रविवार, मार्च 23, 2014

वाह री झाड़ू! बना सरताज, बाजार में राज

वाराणसी। एक दौर था, जब झाड़ू बाजार से लेकर चलने में लोग शर्म महसूस करते थे लेकिन दिल्ली में जब से इसका जादू चला, डिमांड बढ़ गई। बेहिचक आज हाथ में झाड़ू उठाए सैकड़ों युवा व बुजुर्गो की टोली गांव-गिरांव से लगायत नगरीय क्षेत्र के गली- मुहल्ले में चल रहे हैं। इतना ही नहीं पार्टी की टोपी पर बने झाड़ू चिह्न को भी लोग सिर पर शान से स्थान दे रहे हैं।
दुकानों पर भी जिस झाड़ू को पहले आड़े-कोने कनस्तर में छुपा कर रखा जाता था अब उसे उचित स्थान दिया जा रहा है, ताकि सबकी नजर पड़े। दस रुपये के झाड़ू की कीमत में भी अब 40 फीसद बढोतरी हो चुकी है। यूथ में भी झाड़ू का इस कदर क्रेज बढ़ता जा रहा है कि दो पहिया वाहन पर स्टीकर लगाने की बजाय लोग अगले पहिया के पास स्टैंड बनावाकर झाड़ू खोंसकर चल रहे हैं। झाड़ू का महत्व इसलिए भी यहां बढ़ गया है क्योंकि वाराणसी संसदीय सीट से झाड़ू यानी 'आप' के संयोजक स्वयं किस्मत आजमाने का एलान कर चुके हैं।
अरविंद केजरीवाल की 25 मार्च को बेनियाबाग मैदान में आयोजित रैली के मद्देनजर झाड़ू की मांग के साथ खरीद भी तेज हो गई है। मैदागिन, सिगरा, लंका, लोहटिया, चौक समेत अन्य बाजारों में पिछले दो दिनों में पांच हजार से अधिक झाड़ू बिक्री की बात बतायी जा रही है। इतना ही नहीं जो सींक [सींक का झाडू़] पहले तीस रुपये किलो बिकता था, अब वह चालीस रुपये किलो के भाव से बिक रहा है।
अरे, रामबाबू, झाडू़ लेकर कहां
मजे की बात है कि झाड़ू लेकर चलने वालों पर भूलवश आप फब्ती कस दिए तो आप की फजीहत होनी तय है। 'आप' से जुड़े लोग झाड़ू का इस कदर बखान करेंगे कि आप मोहित हो या न हो कुछ कहने में एक बार आप को सोचना पड़ेगा। कुछ ऐसा ही हुआ, शनिवार को अर्दली बाजार में।
रामबाबू, आप की टोपी पहने व कंधे पर झाड़ू लेकर जा रहे थे। इसी बीच उनके एक परिचित सुरेश ने उन्हें टोक दिया अरे भाई साहब आप भी झाडू़ उठा लिए। फिर क्या, कांग्रेस, भाजपा से लगायत अंबानी तक के भ्रष्टाचार की पोल पट्टी खोलते हुए रामबाबू ने केजरीवाल चालीसा पढ़ते हुए ऐसा ज्ञान दिया कि सुरेश को हाथ जोड़कर चुप्पी साधनी पड़ी, कहां भईया 'आप' आपका है अब आप जो चाहे वह करो।

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