शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2011

दिल से कही बात पर दिमाग को ऐतराज



मिलान कुंदेरा का जन्म चेकोस्लोवाकिया में 1 अप्रैल, 1929 को हुआ था। उन्होंने चेक में लिखना शुरू किया था लेकिन राजनीतिक मतभेदों के चलते उन्हें अपने देश से ही बेदखल होना पड़ा। बाद में उन्होंने फ्रांस में न सिर्फ शरण ली बल्कि फ्रेंच में लिखने लगे। उन्हें उनके उपन्यासों के लिए प्रसिद्धि मिली।
-जब आप कोई बात दिल से कहते हैं तो, दिमाग को ऐतराज करने में हिचक होती है।
-प्यार एक किस्म का इंतजार है, जब मिलता है तो लगता है अपने ही खो चुके अधूरे हिस्से को पाया हो।
-सत्ता के खिलाफ आदमी की लड़ाई असल में भूल जाने की आदत के खिलाफ याद दिलाते रहने की जिद है।
-हमें अपने आनेवाले कल को यादों के बोझ से दबने से बचाते रहना चाहिए।
-शर्मिंदगी की सबसे बड़ी वजह यह नहीं की हमने कोई गलती की होती है, वह दरअसल उस अपमान से पैदा होती है जो दूसरे करने से नहीं चूकते।
-उस जीवन का कोई मतलब नहीं जो पहली बार सिर्फ जीवन कैसा हो इसकी रिहर्सल बन कर रह जाए।
-खुद को दरकिनार कर दिए जाने के लिए हम अक्सर दूसरों को कोसते हैं, सच यह है कि उसके जिम्मेदार हम खुद होते हैं।
-हमें अपनी उम्र का खयाल कुछ खास लमहों में ही आता है, ज्यादातर वक्त लोग उम्र से बाहर जीते हैं।
-एक ऐसी दुनिया में रहना जहां किसी को कोई माफी न मिले, नरक में बसर करने जैसा है।
-सबसे बचकाने लगने वाले सवाल ही सबसे संजीदा सवाल होते हैं।
-जो लोग अपनी छतों पर खडे होकर जोर-जोर से अपनी खुशी का इजहार करते हैं, वे अमूमन सबसे ज्यादा उदास लोग होते हैं।
-हम एक दिन मर जाएंगे, यह एक बहुत बुनियादी अहसास है, फिर भी ज्यादातर इंसान इसे स्वीकार करने, इसे समझने और इसके मुताबिक जीवन जीने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाते। 
प्रस्तुति
मो. सलीम

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