बदलती नजर आ रही पूर्वांचल की फिजा
नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनाव लडऩे से पूर्वांचल की फिजा बदलती नजर आ रही है। पिछले चुनाव यानि 2009 में इधर की 12 सीटों में भाजपा सिर्फ वाराणसी और आजमगढ़ में जीत पाई थी।
डा. मुरली मनोहर जोशी अपने कद और रमाकांत यादव बाहुबल के दम पर जीते थे। कोई माहौल नहीं था। कई सीटों पर लडऩे वाले खोजे नहीं मिल रहे थे। वहीं इस बार टिकटों के लिए मारामारी मची है।
हर कोई मोदीमय माहौल में अपनी सियासत गरम करना चाह रहा है। पिछली बार सपा का ग्राफ बढ़ा था। उसने 12 में से छह सीटें अपनी झोली में कर ली थी। लेकिन इस बार प्रदेश में उसकी बहुमत की सरकार होने के बावजूद नेता चुनाव लडऩे से कतरा रहे हैं।
डा. मुरली मनोहर जोशी अपने कद और रमाकांत यादव बाहुबल के दम पर जीते थे। कोई माहौल नहीं था। कई सीटों पर लडऩे वाले खोजे नहीं मिल रहे थे। वहीं इस बार टिकटों के लिए मारामारी मची है।
हर कोई मोदीमय माहौल में अपनी सियासत गरम करना चाह रहा है। पिछली बार सपा का ग्राफ बढ़ा था। उसने 12 में से छह सीटें अपनी झोली में कर ली थी। लेकिन इस बार प्रदेश में उसकी बहुमत की सरकार होने के बावजूद नेता चुनाव लडऩे से कतरा रहे हैं।
भारी न पड़ जाए मुलायम की धोबीपाट
आजमगढ़ से बलराम यादव और गाजीपुर से ओम प्रकाश सिंह को टिकट मिला था लेकिन दोनों नेताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। जौनपुर में केपी यादव टिकट कटने के बाद बागी हो चुके हैं। लालगंज से दो बार सांसद रहे दरोगा प्रसाद सरोज ने तो पार्टी का दामन ही छोड़ दिया।
अपनी सियासी जमीन को बचाने के लिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने खुद आजमगढ़ से लडऩे का ऐलान कर दिया है। वहीं, पिछली बार बसपा के सहायक बने ब्राह्मण मतदाता अबकी भाजपा की ओर उन्मुख हैं।
संभावना थी कि पूर्वांचल में अपनी चार सीटें बचाने के लिए मयावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
वहीं, उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन गवां चुकी कांग्रेस के पास वहां भी खोने के लिए कुछ नहीं है।
पिछले चुनाव में वह सिर्फ आठ सीटों पर लड़ी और कहीं दूसरे नंबर पर भी नहीं रहीं। इन सबके बीच नए खिलाड़ी अरविंद केजरीवाल दिल्ली की तरह फिर चौंकाने वाले नतीजे लाने की फिराक में हैं।
अपनी सियासी जमीन को बचाने के लिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने खुद आजमगढ़ से लडऩे का ऐलान कर दिया है। वहीं, पिछली बार बसपा के सहायक बने ब्राह्मण मतदाता अबकी भाजपा की ओर उन्मुख हैं।
संभावना थी कि पूर्वांचल में अपनी चार सीटें बचाने के लिए मयावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
वहीं, उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन गवां चुकी कांग्रेस के पास वहां भी खोने के लिए कुछ नहीं है।
पिछले चुनाव में वह सिर्फ आठ सीटों पर लड़ी और कहीं दूसरे नंबर पर भी नहीं रहीं। इन सबके बीच नए खिलाड़ी अरविंद केजरीवाल दिल्ली की तरह फिर चौंकाने वाले नतीजे लाने की फिराक में हैं।
नमो के सपनों पर न लग जाए झाड़ू
यूपी खासकर पूर्वांचल से लेकर बिहार में पटना तक भाजपा के पक्ष में चुनावी लहर उठाने के लिए पार्टी ने अपने पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को हिंदुओं की धार्मिक नगरी काशी से उतारा है, वर्तमान सांसद और पार्टी के दिग्गज नेता डा. मुरली मनोहर जोशी को कानपुर भेजकर।
पिछले चुनाव में जोशी ने कुल पड़े मतों में से 31 प्रतिशत बटोर कर बसपा के मोख्तार अंसारी को तीन प्रतिशत के अंतर से हराया था। सपा के अजय राय को 19 और कांग्रेस के डा. राजेश मिश्र को 10 प्रतिशत मत मिले थे।
इस बार सपा के टिकट पर मंत्री कैलाश चौरसिया जोरशोर से प्रचार में जुटे थे कि मोदी की उम्मीदवारी की घोषणा हो गई और सारा समीकरण गड्ड-मड्ड हो गया। मोदी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने संयोजक अरविंद केजरीवाल को मैदान में उतारने का ऐलान किया है।
अब राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए भी अहम हो चुके यहां के चुनाव में चौरसिया कहां टिकेंगे, देखने वाली बात होगी। हालांकि इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सपा के ही एक कोने से केजरीवाल को साझा उम्मीदवार बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
