
भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान यरवदा जेल में कैद रहते समय गांधी ने इस चरखे का इस्तेमाल किया था जिसे बाद में अमेरिकी फ्री मेथोडिस्ट मिशनरी रेव्ड फ्लॉयड ए पफर को दे दिया गया था। भारतीय शिक्षा के मार्गदर्शक रहे पफर ने बांस के हल का आविष्कार किया था। औपनिवेशिक भारत में उनके कार्य के लिए पफर को गांधी ने यह चरखा उपहार में दिया था। नीलामी घर मुलोक के विशेषज्ञ रिचर्ड वेस्टवुड ब्रुक्स ने कहा कि गांधी का यह चरखा उनकी बेशकीमती संपत्तिमें से एक होगा। मुलोक में गांधी से जुड़ी 60 से अधिक कलाकृतियों की नीलामी होगी, जिसमें महत्वपूर्ण दस्तावेज, तस्वीरें और पुस्तकें शामिल हैं। इस नीलामी में सिख और मैसूर राजवंश से जुड़ी टीपू सुल्तान की 19वीं सदी की एक पेंटिंग समेत कुछ ऐतिहासिक वस्तुएं भी शामिल होंगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें