सोमवार, अक्तूबर 14, 2013

पेलिन: तूफान से बढ़कर निकले इंतजाम



नई दिल्ली विश्व का सबसे खतरनाक समुद्री तूफान पेलिन आगे बढ़ रहा था। लाखों जानें खतरे में थीं। उत्तराखंड हादसे में हुई कमियों की याद ताजा थी। लेकिन इंसानों ने ऐसे कदम उठाए कि तूफान कहर न बरपा सका। ओडिशा में तूफान आने से पहले करीब 9 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था, जो हाल के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है। वक्त रहते जानें महफूज हुईं और दुनिया भर में, खास तौर पर सोशल मीडिया में इस कोशिश को सलाम किया गया। इन्हें सलाम:-

मौसम विभाग सटीक
इसने 8 अक्टूबर को ही नैशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) को तूफान के ठीक-ठीक रूट और इसकी संभावित तीव्रता की जानकारी दे दी थी। ऐसे में तीन दिनों को वक्त मिला योजना बनाकर अमल के लिए। मौसम विभाग ने मीडिया और दूसरे संचार माध्यमों से लोगों तक हर जरूरी अपडेट पहुंचाया। बीएसएनएल की हाई लेवल टीम को 11 अक्तूबर को भी तैनात कर दिया गया, जिसे नेटवर्क को ठीक रखने की जिम्मेदारी दी गई।
एनडीएमए अलर्ट

एनडीएमए की नैशनल इग्जेक्यूटिव कमिटी पर सारी जरूरी सूचनाओं को संबंधित विभागों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। हर घंटे सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ। ओडिशा में ही खबर आई कि वहां अनाज की कालाबाजारी हो रही है। तुरंत केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को सूचना दी गई और खाद्यान्न जुटाया गया। छोटे-छोटे टुकड़ों में कमांडो दस्ते बनाकर उन्हें हर इलाके में छोड़ा गया। ये कहीं से सूचना मिलने पर मिनटों में पहुंच सकते थे। इन्होंने 500 ऐसे लोगों को बचाया, जो बीच में फंस गए थे।

स्थानीय प्रशासन तत्पर
ओडिशा और आंध्र प्रदेश के प्रशासन को ऐसी विपदा से निपटने का पुराना अनुभव था। ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के अधिकारी एक दूसरे के साथ संपर्क में आए। ओडिशा प्रशासन ने करीब 10 हजार जानें लेने वाले 1999 के सुपर साइक्लोन की तबाही से पूरी सीख ली। कम से कम 50 गांवों से ऐसी सूचना आई कि हजारों लोग घर नहीं छोड़ रहे। एनडीएमए ने कहा, बल प्रयोग करो। स्थानीय प्रशासन ने वही किया और नतीजा यह रहा कि एक दिन में 6 लाख लोग निकले।

फिलहाल हालात
हवा की रफ्तार का सबसे बुरा दौर गुजरा। यह अब 60 किलोमीटर प्रति घंटा है।
मौत की संख्या कम से कम। उड़ीसा में 13, आंध्र प्रदेश में एक मौत की जानकारी।

आगे की मुश्किल
90 लाख लोगों पर असर पड़ा पेलिन के कारण।
2.34 लाख घरों को नुकसान।
विस्थापितों को बसाना चुनौती।
2400 करोड़ रुपये की धान की फसल बर्बाद हो गई।
100 किलोमीटर दूर तक खेतों की उर्वरा शक्ति प्रभावित।
48 घंटों के अंदर बिहार में भारी बारिश के बाद बाढ़ मुमकिन।

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