पिछले चुनाव में जोशी ने कुल पड़े मतों में से 31 प्रतिशत बटोर कर बसपा के मोख्तार अंसारी को तीन प्रतिशत के अंतर से हराया था। सपा के अजय राय को 19 और कांग्रेस के डा. राजेश मिश्र को 10 प्रतिशत मत मिले थे।
इस बार सपा के टिकट पर मंत्री कैलाश चौरसिया जोरशोर से प्रचार में जुटे थे कि मोदी की उम्मीदवारी की घोषणा हो गई और सारा समीकरण गड्ड-मड्ड हो गया। मोदी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने संयोजक अरविंद केजरीवाल को मैदान में उतारने का ऐलान किया है।
अब राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए भी अहम हो चुके यहां के चुनाव में चौरसिया कहां टिकेंगे, देखने वाली बात होगी। हालांकि इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सपा के ही एक कोने से केजरीवाल को साझा उम्मीदवार बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
आजमगढ़ में भी होगा रोचक मुकाबला
आजमगढ़ में पिछली बार जीते रमाकांत यादव को 35 प्रतिशत वोट मिले थे। बसपा से अकबर अहमद डम्पी लड़े थे और 28 फीसदी पाए थे। सपा के दुर्गा प्रसाद सरोज 18 प्रतिशत पाकर तीसरे नंबर पर रहे। यादव बहुल इस क्षेत्र में बिरादरी रमाकांत के साथ रही है, तब भी जब वह भाजपा में चले गए थे।
लेकिन इस बार यादवों के सरताज माने जाने वाले और मुसलमानों के सबसे प्रिय नेता की छवि वाले मुलायम के मुकाबले में वह अपनी मजबूती बरकरार रख पाएंगे, इस पर संशय अचानक तेजी से बढ़ा है।
लालगंज सुरक्षित सीट पर पिछले चुनाव में बसपा के डा. बलिराम 32 फीसदी वोट पाकर जीते थे। दूसरे नंबर पर भाजपा की नीलम सोनकर 26 और सपा के दरोगा प्रसाद सरोज 22 फीसदी मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे।
पहले दो बार सांसद रहे दरोगा इस बार भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे भाजपाई जोश में हैं।
लेकिन इस बार यादवों के सरताज माने जाने वाले और मुसलमानों के सबसे प्रिय नेता की छवि वाले मुलायम के मुकाबले में वह अपनी मजबूती बरकरार रख पाएंगे, इस पर संशय अचानक तेजी से बढ़ा है।
लालगंज सुरक्षित सीट पर पिछले चुनाव में बसपा के डा. बलिराम 32 फीसदी वोट पाकर जीते थे। दूसरे नंबर पर भाजपा की नीलम सोनकर 26 और सपा के दरोगा प्रसाद सरोज 22 फीसदी मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे।
पहले दो बार सांसद रहे दरोगा इस बार भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे भाजपाई जोश में हैं।
चंदौली में उलटफेर की उम्मीद में बीजेपी
चंदौली के सिटिंग सांसद रामकिशुन को सपा ने फिर मैदान-ए-जंग में उतारा है। उनका मुकाबला बसपा के अनिल मौर्य और भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय करेंगे। अनिल क्षेत्र के चिरईगांव के निवासी हैं तो महेंद्र सैदपुर से विधायक रहे हैं।
पिछली बार सपा और बसपा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। रामकिशुन को 26.85, कैलाश नाथ सिंह यादव को 26.78 प्रतिशत मत मिले थे। भाजपा काफी पीछे रह गई थी। लेकिन अबकी वाराणसी से सटी इस सीट पर मोदी फैक्टर के चलते भाजपाई बड़ी उलटफेर की उम्मीद लगाए हुए है।
गाजीपुर में पिछली बार सपा के राधेमोहन सिंह और मोख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी में कांटे की टक्कर हुई थी। राधेमोहन को 49 और अफजाल को 40 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा समेत अन्य पार्टियां एक से तीन प्रतिशत के बीच वोट पाई थीं।
इस बार सपा ने राधेमोहन का टिकट काटकर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
पिछली बार सपा और बसपा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। रामकिशुन को 26.85, कैलाश नाथ सिंह यादव को 26.78 प्रतिशत मत मिले थे। भाजपा काफी पीछे रह गई थी। लेकिन अबकी वाराणसी से सटी इस सीट पर मोदी फैक्टर के चलते भाजपाई बड़ी उलटफेर की उम्मीद लगाए हुए है।
