सोमवार, अक्तूबर 10, 2011

चालीस हजार संतानों का पिता है भैयाराम


जब-जब जंगल कटता है, उनका हृदय कांप जाता है, पर्यावरण-प्रदूषण से तो दम घुटता है। जीवटता और संकल्प से बुद्धिजीवियों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले अनपढ़ भैयाराम आज परिवार को खोने के बाद भी चालीस हजार पुत्रों के पिता हैं। उसकी लगन से पहरा पहाड़ की तलहटी पर भारत वन हरा-भरा हो गया। पहाड़ के नीचे पचास हेक्टेयर की पट्टी आम, नीम, शीशम, सागौन, अमरूद, बेर आंवला आदि से लहलहा रही है। अपनी पत्नी और बच्चे की अकाल मौत के बाद भैयालाल वन विभाग की ओर से लगाए गए इन पेड़ों को बिना किसी मजदूरी के संतानों की तरह पालता है। तीस साल पहले भैयालाल का विवाह हुआ। फिर तीन साल बाद पत्नी चुन्नीदेवी एक बच्चे को जन्म देने के बाद स्वर्ग सिधार गई। पत्नी के गम को भुला कर वह इकलौते पुत्र गंगाराम के सहारे जीने लगा, लेकिन दो साल बाद पुत्र भी बीमारी से चल बसा। पूरी तरह टूट चुका भैयाराम बदहवास इधर-उधर घूमने लगा। इस बीच वृहद पौधरोपण कार्यक्रम ने उसे जीने की नई रोशनी दी। बकौल भैयाराम, पौधरोपण के लिए गढ्डा खुदाई के समय ही उसने संकल्प लिया कि यहां पर लगाए जाने वाले पौधों की वह पुत्र की तरह परवरिश करेगा। पौधा लगाए जाने के बाद उसने घर बार छोड़ दिया और वहीं जंगल में रहने लगा। अब वह ऐसे ही चालीस हजार संतानों का पिता है। चार साल से भीषण गर्मी और सर्दी में पौधों को खाद-पानी देते हुए भैयाराम चित्रकूट को फिर से सैल सुहावन बनने का सपना देखता है।
पौधों को पुत्र की तरह पालने वाला भैयाराम गांव में मांग कर खा लेता है, लेकिन वह सरकारी मजदूरी लेने को तैयार नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों ने कई बार उसे बिल बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उसने ठुकरा दिया। बकौल भैयाराम यदि वह मजदूरी लेने लगेगा तो उसका पौधों से मजदूर की तरह प्यार होगा, पुत्रों की तरह नहीं। वह प्रति वर्ष अपने इन पुत्रों का जन्मोत्सव भी मनाता है। गांव के लोग भी उसके साथ शामिल होते है। लोग नाचते-गाते गांव में भारत वन तक आते हैं। धूमधाम के साथ उत्सव मनाया जाता है। खुद एक दिन ही स्कूल न जाने वाले भैयाराम ने अधिकारियों को अपनी टूटी फूटी भाषा में पौधों से प्रेम का संदेश पत्थरों में लिख कर दिया है। वह ज्यादातर मौन रहता है यदि कोई उसके कुछ पूछता है तो पत्थरों में लिखे अपने भावों की ओर इशारा कर देता है।अधिकारी भी भैयाराम की जीवटता को सलाम करते हैं। वन विभाग कर्वी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी नरेंद्र सिंह तो सीधे कहते हैं कि यदि भैयाराम जैसे और लोग मिल जाए तो बुंदेलखंड फिर से हराभरा और खुशहाल हो सकता है। आज उसके प्रयास से वन विभाग के चालीस हजार पौधे पहरा के पहाड़ में जिंदा है। 


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