
स्थानीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण पश्चिम सऊदी अरब के जजान प्रांत की एक मस्जिद के इमाम शेख जबरान याह्यंा सोलेमान अल-मलकी पहली बार अपने पिता के साथ वर्ष 1954 में हज करने गए थे। उन्होंने बताया, मेरी पहली हज यात्रा काफी थका देने वाली थी। मैं उसे कभी नहीं भूल सकता। हमारे पास संसाधन बहुत कम थे और यातायात सेवा बहुत बेकार थी। जजान से मक्का तक की यात्रा में उन्हें और उनके पिता को दो सप्ताह का समय लग गया था।
मलकी ने बताया, 'उस समय पक्की सड़कें नहीं थीं। कारें बहुत पुरानी थीं और धुंआ छोड़ती थी। मक्का में उस समय पीने के पानी, भोजन की काफी कमी थी। वहां शौचालयों की व्यवस्था भी नहीं की गई थी। उस समय कुल ढाई लाख हज यात्री आए थे। हम शहर में टेंट लगा कर रहते थे।' इस्लाम में कहा गया है कि शारीरिक, आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को जीवन में एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए।
http://www.youtube.com/watch?v=BOzgcau6y7c
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