शुक्रवार, मार्च 28, 2014

नेताओं की वजह से है इन आठ लोकसभा सीटों की पहचान, यहां मुकाबला कड़ा भी और बड़ा भी

नई दिल्ली. देश में कुल 543 सीटें हैं। लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जो नेताओं की वजह से पहचानी जाती हैं। ऐसी ही सीटों पर इस बार उतनी ही दमदार चुनौती भी है। पढ़िए रोचक रिपोर्ट-
अमेठी
राहुल गांधीकांग्रेस
ताकत: कांग्रेस का गढ़ है। राहुल तीसरी बार मैदान में। 1980 से गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है। संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी यहां से सांसद रहे हैं।
कमजोरी: माहौल कांग्रेस के खिलाफ है। 2012 के विधानसभा चुनावों में पांच में से सिर्फ दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी। सांसद संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह तक हार गई थीं।
कुमार विश्वास: आप
ताकत: पिछले तीन महीने से अमेठी में सक्रिय हैं। कवि हैं। इस वजह से भाषा और शब्द प्रवाह उत्तेजित करने वाला है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की पृष्ठभूमि का साथ है। 
कमजोरी: पहली बार चुनाव मैदान में। शहरी इलाके में पहचान है, लेकिन गांवों में पहचान का संकट है। लोगों का विश्वास जीतना कुमार के लिए मुश्किल है।
स्मृति ईरानी: भाजपा (संभावित)
ताकत: टीवी कलाकार होने के नाते घर-घर में 'तुलसी' के तौर पर पहचान। अच्छी वक्ता।
कमजोरी: ग्रामीण इलाकों में पहचान का संकट। भाजपा तीसरे-चौथे नंबर पर है। सपा-बसपा से भी पीछे।
वाराणसी
ताकत: 1991 के बाद से 2004 को छोड़कर भाजपा ही जीती। एनडीए के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी। हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण संभव। 
कमजोरी: बाहरी उम्मीदवार। करीब 17 प्रतिशत के आसपास मुस्लिम वोट हैं। जो थोकबंद विरोध में जा सकते हैं। पिछले चुनावों में भाजपा की जीत का अंतर घटकर 15 हजार रह गया था।
अरविंद केजरीवाल: आप
ताकत: शहरी इलाके में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की वजह से घर-घर में पहचान। साफ-स्वच्छ ईमानदार छवि। 
कमजोरी: कार्यकर्ताओं का मजबूत संगठन नहीं है। पार्टी भी नई ही है। ग्रामीण इलाकों में लोगों में पहचान बनाना आसान नहीं होगा।
मुख्तार अंसारीः (कौमी एकता मंच)
ताकत: 17' मुस्लिम वोटबैंक। इलाके में जाना-पहचाना नाम। पत्नी विधायक है।
कमजोरी: जेल में हैं। दो जगह से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इससे एक सीट पर बहुत ज्यादा ध्यान देंगे, इसकी उम्मीद ज्यादा नहीं।गाजियाबाद
राज बब्बरः कांग्रेस
ताकतः फिल्म अभिनेता होने की वजह से पहचान का संकट नहीं है। अच्छे वक्ता। दबंग छवि।
कमजोरीः कांग्रेस विरोधी माहौल। स्थिति कमजोर है। 25 वर्षों में सिर्फ एक बार कांग्रेस प्रत्याशी जीता है।
जनरल वीके सिंहः भाजपा
ताकतः पूर्व सेना अध्यक्ष है। साफसुथरी छवि। अन्ना हजारे के साथ रहे हैं। 2004 को छोड़कर 1991 से यह सीट भाजपा की रही है।
कमजोरीः राजनीति में नए हैं। पार्टी में ही बाहरी प्रत्याशी के नाम पर विरोध हो रहा है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आप का असर कांग्रेसविरोधी वोट काट सकता है।
शाजिया इल्मीः आप
ताकतः भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का चेहरा। अरविंद केजरीवाल की विश्वस्त सिपहसालार। उनके आंदोलन का केंद्र भी गाजियाबाद ही रहा है।
कमजोरीः भाजपा-कांग्रेस के मुकाबले कार्यकर्ताओं का कमजोर नेटवर्क। खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों को मनाने की दिक्कतें।  
चांदनी चौक
कपिल सिब्बलः कांग्रेस
ताकतः दो बार से सांसद। पिछली बार जीत का अंतर दो लाख का था। यूपीए सरकार के ताकतवर मंत्री। 
कमजोरीः कांग्रेस विरोधी माहौल। विधानसभा चुनावों में इलाके की ज्यादातर सीटों पर पार्टी को हार मिली।  15 प्रतिशत मुस्लिम वोट्स आप और जदयू के शोएब इकबाल में बंट सकते हैं।
हर्षवर्धनः भाजपा
ताकतः दिल्ली में भाजपा का साफ-सुथरा चेहरा। भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं। 
कमजोरीः सीधा मुकाबला आप से रहेगा। पारंपरिक बनिया वोट्स आशुतोष को जा सकते हैं। 
आशुतोषः आप
ताकतः साफ-सुथरा चेहरा। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की पृष्ठभूमि में दिल्ली के विधानसभा चुनावों में पार्टी का हालिया प्रदर्शन। 
कमजोरीः केजरीवाल अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। इससे थोड़ी नाराजगी भी है। आशुतोष की उम्मीदवारी को लेकर आप के कुछ नेताओं में असंतोष है।

