रविवार, अक्टूबर 27, 2013

राहुल व मोदी के भाषण पर गरमाई सिख राजनीति

नई दिल्ली, जासं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या व सिख दंगों को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के बीच जारी जुबानी जंग से दिल्ली की सिख राजनीति भी गर्मा गई है। शिरोमणि अकाली दल [शिअद] बादल ने राहुल के बयान को चुनाव आचार संहिता का उल्लंधन बताते हुए इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है। वहीं शिअद सरना गुट का कहना है कि मोदी गुजरात में सिख किसानों के साथ ज्यादती कर रहे हैं, इसलिए उन्हें 84 के दंगों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। राजस्थान के चुरू में राहुल के तथा उत्तर प्रदेश के झांसी में मोदी दिए तल्ख भाषणों की गर्माहट दिल्ली में भी महसूस की जा रही है। इसे लेकर सिख नेता भी दो खेमों में बंट गए हैं। शिअद बादल के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का चुरू में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से संबंधित भाषण सिख विरोधी व सांप्रदायिक है।
जिसे सुनकर सिखों के दिलों में 1984 के सिख विरोधी दंगे के जख्म फिर से हरे हो गए हैं। इसलिए इसकी शिकायत चुनाव आयोग से कर जनप्रतिनिधि कानून की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है। वहीं शिअद सरना गुट का कहना है कि गुजरात में 60 के दशक से रह रहे हजारों सिख किसानों को बेघर किया जा रहा है तथा उनके खिलाफ मोदी सुप्रीम कोर्ट में गए हैं। राजग के शासन काल में भी दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ नहीं किया गया है। अब वह सिखों के हितैषी बनने की कोशिश कर रहे हैं। शिअद के दोनों गुटों के नेताओं के तेवर से लगता है कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी व नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर राजनीति और तेज होगी।
शिअद [बादल] के प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने शिअद बादल राहुल गांधी के पास लोगों को बताने के लिए कोई अपनी उपलब्धि नहीं है, जिस वजह से वह सिखों की भावनाओं को आहत करने वाली बात कर रहे हैं। उन्होंने सिख विरोधी विचारधारा को जायज ठहराने की कोशिश की है। नरेंद्र मोदी ने उन्हें उनकी गलती का जवाब दिया है। शिअद बादल भी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से कर कार्रवाई की की मांग की है।
शिअद [सरना गुट] के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि भाजपा ने सिख दंगा पीड़ितों के लिए कुछ भी नहीं किया है। मोदी को पहले यह बताना चाहिए कि राजग के शासनकाल में 84 दंगा के कितने दोषियों को सजा दी गई तथा पीड़ितों को इंसाफ देने के लिए क्या कदम उठाए गए? मोदी यदि सिखों के हिमायती होते तो गुजरात से गरीब सिख किसानों को बेघर नहीं करते।

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