गाजीपुर में पिछली बार सपा के राधेमोहन सिंह और मोख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी में कांटे की टक्कर हुई थी। राधेमोहन को 49 और अफजाल को 40 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा समेत अन्य पार्टियां एक से तीन प्रतिशत के बीच वोट पाई थीं।
इस बार सपा ने राधेमोहन का टिकट काटकर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
नाथ सिंह लड़ रहे हैं। भाजपा ने मनोज सिन्हा के जरिए सवर्ण मतों को एकजुट कर मैदान मारने की रणनीति पर है। लेकिन अफजाल का रुख सामने आने पर यहां की चुनावी तस्वीर साफ हो सकेगी।
भदोही में बसपा के गोरख नाथ ने 30 प्रतिशत मत पाकर सपा के छोटेलाल (28 प्रतिशत) को हराया था। यहां कांग्रेस के सूर्यमणि तिवारी को 14 और भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय को 9 प्रतिशत वोट मिले थे।
इस चुनाव में तकरीबन सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशी बदल दिए हैं। भाजपा ने यहां सांसद रहे वीरेंद्र सिंह मस्त को और सपा ने बाहुबली विधायक विजय मिश्र की बेटी सीमा मिश्र को टिकट दिया है।
बसपा की ओर से पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी और कांग्रेस से सरताज इमाम मैदान में हैं। भाजपा की उम्मीद मोदी लहर और ब्राह्मण मतदाताओं के रुख पर निर्भर है।
जौनपुर में रविकिशन भी हैं टक्कर में
जौनपुर में बाहुबली धनंजय सिंह ने 40 प्रतिशत मतों के साथ सीट बसपा के खाते में कर दी थी। यह जीत बसपा की नहीं, बल्कि धनंजय की थी। सपा के पारस नाथ यादव 29 फीसदी मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। भाजपा की सीमा द्विवेदी 19 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे पर रहीं।
इस बार बसपा ने सुभाष पांडेय, सपा ने फिर पारस यादव, भाजपा ने केपी सिंह और आम आदमी पार्टी ने सपा के बागी केपी यादव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन को टिकट दिया है। इस बार यहां चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है देखना दिलचस्प होगा।
मछलीशहर सुरक्षित क्षेत्र में भी सपा ने सिटिंग तूफानी सरोज पर दांव लगाया है। उन्होंने 31 परसेंट वोट बटोर कर बसपा के केके गौतम (27 फीसदी) को पराजित किया था। भाजपा के विद्यासागर सोनकर को 20 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा।
प्राय: सभी सुरक्षित सीटों पर सवर्ण मतदाता नतीजे प्रभावित करते हैं। सवर्ण तूफानी से उनके किए कामों का ब्योरा मांगने लगे हैं। वहीं, भाजपा ने इस सीट अबकी बार राम चरित्र निषाद पर दांव लगाया है।
इस बार बसपा ने सुभाष पांडेय, सपा ने फिर पारस यादव, भाजपा ने केपी सिंह और आम आदमी पार्टी ने सपा के बागी केपी यादव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन को टिकट दिया है। इस बार यहां चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है देखना दिलचस्प होगा।
मछलीशहर सुरक्षित क्षेत्र में भी सपा ने सिटिंग तूफानी सरोज पर दांव लगाया है। उन्होंने 31 परसेंट वोट बटोर कर बसपा के केके गौतम (27 फीसदी) को पराजित किया था। भाजपा के विद्यासागर सोनकर को 20 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा।
प्राय: सभी सुरक्षित सीटों पर सवर्ण मतदाता नतीजे प्रभावित करते हैं। सवर्ण तूफानी से उनके किए कामों का ब्योरा मांगने लगे हैं। वहीं, भाजपा ने इस सीट अबकी बार राम चरित्र निषाद पर दांव लगाया है।
मिर्जापुर में बीजेपी कैंडिडेट की घोषणा बाकी
मिर्जापुर में पिछली बार सपा टिकट पर ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल ने बसपा के अनिल मौर्य को शिकस्त दी थी।
बाल कुमार को 30, अनिल को 27 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार सपा ने कुर्मी बहुल इस सीट पर बनारस के रहने वाले प्रदेश के मंत्री सुरेंद्र पटेल को टिकट दिया है।
कांग्रेस से पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति को प्रत्याशी घोषित हुए हैं। भाजपा ने अब तक इस सीट पर आने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, जबकि बसपा ने समुद्रा बिंद को प्रत्याशी बनाया है।
बाल कुमार को 30, अनिल को 27 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार सपा ने कुर्मी बहुल इस सीट पर बनारस के रहने वाले प्रदेश के मंत्री सुरेंद्र पटेल को टिकट दिया है।