रायबरेली
सोनिया गांधीः कांग्रेस
ताकतः कांग्रेस का गढ़। 2004 से सीट पर कब्जा। गांधी परिवार की पारंपरिक सीट। इंदिरा गांधी भी यहां से तीन बार जीती है। 
कमजोरीः 2012 के विधानसभा चुनावों में पांच में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली। पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी है।
उमा भारतीः भाजपा (संभावित)
ताकतः कुशल वक्ता। साध्वी होने के नाते तगड़ी धार्मिक अपील। गांवों में भी पहचान बन सकती है। 
कमजोरीः रायबरेली में भाजपा मजबूत नहीं। अपने बूते इतने कम दिन में जीत हासिल करना मुश्किल।
कानपुर
श्रीप्रकाश जायसवालः कांग्रेस
ताकतः तीन बार से सांसद। कानपुर के स्थानीय नेता। स्थानीय राजनीति पर पकड़ है। 
कमजोरीः 2009 में अंतर 20 हजार वोट रह गया। कोयला घोटाले ने छवि खराब की।
मुरली मनोहर जोशीः भाजपा
ताकतः 35 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर। बसपा व आप के मुस्लिम प्रत्याशी कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाएंगे।
कमजोरीः बाहरी प्रत्याशी। खुद भी कानपुर नहीं जाना चाहते थे। 35 प्रतिशत मुस्लिम वोटर निर्णायक हो सकते हैं।
अमृतसर
अरुण जेटलीः भाजपा
ताकतः 2004 में सिद्धू जीते। तब से भाजपा का गढ़ है। सहयोगी दल अकाली दल से अच्छा तालमेल। उनका भी मिलेगा पूरा सहयोग। 
कमजोरीः पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। अब तक दिल्ली में थे। 'बाहरी' कहा जा रहा है। दो बार के भाजपा सांसद सिद्धू से नाराजी है।
अमरिंदर सिंहः कांग्रेस
ताकतः पटियाला राजघराने के वंशज। दबंग नेता। अच्छा जनाधार। कांग्रेस का गढ़ रही सीट।
कमजोरीः विधानसभा चुनावों में करिश्मा नहीं चला था। कांग्रेस को भाजपा-शिअद ने मात दी थी। 
बेंगलुरू दक्षिण
नंदन नीलेकणिः कांग्रेस
ताकतः इंफोसिस के सह-संस्थापक। शहरी मतदाताओं में जाना-पहचाना नाम। राज्य में भाजपा के खिलाफ माहौल। 
कमजोरीः पहली बार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेता टिकट का विरोध करते रहे। क्षेत्र पर पकड़ कमजोर।
अनंत कुमारः भाजपा
ताकतः 1996 से यहां से सांसद हैं। स्थानीय मुद्दों और राजनीति पर पकड़। सरकार बनी तो मंत्री पद पक्का।
कमजोरीः जीत का अंतर 1.8 लाख से घटकर 35 हजार रह गया है। चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

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