शनिवार, दिसंबर 14, 2013

समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य: उलेमा

 दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद कर समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखते हुए धारा 377 को संवैधानिक ठहराए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सहारनपुर जिले के दारुल उलूम देवबंद सहित अन्य उलेमा ने स्वागत किया है। उलेमा ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि समलैंगिकता को दुनिया का कोई भी मजहब अनुमति नहीं देता।
विश्व प्रसिद्ध इस्लामी इदारा दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मानवता और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप है। इस फैसले पर सख्ती से अमल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म या संस्कृति समलैंगिकता की इजाजत नहीं देती है। मजहब-ए-इस्लाम में समलैंगिक अपराध की बहुत बड़ी सजा है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यदि संसद में बिल लाया जाता है या फिर धारा 377 को निष्क्रिय करने का प्रयास किया जाता है तो यह घोर निंदनीय होगा। दारुल उलूम वक्फ के उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी व मदरसा जामियातुल अनवारिया के मोहतमिम मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर ने कहा कि सरकार को संसद में प्रस्ताव पास कराकर इस ओर कड़ा कानून बनाना चाहिए, ताकि इसको प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।

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