नई दिल्ली। आखिरकार भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में अपने मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के नाम पर मुहर लगा दी। हर्षवर्धन के नाम की घोषणा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद की। अभी तक खुद को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे विजय गोयल को भी पार्टी मनाने में कामयाब रही और गोयल ने कहा कि अब उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं हैं।
कौन हैं डॉ हर्षवर्धन?डॉ. हर्षवर्धन राष्ट्रीय स्वयं संघ के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। पेशे से ईएनटी डॉक्टर रहे हर्षवर्धन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1993 में दिल्ली की कृष्णानगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर की थी। हर्षवर्धन ने इस सीट से बीजेपी के लिए जीत हासिल की। हर्षवर्धन दिल्ली की पहली विधानसभा के सदस्य बने और बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य और कानून मंत्री रहे। पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। 1996 में डॉक्टर हर्षवर्धन ने शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद 1998, 2003 और 2008 में हर्षवर्धन कृष्णानगर सीट से ही चुनाव जीते हैं।
राजनाथ सिंह ने दावा किया कि खुद विजय गोयल ने भी हर्षवर्धन के नाम पर सहमति जताई। उधर गोयल और हर्षवर्धन बीच की खींचतान पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को चुटकी लेने का मौका मिल गया और उन्होंने हर्षवर्धन को दिल्ली भाजपा का मनमोहन बता दिया।
केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'हर्षवर्धन दिल्ली भाजपा के मनमोहन नहीं है?' यानी उनका इशारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कांग्रेस और केंद्र सरकार में उनकी रबड़ स्टैंप वाली भूमिका की तरफ था। केजरीवाल ने विजय गोयल पर भी ट्वीट किया, 'क्या भाजपा अब मान रही है कि विजय गोयल भ्रष्टाचारी हैं?' भाजपा के केंद्रीय नेता विजय गोयल को शांत करने की कोशिश में काफी हद तक कामयाब हो गए हैं।
कम लोग जानते हैं कि डॉ. हर्षवर्धन भी गोयल ही हैं। वे अपने नाम के साथ गोयल नहीं लगाते। यानी भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान दो गोयलों के बीच है। उधर पार्टी द्वारा हर्षवर्धन को समर्थन मिलने के बाद दिल्ली इकाई के पार्टी अध्यक्ष विजय गोयल ने पार्टी के निर्णय का स्वागत किया, लेकिन अपना मुख्यमंत्री बनने का सपना टूटता देख बुधवार को बगावती सुर अपना लिया। खबर है कि गोयल ने आगे की रणनीति के लिए अपने समर्थकों की बैठक भी बुलाई है।
विजय गोयल के बगावती सुर का पता जब केंद्रीय नेतृत्व को चला तो संगठन मंत्री रामलाल उनसे मिलने के लिए पहुंच चुके है। गोयल से मिलने के बाद रामलाल ने कहा कि पार्टी एकजुट है और अंतर्कलह की बात गलत है।
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