शुक्रवार, दिसंबर 06, 2013

क्या कहती लिब्राहन रिपोर्ट, कौन हैं दोषी?

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की जांच के लिए गठित लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 17 साल के लंबे इंतजार के बाद 24 नवंबर 2009 को संसद में पेश की गई। बाबरी विध्वंस को सुनियोजित साजिश करार देते हुए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं सहित 68 लोगों को दोषी ठहराया। इस पूरे मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों और तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
68 लोग दोषी
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जिन 68 लोगों को दोषी ठहराया, उनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, शिव सेना के अध्यक्ष बाल ठाकरे, विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक के एस सुदर्शन, के एन गोविंदाचार्य, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा और प्रवीण तोगड़िया के नाम भी शामिल हैं।
रिपोर्ट में कल्याण और संघ परिवार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा-कल्याण सिंह की सरकार संघ परिवार के उद्देश्यों की पूर्ति करने का सबसे आवश्यक तत्व बन गई थी। कल्याण सिंह संघ परिवार की उम्मीदों पर खरे उतरे।
रिपोर्ट के मुताबिक-कल्याण सिंह की सरकार ने योजनाबद्ध और व्यवस्थित तरीके से शक्तिशाली पदों से उन अधिकारियों को हटाया जो उसके लिए असुविधा पैदा कर सकते थे। सुरक्षा संबंधी उपकरणों को खत्म किया। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के समक्ष उन्होंने लगातार झूठ बोला। देश की जनता के समक्ष उन्होंने संवैधानिक सरकार देने का वादा किया था लेकिन ऐसा न कर उन्होंने मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया।
कल्याण सिंह पर सवाल
रिपोर्ट में कहा गया है-संकट की उस घड़ी में भी कल्याण मूकदर्शक बने रहे। अयोध्या आंदोलन को रोकने और ढांचा गिराए जाने से कारसेवकों को रोकने के लिए उन्होंने एक कदम भी नहीं उठाया। कल्याण सिंह और उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार दे दिए थे। मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के सहयोगी इस मामले में अग्रणी रहे और उन्हीं के चलते पूरी व्यवस्था तहस-नहस हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में मुसलमानों पर हो रहे हमलों की जानकारी दिए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने पुलिस बल को गोली चलाने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का भी इस्तेमाल नहीं किया जो कि किया जा सकता था।
लिब्राहन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी 'गूंगे, बहरे और अंधे' बने रहे। उन्हें कम से कम सांप्रदायिक उन्माद और लोकतंत्र का बलात्कार रोकने की कोशिश करनी चाहिए थी लेकिन वे गूंगे, बहरे और अंधे बने रहे और उसका एक हिस्सा बन गए।
रिपोर्ट में कहा गया है-राज्य के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने राजनीतिक दुस्साहस को सिर्फ नजरंदाज ही नहीं किया, बल्कि राज्य की व्यवस्था को क्रमबद्ध ढंग से पंगु बनाने के लिए मुख्यमंत्री और संघ परिवार के साथ मिलकर साठगांठ भी की।
एक सदस्यीय आयोग ने इस विध्वंस और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए कई प्रशासनिक अधिकारियों को निजी तौर पर दोषी ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है-पुलिस और प्रशासन संघ, विहिप, भाजपा, बजरंग दल, शिव सेना आदि के मंसूबों के निष्पादक थे।
ये हैं बाबरी विध्वंस के दोषी
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की जांच करने वाले लिब्राहन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जिन 68 लोगों को दोषी ठहराया है। उनके नाम हैं-:
