नई दिल्ली। आतंकी डेविड हेडली के हालिया बयान के बाद दायर जनहित याचिका
में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई से इनकार कर दिया है। इस याचिका
में जेल में बंद कथित तौर पर इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गुजरात
पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन, निलंबन और अन्य कार्रवाई को रद्द
किए जाने की मांग की थी। शुक्रवार को जैसे ही एडवोकेट एम एल शर्मा की ओर से
दलीलें शुरू की गई, कुछ ही समय बाद न्यायाधीश पीसीघोष और न्यायाधीश अमिताव
रॉय की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 32 का क्या उद्देश्य है कि आप इसके तहत ऐसा
मामला दायर नहीं कर सकते। यदि आप चाहें तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत
उच्च न्यायालय जा सकते हैं। जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस
मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की तो पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह याचिका
को उसके गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं कर रही। पीठ ने राजनीतिक रूप से
संवेदनशील इस मामले में तत्कालीन डीआईजी डी जी वंजारा समेत इस मामले में
प्रभावित गुजरात पुलिसकर्मियों के लिए रिहाई की खातिर अदालत का रूख करने का
रास्ता खोलते हुए कहा, कोई भी संबंधित व्यक्ति उचित प्राधिकरण से संपर्क
कर सकता है। गुजरात पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को निरस्त करने
की मांग करने वाली इस याचिका में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी हेडली के
हालिया बयान का हवाला दिया गया है। मुंबई की एक अदालत के समक्ष दर्ज किए
गए इस बयान में कहा गया था कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी थी। मुंबई में
26/11 को हुए आतंकी हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर कथित तौर पर
साजिश रचने वाले हेडली की ओर से दर्ज हालिया बयानों का हवाला देते हुए
याचिका में कहा गया कि इस समय तथ्य निर्विवादित हैं कि गुजरात पुलिस ने
इशरत जहां समेत जिन चार लोगों को मारा था, वे सभी आतंकी थे।
www.visharadtimes.com
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