सोमवार, मार्च 31, 2014

यूपी एक छोटा सा कस्बा!

लखनऊ,  एक अफगानिस्तानी गुट तहरीक-ए-तालिबान से प्रशिक्षित पाकिस्तानी युवक शातिर फिदाइन हैं या नौसिखिये आतंकी। पुलिस अभिरक्षा में तीन दिन से चल रही पूछताछ में सुरक्षा एजेंसियों को इसका माकूल जवाब नहीं मिल पाया है। लिहाजा अब झूठ पकड़ने वाली मशीन के जरिए उनसे सच उगलवाने की तैयारी है।
गोरखपुर रेलवे स्टेशन के करीब से गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी अब्दुल वलीद व फहीम यूपी पुलिस की आतंकवाद निरोधक इकाई [यूपी एटीएस] की अभिरक्षा में हैं, जहां उनसे पूछताछ हो रही है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों में एक कक्षा आठ व दूसरा मैट्रिक फेल है। दोनों पाकिस्तान के निम्न आर्थिक आय वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं फिर भी वे बेहद चतुराई से सवालों को टाल रहे हैं।
सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो आतंकियों ने कई बार दोहराया है कि वह यूपी को एक छोटा सा कस्बा और गोरखपुर को एक मोहल्ला समझते थे, जहां उन्हें अज्ञात व्यक्ति टारगेट देने वाला था। जिसका हुलिया और पहचान का कोड उनके पास था। इसके अलावा वे यूपी के दूसरे शहरों के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। आतंकियों के ऐसे जवाबों से जांच अधिकारी भौचक हैं।
गिरफ्तार आतंकियों ने यह जरूर बताया है कि उन्होंने दो वर्ष पहले तहरीक-ए-तालिबान के शिविर से शस्त्र चलाने व कंप्यूटर चैटिंग का प्रशिक्षण लिया था। उनके जैसे कई सौ पाकिस्तानी युवक भी अफगानिस्तान के शिविरों से असलहा चलाने, खुद को छिपाने और जांच एजेंसियों को गुमराह करने का प्रशिक्षण ले चुके हैं। अलकायदा से जुड़े कुछ खतरनाक आतंकी ऐसे युवकों के दिल में समय-समय पर भारत के प्रति नफरत भरकर उन्हें नेपाल के रास्ते घुसपैठ कराने की मुहिम चलाते हैं। सूत्रों का कहना है कि पूछे गए सवालों के आतंकी जिस अंदाज में जवाब दे रहे हैं, उससे जांच अधिकारी खुद ही सवालों में उलझ रहे हैं। साफ नहीं हो पा रहा है कि ये दोनों शातिर फिदाइन या नौसिखिए हैं। अधिकारियों को यह सवाल भी मथ रहा है कि अगर ये दोनों भारत में घुसते ही गोरखपुर में धर लिए गए और यूपी को कस्बे के रूप में जानते हैं तो फिर इनका गाइड कौन था। उस गाइड का आका कौन है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इसमें तो कोई संदेह नहीं है इन दोनों को निहत्थे व्यक्तियों पर हमला करना था। निशाना पुलिस हो सकती है। रैली, भीड़ और सैलानियों भी हो सकते हैं। इनमें से किसी को भी खारिज नहीं किया जा सकता है।

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