शुक्रवार, मार्च 21, 2014

यहां राहुल गांधी का फॉर्मूला हुआ फेल

दुष्कर्म के आरोपी को भी टिकटदागी, वंशवादियों व पैराशूटरों को टिकट

राजस्थान से इस लोकसभा चुनाव में दागी, वंशवादियों व पैराशूटरों को उतारने में कांग्रेस पार्टी भाजपा से कहीं आगे है। कांग्रेस के उम्मीदवारों को देखकर साफ लग रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ा है।

इधर, भाजपा में कांग्रेस के मुकाबले फिर भी इस तरह के उम्मीदवार काफी कम हैं। हालांकि हाल ही भाजपा में शामिल हुए लोगों को टिकट मिलने से जरूर विरोध के स्वर उठ रहे हैं।

भाजपा ने राजस्थान की सभी 25 सीटों से उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है। कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा में दागी, वंशवादी और बाहरी को टिकट नहीं देने के राहुल गांधी के फार्मूले की हवा निकल गई है।

दुष्कर्म के आरोपी को भी टिकट

कांग्रेस ने पिछले एक साल से विवादों में घिरे रहे दागी छवि वाले उदयलाल आंजना को टिकट दिया है। उन पर दुष्कर्म का मामला दर्ज है। कांग्रेस के दिवंगत नेता शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला को झुंझुनूं से टिकट दिया है।

पाली से सांसद बद्री जाखड़ की बेटी मुन्नी देवी गोदारा, बांसवाड़ा से पूर्व मंत्री महेंद्र जीत मालवीय की पत्नी रेशमा मालवीय,अभी भाजपा के विधायक जयनारायण पूनिया के भतीजे प्रताप पूनिया को चूरू से मैदान में उतारा है।

नागौर से ज्योति मिर्धा को फिर टिकट दिया गया है, उनकी राजनीति में आने की सीढ़ी भी वंशवाद ही रही है। इधर, भाजपा ने चूरू लोकसभा सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद रामसिंह कस्वां के बेटे राहुल कस्वां को टिकट दिया है। 

भाजपा में भी असंतोष

टोंक-सवाईमाधोपुर सीट से कांग्रेस ने पैराशूटर अजहरूद्दीन को उतारा, तो भाजपा ने भी बाहरी उम्मीदवार सुखबीर जौनपुरिया को खड़ा कर दिया। इधर, भाजपा की ओर से एक सप्ताह में ही भाजपा में शामिल हुए कर्नल सोनाराम को बाड़मेर से, तो पूर्व डीजीपी हरीश मीणा को दौसा सीट से टिकट दिया।

भाजपा के पुराने कार्यकर्ता इससे असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि इन सीटों पर भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है, जिनकी यहां पकड़ भी अच्छी है। यही हाल जयपुर ग्रामीण सीट का भी हुआ। यहां से चंद महीनों पूर्व भाजपा में शामिल हुए ओलम्पिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मौका मिला है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत को टिकट दिलवाने में विफल रहे। वैभव पिछले पांच साल से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। अशोक गहलोत भी वैभव के टिकट के प्रति आश्वस्त थे। विधानसभा चुनावों में भी गहलोत से वैभव को टिकट दिलवाने के काफी प्रयास किए थे, लेकिन तब भी वे विफल रहे थे।

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