं है। हम अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं।
नीतीश के मुताबिक छपरा के गंडामन धरमासती गांव में मिड डे मील से बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने अपना काम किया है। लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार कांड में पुलिस का जो अनुसंधान है, वह हमारे कार्यकाल के पहले का है। हाईकोर्ट में अपील पर जो सुनवाई होती है उसमें साक्ष्य प्रस्तुत नहीं होता है। अपील कोर्ट में जो फैसला आया है, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात अपर महाधिवक्ता द्वारा कही जा चुकी है।

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