बुधवार, फ़रवरी 17, 2010

ताकत से बड़ी अक्ल

बच्चों आज मैं तुम्हें एक शेर की कहानी सुनने जा हंू । तब कहानी सुन कर आप को यह बताना है कि कैसी लगी ? इससे क्या शिक्षा मिलती है।हिमालय पर्वत पर एक गुफा में बबर शेर निवास करता था। शेर आये दिन जंगल में अनेक जानवरों को मार कर खा रहा था। उस की हरकत से इस जंगल के सभी जानवर डरे और सहमे रहते थे। शेर से तंग आकर वन के जिव जंतुओं ने एक सभा की। सभा में निर्णय हुआ कि शेर के पास जाकर उससे निवेदन किया जाए। जानवरों का एक प्रतिनिधिमंडल शेर के पास गया। शेर से एक जानवरों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आप इस जंगल के राजा हंै। आप अपने भोजन के लिए प्रतिदिन जानवरों को मार देते हैं, जबकि आपका पेट एक जानवर से ही भर जाता है। शेर ने गरजकर पूछा कि तो फिर मैं क्या कर करूं? सभी जानवरों में निवेदन किया कि महाराज कि आप भोजन के लिए कष्ट न करें। आपके भोजन के लिए हम स्वयं हर दिन एक जानवर को आपकी सेवा में भेज दिया करूंगा। आपका भोजन हरदिन समय पर आपकी सेवा से पहुँच जाया करेगा। शेर ने कुछ देर सोचा और कहा कि यदि तुम लोग ऐसा ही चाहते हो तो ठीक है। ध्यान रहे कि इस नियम में किसी प्रकार की ढील नहीं आनी चाहिए। इसके बाद हर दिन एक पशु शेर की सेवा में भेज दिया जाता।एक दिन शेर के पास जाने की एक खरगोश की बारी आ गई। खरगोश बुद्धिमान था। उसने मन-ही मन सोचा कि अब जीवन तो बचा नहीं तो फिर मैं शेर को खुश करने का उपाय क्यों करूं? ऐसा सोचकर वह एक कुएं पर आराम करने लगा। इसी कारण शेर के पास पहुंचने में उसे बहुत देर हो गई। खरगोश जब शेर के पास पहुंचा तो वह भूख के कारण परेशान था। खरगोश को देखते ही शेर जोर से गरजा और कहा कि एक तो तू इतना छोटा-सा खरगोश है और फिर इतनी देर से आया है। तुझे इतनी देर कैसे हुई? खरगोश बनावटी डर से कांपते लगा और बोला कि महाराज मेरा कोई दोष नहीं। हम दो खरगोश आपकी सेवा के लिए आए थे। रास्ते में एक शेर ने हमें रोक लिया। उसने मुझे पकड़ लिया। मैंने उससे कहा कि यदि तुमने मुझे मार दिया तो हमारे राजा तुम पर नाराज होंगे और तुम्हारे प्राण ले लेंगे। उसने पूछा कौन है तुम्हारा राजा? इस पर मैंने आपका नाम बता दिया।यह सुनकर वह शेर क्रोध से भर गया। वह बोला कि तुम झूठ बोलते हो। इस पर खरगोश ने कहा कि नहीं, मैं तो सच कह रहा हूं तुम मेरे साथी को बंधक रख लो। मैं अपने राजा को तुम्हारे पास लेकर आता हूँ। खरगोश की बात सुनकर शेर का क्रोध बढ़ गया। उसने गरजकर कहा कि चलो, मुझे दिखाओ कि वह दुष्ट कहां रहता है? खरगोश शेर को लेकर एक कुएं के पास पहुंचा। खरगोश ने चारों ओर देखा और कहा कि महाराज, ऐसा लगता है कि आपको देखकर वह शेर अपने किले में घुस गया। शेर ने पूछा कहां है उसका किला? खरगोश ने कुएं को दिखाकर कहा कि महाराज, यह है उस शेर का किला। खरगोश स्वयं कुएं की मुंडेर पर खड़ा हो गया। शेर भी मुंडेर पर चढ़ गया। दोनों की परछाई कुएं के पानी में दिखाई देने लगी।खरगोश ने शेर से कहा कि महाराज देखिए। वह रहा मेरा साथी खरगोश। उसके पास आपका शत्रु खड़ा है। शेर ने दोनों को देखा। उसने भीषण गर्जन किया। उसकी गूंज कुएं से बाहर आई। बस, फिर क्या था! देखते ही देखते शेर ने अपने शत्रु को पकडऩे के लिए कुएं में छलांग लगा दी और वहीं डूबकर मर गया।
प्रस्तुत: मो. अजमिल

4 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Swagat hai!

dr amit jain ने कहा…

बहुत बढिया

मनोरमा ने कहा…

Welcome! keep it up!

संगीता पुरी ने कहा…

हिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!