कांग्रेस से पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति को प्रत्याशी घोषित हुए हैं। भाजपा ने अब तक इस सीट पर आने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, जबकि बसपा ने समुद्रा बिंद को प्रत्याशी बनाया है।
लेकिन एक जमाने में जनसंघ की गहरी पैठ वाले मिर्जापुर की सियासी जमीन पाने के लिए भाजपा गंभीर सोच-विचार कर रही है।
राबर्ट्सगंज में बीजेपी को संघ का सहारा
राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट पर सपा के पकौड़ी लाल ने 36 प्रतिशत मत हासिल कर बसपा के रामचंद्र त्यागी को पछाड़ा था। भाजपा प्रत्याशी राम सकल 18 प्रतिशत मत पाए थे।
इस बार पकौड़ी से लोहा लेने के लिए भाजपा ने आदिवासी छोटेलाल खरवार को उतारा है। सोनभद्र के वनवासियों में संघ परिवार के प्रकल्प काम करते हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इन प्रकल्पों से जुड़े स्वयंसेवक उसकी नैया पार लगा देंगे।
घोसी में बसपा के दारा सिंह चौहान को कामयाबी मिली थी। उनको 29 प्रतिशत मत मिले थे। सपा के अरशद जमाल अंसारी को 21, कांग्रेस की सुधा राय को 20 और भाजपा के राम इकबाल को 12 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। तब बाहुबली विधायक मोख्तार अंसारी वाराणसी से बसपा प्रत्याशी थे।
माना जाता है कि इसका फायदा चौहान को मिला था। अबकी मोख्तार और बसपा अलग-अलग हैं। कल्पनाथ राय की पत्नी सुधा राय को बलिया से टिकट मिला है। खाली हुए भूमिहारों को अपने पाले में खींचने के लिए सपा ने राजीव राय को टिकट दिया है।
इस बार पकौड़ी से लोहा लेने के लिए भाजपा ने आदिवासी छोटेलाल खरवार को उतारा है। सोनभद्र के वनवासियों में संघ परिवार के प्रकल्प काम करते हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इन प्रकल्पों से जुड़े स्वयंसेवक उसकी नैया पार लगा देंगे।
घोसी में बसपा के दारा सिंह चौहान को कामयाबी मिली थी। उनको 29 प्रतिशत मत मिले थे। सपा के अरशद जमाल अंसारी को 21, कांग्रेस की सुधा राय को 20 और भाजपा के राम इकबाल को 12 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। तब बाहुबली विधायक मोख्तार अंसारी वाराणसी से बसपा प्रत्याशी थे।
माना जाता है कि इसका फायदा चौहान को मिला था। अबकी मोख्तार और बसपा अलग-अलग हैं। कल्पनाथ राय की पत्नी सुधा राय को बलिया से टिकट मिला है। खाली हुए भूमिहारों को अपने पाले में खींचने के लिए सपा ने राजीव राय को टिकट दिया है।
बलिया में भी आसान नहीं है बीजेपी की राह
वहीं, भाजपा ने क्षेत्र में राजभरों की भारी तादाद को देखते हुए प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हरिनारायन राजभर को टिकट दिया है। भाजपाइयों को उम्मीद है कि वाराणसी से मोदी के लडऩे से एक लहर उठेगी और पार्टी नया इतिहास रचेगी।
बलिया में सपा ने सीटिंग नीरज शेखर पर फिर भरोसा जताया है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर की राजनीतिक विरासत संभाल रहे नीरज ने पिछले चुनाव में 41 फीसदी वोट बटोरे थे।
दूसरे नंबर पर रहे बसपा के संग्राम सिंह यादव 30 प्रतिशत मत पाए थे। मनोज सिन्हा को 20 फीसदी वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे।
इस बार प्रदेश में सपा सरकार होने से सत्ता विरोधी रुझान नीरज को भी झेलना पड़ सकता है पर मोदी फैक्टर से पार पाने में पिता का नाम-कद सहायक भी होगा। कुल मिलाकर यहां भाजपा के लिए चुनावी जंग बहुत आसान नहीं होगी।
बलिया में सपा ने सीटिंग नीरज शेखर पर फिर भरोसा जताया है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर की राजनीतिक विरासत संभाल रहे नीरज ने पिछले चुनाव में 41 फीसदी वोट बटोरे थे।
दूसरे नंबर पर रहे बसपा के संग्राम सिंह यादव 30 प्रतिशत मत पाए थे। मनोज सिन्हा को 20 फीसदी वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे।
इस बार प्रदेश में सपा सरकार होने से सत्ता विरोधी रुझान नीरज को भी झेलना पड़ सकता है पर मोदी फैक्टर से पार पाने में पिता का नाम-कद सहायक भी होगा। कुल मिलाकर यहां भाजपा के लिए चुनावी जंग बहुत आसान नहीं होगी।
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