बुधवार, मार्च 31, 2010

अप्रेल फूल या मूर्ख दिवस﴿

كذبة إبريل ﴾हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत दे दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद:झूठ बोलना नैतिकता के विरूद्ध है, समस्त धर्म-शास्त्रों में इस के प्रति चेतावनी आई है, और इसी पर मानव प्रकृति की आम सहमति भी है और स्वस्थ बुद्धि के लोगों का भी यही मानना है।इस्लाम धर्म के अन्दर क़ुर्आन व हदीस में झूठ से बचने का आदेश आया है, और उसके हराम होने पर सर्वसहमति है, तथा झूठ बोलने वाले का दुनिया व अखिरत में बुरा अंजाम है।इस्लामी धर्म शास्त्र में झूठ बोलना क़तई वैध नहीं है सिवाय कुछ सुनिश्चित मामलों के जिन पर किसी के अधिकार को हड़प करना, या खून बहाना, या किसी की इज़्ज़त व आबरू (सतीत्व) पर आरोप लगाना निष्कर्षित नहीं होता है। बल्कि इन स्थितियों में (झूठ बोलने का उद्देश्य) किसी की जान बचाना, या दो आदमियों के बीच सुलह-सफाई कराना, या पति और पत्नी के बीच प्रेम पैदा कराना होता है।तथा इस्लामी शास्त्र में कोई भी दिन या एक क्षण भी ऐसाा नही है जिसमें मनुष्य का झूठ बोलना, और जिस चीज़ का भी मन चाहे उसकी सूचना देना वैध हो, और न ही लोगों के बीच प्रचलित ‘अप्रेल फूल’ या मूर्ख दिवस’ में ही झूठ बोलना वैध है जिसके बारे में लोगों का यह भ्रम है कि अप्रेल के प्रथम दिन में बिना किसी नियम के झूठ बोलना जायज़ है।झूठ के हराम होने के प्रमाण:1. अल्लाह तआला का फरमान है:  إِنَّمَا يَفْتَرِي الْكَذِبَ الَّذِينَ لاَ يُؤْمِنُونَ بِآيَاتِ اللهِ وأُوْلـئِكَ هُمُ الْكَاذِبُونَ , النحلरू 105ख्ण्‘‘झूठ बात तो वही लोग गढ़ते हैं जो अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं रखते, और यही लोग झूठे हैं।’’ (सूरतुन्नह्ल:105)इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह फरमाते हैं: ‘‘अल्लाह तआला ने सूचना दी है कि उसका पैग़म्बर झूठ बात गढ़ने वाला और झूठा नहीं है; क्योंकि अल्लाह तआला पर और उसके पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर झूठ बात वो लोग गढ़ते हैं जो सब से बुरे लोग हैं, जो अल्लाह तआला की आयतों पर ईमान नहीं रखते हैं जैसे नास्तिक और अधर्मी लोग जो लोगों के निकट झूठ बोलने में कुख्यात हैं, और पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तो लोगों में सब से सच्चे, सबसे नेक, तथा ज्ञान, अमल, ईमान और विश्वास में सब से संपूर्ण हैं, अपने समुदाय में सच्चाई से सुप्रसिद्ध हैं जिस में किसी को तनिक भी शंका नहीं है, उनके बीच वह विश्वस्त मुहम्मद के नाम से ही पुकारे जाते हैं।’’ (तफ्सीर इब्ने कसीर 2/588)2. अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप ने फरमाया: }آية المنافق ثلاث إذا حدث كذب وإذا وعد أخلف وإذا اؤتمن خان{ ;رواه البخاريरू33، ومسلمरू 59 द्धण्‘‘मुनाफिक़ (पाखंडी ) की तीन निशानियाँ हैं: जब वह बात करे तो झूठ बोल, जब वादा करे तो उसके खिलाफ करे, और जब उसके पास अमानत रखी जाए तो खियानत करे।’’ (बुखारी:33, मुस्लिम:59)और सब से बुरा झूठ .. हँसी-मज़ाक में झूठ बोलना हैकुछ लोगों का मानना है कि उनके लिए हँसी-मज़ाक में झूठ बोलना वैध है, और यही बहाना बनाकर वो अप्रेल की पहली तारीख को या उसके अतिरिक्त अन्य दिनों में झूठ बोलते हैं, हालांकि यह एक गलती है, और पवित्र इस्लामी शरीअत में इसका कोई आधार नहीं है, बल्कि हर हालत में झूठ बोलना हराम और अवैध है चाहे आदमी मज़ाक कर रहा हो या वास्तव में झूठ बोल रहा हो।इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: ‘‘मैं हँसी-मज़ाक करता हूँ, लेकिन सच्च के अलावा कुछ नहीं कहता।’’ (मोजमुल कबीर लित्तबरानी 12/391, शैख अल्बानी ने सहीहुल जामेअ् में इसे सहीह कहा है: 1294)तथा अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि: लोगांे ने कहा कि ऐ अल्लाह के पैग़म्बर ! आप तो हम से हँसी-मज़ाक करते हैं? आप ने उत्तर दिया: ‘‘मैं सच्च के सिवाय कुछ नहीं कहता।’’ (तिर्मिज़ी:1990)अप्रेल फूल:अप्रेल फूल की वास्तविकता का निर्धारित रूप से कोई पता नहीं है, इसके के विषय में विभिन्न विचार हैं:कुछ लोगों ने उल्लेख किया है कि इसका आरम्भ बसन्त ऋत के उत्सवों के साथ हुवा जिस समय कि 21 मार्च को रात और दिन बराबर होते हैं ...कुछ लोगों का विचार है कि यह बिद्अत प्राचीन काल और मूर्ति पूजा के उत्सवों और समारोहों तक फैला हुआ है, क्योंकि वह बसन्त ऋत के आरम्भ में एक निर्धारित तारीख से संबंधित है, इसलिए कि यह मूर्ति पूजा समारोहों का बचा हुआ भाग है, और कहा जाता है कि कुछ देशों में शिकार के प्रारंभिक दिनों में शिकार कम होता था, इसी कारण अप्रेल के पहले दिन में गढ़े जाने वाले झूट के लिए यह नियम बन गया था।तथा कुछ लोगों ने इस अप्रेल फूल की वास्तविकता के विषय में इस प्रकार लिखा है कि:हम में से बहुत से लोग अप्रेल फूल (दूसरों को मूर्ख बनाने का दिवस) मनाते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ ‘अप्रेल का धोखा’ है, किन्तु हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो इसके पीछे छिपी हुई कड़वी सच्चाई को जानते हैं?जब मुसलमान लगभग हज़ार वर्ष पूर्व स्पेन पर शासन करते थे तो वे उस समय एक ऐसी शक्ति थे जिसका तोड़ना असम्भव था, जबकि पश्चिमी ईसाई आशा करते थे कि इस्लाम को दुनिया से मिटा दें और कुछ हद तक वो सफल भी रहे।उन्हों ने स्पेन में मुसलमानों के विस्तार को रोकने और उनके उन्मूलन की कोशिशें कीं किन्तु वो सफल नहीं हुए, कई बार प्रयास किए पर असफल रहे।इसके बाद नास्तिकों ने स्पेन में अपने जासूस भेजे ताकि वो अध्ययन करके मुसलमानों की अपराजित शक्ति के रहस्य की खोज करें, तो उन्हों ने पाया कि इसका कारण तक़्वा (ईश्भय, संयम, परहेज़गारी ) की प्रतिबद्धता है।जब ईसाईयों को मुसलमानों की शक्ति के रहस्य का पता चल गया तो वो इस शक्ति को तोड़ने की रणनीति के बारे में सोचना लगे और इसके आधार पर उन्हों ने स्पेन में निःशुल्क शराब और सिगरेट भेजना शुरू कर दिया।