गौरतलब है कि सिद्ध संत शोभन सरकार ने बक्सर से एक किलोमीटर दूर आश्रम में तीन माह पूर्व स्वप्न देखा था, जिसमें 1857 की क्रांति में अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाने वाले डौडिया खेड़ा के राजा राव रामबक्स सिंह के किले में खजाना दबे होने की बात कही गई थी।
किले की खोदाई करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे पीके मिश्र के निर्देश पर किले की सफाई का काम तेजी से शुरू किया गया। क्षेत्रीय लोगों का किले पर पूरा दिन मजमा जुटा रहा। भीड़ में हर कोई इसी पर निगाह टिकाए था कि किले में कितना सोना मिलेगा इस पर पुरातत्व विभाग की टीम क्या कहती है। टीम लीडर पीके मिश्र ने दो टूक शब्दों में कहा कि ऊपर से निर्देश है, इसलिए सोना कितना मिलने की उम्मीद है इस बाबत कुछ नहीं बता सकता।
शहीद राजा राव रामबक्स सिंह के जमींदोज किले में खजाना मिलेगा या नहीं यह पक्का नहीं है, लेकिन इसमें हक की लड़ाई शुरू हो गई है। एक ओर तो धन से क्षेत्र के विकास के साथ राजा साहब के यादों को संरक्षित करने की बात की मांग हो रही है तो अब राजा साहब के वंशज भी सामने आ रहे हैं। छह अक्टूबर को एक प्रेस कान्फ्रेंस के राजा का वंशज होने का दावा करते हुए दो लोग खोदाई में उनको शामिल करने की मांग कर चुके हैं।
राजा के निकटतम वंशज का दावा करने वाले पुरवा दलीगढ़ी के राव चंडी प्रताप सिंह व उनके भाई राजेश प्रताप सिंह ने कहा खोदाई में शहीद के वंशजों के अलावा क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों को भी शामिल किया जाए। उनका कहना है कि जिलाधिकारी से भेंट कर उन्हें मांग पत्र सौंपा जाएगा। वंशजों ने यह भी कहा कि अगर किले में संपति प्राप्त होती है तो उसे सरकार अपने खजाने में न जमा कर राजा की स्मृतियों को संरक्षित करने में उनकी रियासत को विकसित करने में व्यय किया जाए।
दिखाए प्रमाणपत्र
राव चंडी प्रताप सिंह से राजा के वंशज होने के बारे में सवाल पर उन्होंने कई प्रमाण दिखाए। उन्होंने 3 जून 1975 को तत्कालीन जिलाधिकारी नृपेंद्र मिश्र द्वारा अनुज, राजेश प्रताप सिंह को राजा राव रामबक्स के वंशज के रूप में जारी प्रमाण पत्र दिखाया। उन्होंने बताया कि राजा राव रामबक्स को कोई संतान नहीं थी। उन्हें फांसी होने के बाद उनकी रानियों ने राजा साहब के भतीजे उदित नारायन को गोद लिया था। उनके लाल महादेव बक्स व चंद्रशेखर सिंह दो पुत्र हुए। लाल महादेव युवा अवस्था में विधुर हो गए और उनको कोई संतान नहीं थी। चंद्रशेखर सिंह के पुत्र शंभूभान सिंह पुरवा रियासत के राजा थे। उनके पुत्र के रूप में राव चंडी वीर प्रताप सिंह, अंबीवीर प्रताप सिंह व राजेश कुमार सिंह उनकी रियासत पुरवा में निवास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राजा की दोनों रानियां पुरवा में आकर ही रही थीं।
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