सोमवार, मार्च 31, 2014

चुनाव बाकी हैं, लेकिन मोदी के हसीन सपने जारी हैं

नरेंद्र मोदी का पीएम बनने का सपना


नरेंद्र मोदी को जब भाजपा ने अपना पीएम पद का दावेदार बनाया, तो उसी दिन से बवाल शुरू हो गया। यह बवाल विरोधियों ने कम और उनकी अपनी पार्टी के नेताओं ने ज्यादा किया।

ले‌किन गोवा में हुई भाजपा कार्यकारिणी के इस अहम फैसले से अब तक देश की नदियों में काफी पानी बह चुका है। मोदी इन दिनों 185 रैलियों के रोलर कॉस्टर राउंड पर हैं और चुनावी सर्वे की संभावनाओं पर उछल रही भाजपा को यकीन हो चला है कि चुनावों के बाद अगर किसी की सरकार बनेगी, तो वो वही है।

इसी आत्मविश्वास का जोशोखरोश मोदी के सिर पर भी दिख रहा है। चुनावी रैलियों में अपनी ताकत और विरोधी की कमी बताना जाहिर है, लेकिन मोदी इन दिनों इस तरह से बात कर रहे हैं, जैसे वो प्रधानमंत्री बन चुके हैं। यह उनका विश्वास है, रणनीति का हिस्सा है या फिर सिर्फ हसीन सपने?

रैलियों में दिखा रहे हैं अपने हसीन सपने

यूं तो नरेंद्र मोदी अपने मन में ये सपने उसी दिन से पाल रहे हैं, जब गुजरात की कुर्सी तीसरी दफा जीतने के बाद उन्हें पार्टी ने अपना पीएम पद का दावेदार बनाया था। लेकिन रैलियों में अपने इस सपने का इजहार अब वो खुलकर करने लगे हैं।

हालिया वक्त में देखें, तो इसकी शुरुआत जम्मू रैली से होती है। ये रैली अरविंद केजरीवाल के मोदी के पहले सीधे हमले के लिए याद रखी गई, लेकिन यहां उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री के रूप में भी दिखाया।

उन्होंने कहा कि तीन एके की पाकिस्तान में खूब चर्चा है। पड़ोसी मुल्क के सैनिक हमारे जवानों का सिर काट ले जाते हैं। देश को ऐसा पीएम चाहिए, जिसके होते हुए कोई भी ऐसी हिम्मत न कर सके। जाहिर है, उनका इशारा अपनी तरफ था, जो खुद को पाकिस्तान और चीन के सामने सख्त और मजबूत प्रशासक के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे।

बिजली के ‌बहाने बताया खुद को भविष्य

जम्मू से जब मोदी पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़े, तो उन्होंने मुद्दे भी बदले और अंदाज भी। लेकिन 'प्रधानमंत्री' बनकर बात करने का उनका शौक यहां भी नजर आया।

भाषण देते वक्‍त जब कुछ देर के लिए माइक बंद हुआ, तो उन्होंने कहा‌ कि उत्तर प्रदेश में बिजली जाना खबर नहीं बनती, बल्कि बिजली आना खबर बनती है। आईएनएलडी नेता अजित सिंह, कांग्रेस और सपा पर हमला बोलने में उन्होंने कोई परहेज नहीं दिखाया।

उन्होंने कहा कि देश का होने वाला प्रधानमंत्री आपकी दिक्कतों से मौजूदा जन-प्रतिनिधियों से ज्यादा समझता है। खुद पीएम बनने का सपना देख रहे मोदी ने बागपत को भी नया सपना दिखाया। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी की तर्ज पर दिल्ली से सटे बागपत को भी चमकाया जा सकता है।

खुद को 1857 की क्रांति से जोड़ा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक और रैली में उन्होंने फिर ऐसा ही कुछ कहा। इस बार नरेंद्र मोदी ने आगामी चुनावों में भाजपा की जीत को 1857 की ऐतिहासिक क्रांति से जोड़ने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि 1857 में 'रोटी और कमल' का इस्तेमाल किया जाता था, ताकि देश के घर-घर तक आजादी का संदेश पहुंचाया जा सकता है। और आज देश भर में 'मोदी और कमल' का संदेश दिया जाता है।

प्रचार-प्रसार के रंग में डूबे मोदी वोट बटोरने के लिए और मतदाताओं को खींचने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के निशान कमल को आधार बनाकर वो कभी उसे लक्ष्मी के वाहक के रूप में पेश करते हैं और कभी आजादी के प्रतीक के तौर पर।

चव्हाण पर कार्रवाई करने का आश्वासन!

भाजपा के पीएम पद के दावेदार जब महाराष्ट्र पहुंचे, तो कांग्रेसी नेता के दागों पर हमला दागने का मौका इस्तेमाल किया। भ्रष्टाचार पर हमला कारगर साबित हो सकता है, लेकिन मोदी ने जिस तरह बयान दिया, ऐसा लगा कि उन्हें 272 सीटों का जादुई आंकड़ा पहले ही मिल चुका है।

उन्होंने कहा, "मैं आपको आश्वासन देता हूं कि केंद्र में सरकार बनाने के बाद अशोक चव्हाण, सभी विधायकों और सांसदों, भले वो किसी भी राजनीतिक दल से ताल्लुक क्यों न रखते हों, सभी मामलों की जांच की जाएगी और एक साल के भीतर न्याय किया जाएगा।"

आदर्श घोटाले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "यह अपराध जंग में विधवा हुईं महिलाओं को मिलने वाले फायदों के नाम पर किया गया। मैं उन लोगों को नहीं छोडूंगा, जिन्होंने हमारे सैनिकों के घर लूटे हैं।"

सपने और हकीकत का फर्क क्या?

कहावत है कि बड़े सपने देखने से ही उन्हें पूरा करने का उत्साह भी मिलता है। मोदी का क्या सपना है, यह हम सभी जानते हैं। लेकिन उन्हें यह बात भी याद रखनी चाहिए कि जब तक चुनावों में सीटों का जादुई आंकड़ा पास नहीं होता, तो ख्वाब सिर्फ ख्वाब हैं।

उन्हें इस बात का भी इल्म होगा कि अगर भाजपा और एनडीए 272 से जरा पीछे रह गए, तो बाकी सीटें जुटाने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन अगर कांग्रेस 100 पार पहुंची, तो तीसरे मोर्चे के घटक दल कब उसे समर्थन देने के लिए तैयार हो जाएंगे, कुछ खबर नहीं।

अब देखना यह है कि भाजपा के सरकार बनाने के दावे की मार्केटिंग में जुटे मोदी क्या सिर्फ रैलियों में यह सपना उछाल रहे हैं या उनकी तरफ से जमीनी स्तर पर भी इतना काम किया जा रहा है कि नतीजे अनुकूल आएं। मामला दिलचस्प है।

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