
लोगों को राहत दिलाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश से 15 मार्च को लखनऊ में मुलाकात कर जनता की मुश्किलों से उन्हें अवगत कराया। राच्य सरकार से जैन ने बुंदेलखंड में हुई क्षति की आकलन रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने का आग्रह भी किया। ताकि बुंदेलखंड के किसानों, दीन-हीन व जरुरतमंद लोगों को व्यावहारिक रूप से आर्थिक मदद मुहैया कराई जा सके।
राच्य सरकार का ज्ञापन न मिलने से केंद्रीय टीम मौके पर हुए नुकसान का जायजा लेने नहीं जा सकी। लिहाजा राहत पैकेज का मसौदा तक तैयार नहीं हो सका है। जैन ने मुख्यमंत्री को सौंपे अपने पत्र में बुंदेलखंड में हुई प्रलयंकारी ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान का विस्तार से ब्योरा भी दिया है। इससे जहां खेती को नुकसान हुआ है, वहीं जन धन व पशुधन का भी भारी नुकसान हुआ है। भारी बरसात और ओला पड़ने से कच्चे मकान ध्वस्त हो गए हैं। लेकिन राच्य सरकार के कान पर अभी तक जूं नहीं रेंगी है। ग्रामीण राच्य मंत्री जैन ने चुनाव प्रचार छोड़कर इस बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से भी मुलाकात कर बुंदेलखंड के लोगों का दुख दर्द सुनाया। लेकिन राच्य सरकार की चिट्ठी न आने से केंद्र के हाथ भी बंधे हैं। हैरानी इस बात की भी है कि मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के लिए वहां की राच्य सरकार के ज्ञापन पर केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। केंद्र सरकार से उसके लिए राहत की घोषणा भी कर दी गई। लेकिन उत्तर प्रदेश वाले हिस्से के लोग राहत तो दूर नुकसान का जायजा लेने वालों की राह तक रहे हैं।
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