लखनऊ। मुजफ्फरनगर के ग्रामीण इलाकों में सेना और पुलिस की जबरदस्त तैनाती के सोमवार को हिंसा में कुछ कमी आई है। लेकिन ताजा हिंसा में शामली और मुजफ्फरनगर में दो लोगों के मारे जाने की सूचना है, जिसके बाद हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या 31 तक पहुंच गई है। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक मृतकों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है।
हत्या के बाद मवाना के बाजार बंद:-
मेरठ के मवाना इलाके में एक व्यक्ति की हिंसा के बाद बाजार बंद हो गए हैं। पूरे शहर में अफवाहों का बाजार गर्म है। शामली-बागपत की सीमा पर स्थित एलम और असारा में तनाव की स्थिति है। शामली में गठवाला खाप के गांवों में हालात बेहद तनावपूर्ण है।
पकड़ा जा रहा हथियारों का जखीरा:-
मुजफ्फरनगर शहर के रामलीला के टीला और खालापार से सेना और पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में हथियारों का जखीरा बरामद किया है। इसको लेकर भी इलाके में तनाव व्याप्त है। कवाल प्रकरण को लेकर नंगला मंदौड महापंचायत में शामिल 40 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
अजित को रोका :-
दिल्ली से मुजफ्फरनगर जा रहे रालोद नेता और केंद्रीय मंत्री अजित सिंह और उनके सांसद पुत्र जयंत को गाजियाबाद यूपी गेट पर रोक लिया गया है। वहीं आज भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद और सांसद राजेंद्र अग्रवाल और उपाध्यक्ष अशोक कटारिया के आगरा से मुजफ्फरनगर पहुंचने का कार्यक्रम है।
भाजपा नेताओं समेत 40 पर मामला दर्ज:-हिंसक घटनाओं के सिलसिले में बीजेपी के चार विधायक संगीत सोम, हुकुम सिंह, भारतेंदु, सुरेश राणा और कांग्रेस के हरेंद्र मलिक के खिलाफ दंगे के आरोप में मामला दर्ज किया है। इनके साथ ही किसान नेता नरेश व राकेश टिकैत को भी नामजद किया गया है।
डीआईजी का तबादल :-सरकार ने सहारनपुर में डीडी मिश्रा के स्थान पर अशोक मुथा जैन को डीआइजी के पद पर तैनात किया है जबकि एडीजी भावेश कुमार सिंह को सहारनपुर में ही कैंप करने के आदेश जारी किया गया है। प्रोन्नत होने से पहले भावेश कुमार सिंह की मेरठ के आइजी जोन के पद पर तैनात थे।
गौरतलब है कि प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने मुजफ्फरनगर दंगे में बेकाबू हुए हालात को बेहद गंभीरता से लिया और केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित की है। राज्यपाल ने माना है कि सूबे में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति के लिए प्रदेश सरकार का रवैया जिम्मेदार है और हालात उसके काबू के बाहर दिखाई दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 27 अगस्त को एक लड़की से छेड़छाड़ के मामले में मुजफ्फरनगर के कवाल में तीन लोगों की हत्या के करीब दस दिन बाद से वहां हालात ऐसे बिगड़े कि हिंसा में अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है।

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