शुक्रवार, फ़रवरी 21, 2014

बदलेगा केजरी का फैसला जारी रहेगा एमएलए फंड

नई दिल्ली,अजय पांडेय। केजरीवाल सरकार द्वारा विधायकों को विकास कार्यो के लिए दी जाने वाली राशि [एमएलए फंड] को बंद करने का फैसला बदले जाने के संकेत हैं। उपराज्यपाल नजीब जंग की हुकूमत ने सरकार के शहरी विकास विभाग से पूछा है कि क्या राष्ट्रपति शासन के दौरान विधायक फंड व पार्षद फंड जारी किया जा सकता है।
सूबे में नई सरकार के गठन की संभावनाओं के मद्देनजर दिल्ली के अगले छह महीने के बजट में भी इस मद में पर्याप्त राशि को रखे जाने का प्रस्ताव है, ताकि अगर अगले कुछ महीनों में किसी नई सरकार का गठन हो जाता है और वह विधायक व पार्षद निधि को बहाल रखने का फैसला करती है तो उसके सामने फंड की दिक्कत न होने पाए। विधायकों को प्रतिवर्ष अपने क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए चार करोड़ रुपये, जबकि पार्षदों को एक करोड़ रुपये की राशि जारी की जाती है।

आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार ने विधायकों व पार्षदों को दी जाने वाली विकास राशि को रोकने का फैसला किया था। उन्होंने दलील दी थी कि विकास का कार्य विधायकों व पार्षदों के माध्यम से नहीं, बल्कि मोहल्ला सभाओं के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने आनन-फानन में स्वराज बिल तैयार कर उसे दिल्ली मंत्रिमंडल से मंजूरी दिला दी थी। इसे विधानसभा से भी पारित कराने की तैयारी थी। लेकिन ऐसा होने से पहले ही सरकार ने इस्तीफा दे दिया।
उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है और विधानसभा को निलंबित स्थिति में रखा गया है। ऐसे में विधायक तो अपनी जगह पर बने हुए हैं, लेकिन पिछली सरकार के फैसले के मद्देनजर उन्हें विकास राशि नहीं जारी की जा सकती। मोहल्ला सभाओं का गठन भी नहीं हो पाया ताकि उसके माध्यम से विकास कार्यो में पैसा लगाया जा सके। इसीलिए शहरी विकास विभाग से कहा गया है कि वह बताए कि विधानसभा को निलंबित रखे जाने की सूरत में विधायक निधि जारी की जा सकती है अथवा नहीं। पार्षदों को विकास राशि जारी करने का फैसला भी शहरी विकास विभाग की राय पर ही निर्भर करेगा।

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