पश्चिम के लोगों का यह तरीक़ा (विधि) रंग लाया और अपना परिणाम दिया और स्पेन में मुसलमानों और खासकर युवा पीढ़ी का ईमान (अपने दीन के प्रति आस्था) कमज़ोर होने लगा। इसके परिणाम स्वरूप पश्चिमी केथोलिक ईसाईयों ने पूरे स्पेन को अपने नियंत्रण में कर लिया और उस देश मे मुसलमानों के सत्ता को समाप्त कर दिया जो अठ सौ वर्ष से भी अधिक समय तक स्थापित था। मुसलमानों का अन्तिम क़िला ग़र्नाता प्रथम अप्रेल को पराजित हुवा। इसी कारण उन्हों ने इसे अप्रेल के धोखा (अप्रेल फूल) का अर्थ दिया। उसी वर्ष से आज तक वह इस दिन को मनाते चले आ रहे हैं और मुसलमानों को मूर्ख समझते हैं।वो मूर्खता और आसानी से धोखा देना केवल गरनाता की फौज के अन्दर सीमित नहीं समझते हैं बल्कि इसे समूचित मुस्लिम समुदाय की मूर्खता मानते हैं। और जब हम इन समारोहों में जाते हैं तो यह अज्ञानता (मूर्खता ) का एक प्रकार है, और जब हम इस घातक विचार को खेलने में उनकी अंधी नक़ल करते हैं तो यह एक प्रकार की नक़्क़ाली है जो हम में से कुछ लोगों की उनका अनुसरण करने में बेवक़ूफी और मूर्खता को स्पष्ट करती है। यदि हम इस आयोजन का कारण जानते तो हम अपनी पराजय का कभी भी जश्न न मनाते।अब जबकि हम ने सच्चाई को जान लिया, आईये इस बात का दृढ़ संकल्प करें कि अब हम इस दिन (मूर्खत दिवस) को नहीं मनायें गे। केवल इतना ही नहीं बल्कि हमारे लिए अनिवार्य है कि हम स्पेन के लोगों से सबक़ सीखें, वास्तविक रूप से इस्लाम के आदेशों का पालन करने वाले बन जायें और अपने ईमान (आस्था ) को कभी भी कमज़ोर न होने दें।’’ हमारे लिए इस झूठ की वास्तविकता को जानना इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि इस दिन झूठ बोलने का हुक्म महत्वपूर्ण है, लेकिन यह बात सुनिश्चित है कि इस्लाम की उज्जवल प्राथमिक समय काल में इसका वजूद नहीं था, और न ही इस का प्रारंभिक स्रोत मुसलमान हैं, बल्कि यह उनके दुश्मनों की ओर से निकाली और पैदा की गई।अप्रेल फूल के अवसर पर बहुत सारी दुर्घटनायें घटती हैं, चुनाँचि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें उन के बेटे य्ाा पत्नी य्ाा प्रिय्ाजन की मौत की सूचना दी गई और वह इस सदमे को सहन न कर सका और उसकी मृत्यु हो गई। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें उनकी नौकरी के समाप्त हो जाने, या आग लगने, या उसके किसी घर वाले के दुर्घटना-ग्रस्त हो जाने की सूचना दी जाती है और वह फालिज, या स्ट्रोक या इसके अतिरक्ति किसी अन्य घातक बीमारी का शिकार हो जाता है। तथा किसी से झूठमूट उसकी बीवी के बारे में बात की जाती है और यह कहा जाता है कि वह एक आदमी के साथ देखी गई है जिसके कारण उसे क़त्ल कर दिया जाता है या उसकी तलाक़ हो जाती है।इसी प्रकार अंतहीन कहानियााँ और ऐसी दुर्घटनायें हैं जिनका कोई अन्त नहीं, और यह सब के सब उस झूठ के कारण जन्म लेती हैं जिसे धर्म और बुद्धि वर्जित ठहराते हैं, और सच्ची मुरूअत इसका विरोध करती है, और अल्लाह ही तआला तौफीक़ देने वाला है।( इस्लाम प्रष्न और उŸार साइट के लेख ‘अप्रैल फूल’ का संछिप्त रूप)अनुवादक(अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह)