गुरुवार, मई 12, 2011

मदर्स डे तो है पर पास में मां नहीं

कितने ही ऐसे होंगे, जिनके पास सब कुछ है पर मदर्स डे पर उनके पास उनकी मां नहीं हैं, जिन पर वह अपना सर्वस्व लुटा सकें। कैसे भूल सकते हैं उस मां को, जिसने कांटांे पर चलकर हमारी दुनिया को फूलों के सेज से सजाया। एक वक्त था, हम दाने-दाने को तरसते थे और हमारी मां अपने हिस्से के दाने हमारे मुंह में डाल कर खुद पानी पीकर सो जाती थीं। आज हमारे पास दानों के भंडार हैं, लेकिन वह मां नहीं जिसको हम जी भर कर खिला सकें। उसकी हर वह तमन्ना पूरी कर सकें, जिसका उसने हमारा मुकद्दर बनाने के लिए गला घोंट दिया। वह मां जिसने हमारी आंख से निकलने वाले हर आंसू को जमीं पे गिरने तक नहीं दिया। हां, मैं उसी मां की बात कर रहा हूं जिसको बहुत से लोगों ने शायद भुला ही दिया है।

मदर्स डे के मौके पर मैं अपनी मां के साथ हर उस मां को सलाम करता हूं, जिसने अपनी दुनिया मिटा कर हमारी दुनिया को आबाद किया। जो शख्स मां की कद्र नहीं करता, वह इंसानियत के नाम पर एक ऐसा बदनुमा दाग है, जिसको वह सात जन्म तक धो नहीं सकता। खुशनसीब हैं वे जिनके पास मां है। उनसे पूछिए जो बिन मां के उसकी याद में तड़प-तड़प कर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। अगर अल्लाह बाद किसी को सिसज्दे अनुमति होती तो मैं अपनी मां को करता, पहले उस मां को पूजिए जो आपके पास है, जिसे आप भूलते जा रहे हैं। उसे आपके पैसे नहीं, बल्कि आपका वह प्यार चाहिए जो प्यार उसने आपको बचपन में ममता के रूप में लुटाया। सिर्फ एक बार घर छोड़ने से पहले उसके पास जाकर उससे इतना जरूर पूछिए, मां तुम कैसी हो, बस यूं समझिए उसे अपनी जिंदगी में सब कुछ मिल गया।

मदर्स डे तो हर रोज होता है, ना कि साल में सिर्फ एक दिन। कभी यह मत सोचिए कि मैंने मां का कर्ज उतार दिया। अरे, मां के कर्ज को तो आप सदियों तक नहीं चुका सकते। अगर वह आपके पास है तो उसका आशीर्वाद लेकर घर की दहलीज पार कीजिए, अगर नहीं है तो उसकी तस्वीर के सामने सिर झुका कर उसकी दुआ लेकर जाइए। जिंदगी में कभी भी आपको मायूसी नहीं होगी चाहे आप अपने मकसद में कामयाब नहीं भी होते। ऐ मां तुझे मेरा शत-शत नमन। ऐ मां अल्लाह तुझे जन्नत बख्शे।

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