1-आचार्य धर्मेंद्र देव, धर्म संसद
2-आचार्य गिरिराज किशोर , विश्व हिन्दू परिषद
3-ए.के.सरन, तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (सुरक्षा) उत्तर प्रदेश
4-अखिलेश मेहरोत्रा, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक फैजाबाद
5-अशोक सिंघल, विश्व हिन्दू परिषद
6-अशोक सिन्हा, तत्कालीन सचिव, पर्यटन, उत्तर प्रदेश
7-अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा
8-बद्री प्रसाद तोषनीवाल, विश्व हिन्दू परिषद
9-बैकुंठ लाल शर्मा, विश्व हिन्दू परिषद
10-बाल ठाकरे, शिवसेना
11-बी.पी. सिंघल, विश्व हिन्दू परिषद
12-ब्रह्म दत्त द्विवेदी, भाजपा, तत्कालीन राजस्व मंत्री उत्तर प्रदेश
13-चंपत राय, स्थानीय निर्माण प्रबंधक
14-दाउदयाल खन्ना, भाजपा
15-डी. बी. राय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक फैजाबाद
16-देवराहा बाबा, संत समाज
17-गुर्जन सिंह, भाजपा/राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
18-गुमानमल लोढ़ा, भाजपा
19-के.एन गोविंदाचार्य, भाजपा
20-एच. वी. शेषाद्रि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
21-जय भगवान गोयल, शिवसेना
22-जयभान सिंह पवैया, बजरंग दल
23-के.एस .सुदर्शन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
24-कलराज मिश्रा, भाजपा
25-कल्याण सिंह, भाजपा (तत्कालीन मुख्यमंत्री)
26-कुशाभाऊ ठाकरे, भाजपा
27-लालजी टंडन, भाजपा, तत्कालीन ऊर्जा मंत्री, उत्तर प्रदेश
28-लल्लू सिंह चौहान, भाजपा
29-लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा
30-महंत अवैद्यनाथ, हिन्दू महासभा
31-महंत नृत्य गोपाल दास, राम जन्मभूमि न्यास
32- महंत परमहंस रामचंद्र दास, विश्व हिन्दू परिषद
33-मोरेश्वर दीनानंत सावे, शिवसेना
34-मोरोपंत पिंगले , शिवसेना
35-मुरली मनोहर जोशी, भाजपा
36-ओम प्रताप सिंह
37-ओंकार भावे, विश्व हिन्दू परिषद
38-प्रमोद महाजन, भाजपा
39-प्रवीण तोगड़िया, विश्व हिन्दू परिषद
40-प्रभात कुमार, तत्कालीन प्रधान सचिव (गृह) उत्तर प्रदेश
41-पुरुषोत्तम नारायण सिंह, विश्व हिन्दू परिषद
42-राजेंद्र गुप्ता, तत्कालीन मंत्री, उत्तर प्रदेश
43-राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
44-राम शंकर अग्निहोत्री, विश्व हिन्दू परिषद
45-रामविलास वेदांती, संत समाज
46-आर. के. गुप्ता, भाजपा, तत्कालीन वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश
47-आर. एन. श्रीवास्तव, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट, फैजाबाद
48-साध्वी ऋतम्भरा, संत समाज
49-शंकर सिंह वाघेला, भाजपा
50-सतीश प्रधान, शिवसेना
51-श्रीचंद्र दीक्षित, भाजपा
52-सीता राम अग्रवाल
53-एस. पी. गौर, तत्कालीन आयुक्त, उत्तर प्रदेश
54-सुंदर सिंह भंडारी, भाजपा
55-सूर्य प्रताप साही, तत्कालीन मंत्री, उत्तर प्रदेश
56-स्वामी चिन्मयानंद, विश्व हिन्दू परिषद
57-स्वामी सच्चिदानंद साक्षी उर्फ साक्षीजी महाराज, विश्व हिन्दू परिषद
58-एस. वी. एम. त्रिपाठी, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक
59-स्वामी सतमित रामजी, संत समाज
60-स्वामी सत्यानंद, संत समाज
61-स्वामी वामदेव, संत समाज
62-उमा भारती, विश्व हिन्दू परिषद
63-यू.पी. वाजपेयी, तत्कालीन उप महानिरीक्षक, फैजाबाद
64-विजयाराजे सिंधिया, भाजपा
65-वी. के. सक्सेना, तत्कालीन मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश
66-विनय कटियार, भाजपा
67- विष्णु हरि डालमिया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
68-युद्धनाथ पांडेय, शिवसेना

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