क्या दूसरे ग्रहों में भी जीवन है? क्या वहाँ भी उसी तरह से लोग रहते हैं जिस तरह से पृथ्वी में रहते हैं? क्या वहाँ भी पृथ्वी की तरह की जीवन परिस्थितियाँ हैं? दूसरे ग्रहों के जीवों (एलियन्स) और उनके कथित यानों को लेकर न केवल बहुत सी विज्ञान कथाएँ लिखी गई हैं और फिल्में बनी हैं, इन सवालों ने वैज्ञानिकों को भी लगातार काम पर लगाए रखा है।.
अब दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने एक ठोस काम किया है. उन्होंने ने एक सूची तैयार की है कि किन ग्रहों और किन चंद्रमाओं पर जीवन होने की संभावना है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि हमारे सौरमंडल के शनि ग्रह का चंद्रमा टाइटन और हमारे सौर मंडल से बाहर का एक ग्रह ‘ग्लीज 581जी’ में जीवन की सबसे अधिक संभावना हो सकती है। ये दोनों पृथ्वी से 20.5 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं. एक प्रकाश वर्ष यानी वह दूरी जो प्रकाश की गति से एक वर्ष में तय की जा सकती है. एक प्रकाश वर्ष में लगभग 10 खरब किलोमीटर होते हैं।
सूची
वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने दूसरे ग्रहों में जीवन की संभावना के लिए दो तरह की सूची तैयार की है.
पृथ्वी से समानता सूचकांक
पृथ्वी - 1.00
ग्लीज 581जी - 8.89
ग्लीज 581डी - 0.74
ग्लीज 581सी - 0.70
मंगल - 0.70
बुध - 0.60
एचडी 69830 - 0.60
55 सीएनसी सी - 0.56
चंद्रमा - 0.56
ग्लीज 581ई - 0.53
एक सूची उन ग्रहों या चंद्रमाओं की है जो पृथ्वी जैसे हैं इसे श्अर्थ सिमिलरिटी इंडेक्स (ईएसआई)श् का नाम दिया गया. दूसरी सूची उनकी जहाँ जीवन पनपने की संभावना दिखती है, इसे ‘प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स (पीएचआई)’ का नाम दिया गया।
वैज्ञानिकों का ये शोध खगोल जीवविज्ञान की एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इस शोधपत्र के सह लेखक, अमरीका की वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉ डिर्क शुल्ज माकश कहते हैं, चूंकि हम अपने अनुभवों से जानते हैं कि पृथ्वी जैसी परिस्थितियाँ हों तो वहाँ जीवन पनप सकता है इसलिए पहला सवाल ये था कि क्या किसी और दुनिया में पृथ्वी जैसी परिस्थितियाँ हैं?
वे कहते हैं, दूसरा सवाल ये था कि किसी और सौरमंडल में क्या कोई ऐसा ग्रह है जहाँ ऐसा मौसम है कि वहाँ किसी और रूप में जीवन पनप सकता है। चाहे उसकी जानकारी हमें हो या न हो। जैसा कि सूचियों के नाम से स्पष्ट है, पहली श्रेणी ईएसआई में उन ग्रहों को रखा गया जो पृथ्वी की तरह हैं. इसमें उनके आकार, घनत्व और अपने मातृ ग्रह से दूरी को ध्यान में रखा गया। जबकि दूसरी सूची यानी पीएचआई में दूसरे पैमाने रखे गए, जैसे कि उस दुनिया का मौसम कैसा है, उसकी सतह चट्टानी है या बर्फीली, वहाँ वायुमंडल है या चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है या नहीं आदि
परिस्थितियाँ
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में इसका भी अध्ययन किया कि किसी ग्रह में जीवों के लिए किसी तरह की ऊर्जा उपलब्ध है।
जीवन पनपने की संभावना सूचकांक
टाइटन - 0.64
मंगल - 0.59
यूरोपा - 0.49
ग्लीज 581जी - 0.45
ग्लीज 581डी - 0.43
ग्लीज 581सी - 0.41
वृहस्पति - 0.37
शनि - 0.37
शुक्र 0.37
एंसेलैडस - 0.35
ये ऊर्जा मातृ ग्रह से रोशनी की तरह भी मिल सकती है या फिर गुरुत्वाकर्षण जैसी कोई शक्ति हो जिसकी वजह से ग्रह या चंद्रमा पर चीजों के परस्पर रगड़ से ऊर्जा उत्पन्न होने की संभावना हो। जब इन परिस्थियों पर विचार हुआ तो रसायन शास्त्र को वरीयता दी गई, मसलन क्या उस ग्रह या चंद्रमा में कोई कार्बनिक यौगिक पदार्थ मौजूद है या कोई ऐसा तरल पदार्थ मौजूद है जो व्यापक रासायनिक क्रिया करने में सक्षम हो? ईएसआई यानी पृथ्वी से समानता वाली सूची में सबसे अधिक अंक 1.00 दिया गया, जो कि जाहिर तौर पर पृथ्वी के लिए था लेकिन दूसरे नंबर पर ग्लीज 581जी आया जिसे 0.89 अंक मिले. ये ग्रह हमारे सौरमंडल से बाहर है और कई वैज्ञानिकों को इसके अस्तित्व पर ही संदेह है. इसके बाद इससे मिलता जुलता ही एक ग्रह ग्लीज 581डी आया जिसे 0.74 अंक मिले। हमारे अपने सौर मंडल में जिन ग्रहों को सबसे ज्यादा अंक मिले उनमें मंगल (0.70 अंक) और बुध (0.60 अंक) हैं। जबकि उन ग्रहों या चंद्रमाओं में जो पृथ्वी की तरह तो नहीं हैं लेकिन फिर भी वहाँ जीवन हो सकता है, सबसे अधिक 0.64 अंक मिले शनि के चंद्रमा टाइटन को, दूसरे मंगल (0.59 अंक) को और तीसरे वृहस्तपति (0.47 अंक) को।
संभावना
वैज्ञानिकों का कहना है कि हाल के वर्षों में ऐसे ग्रहों की तलाश में तेजी आई है जहाँ जीवन होने की संभावना हो सकती है।
नासा ने वर्ष 2009 में केप्लर स्पेस टेलिस्कोप अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था. इस टेलिस्कोप ने अब तक एक हजार ऐसे ग्रहों या चंद्रमाओं का पता लगाया है जहाँ जीवन पनपने की संभावना हो सकती है। उनका कहना है कि भविष्य में जो टेलिस्कोप बनेंगे, उनमें ये क्षमता भी होगी कि वह किसी ग्रह में जैविक पदार्थों से निकलने वाली रौशनी को पहचान सके। उदाहरण के तौर पर क्लोरोफिल की उपस्थिति जो किसी भी पेड़-पौधे में मौजूद अहम तत्व होता है।
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