गुरुवार, मार्च 27, 2014

मोदी ने किया करारा हमला, पर जीत केजरीवाल की हुई!

केजरी पर हमले के लिए कश्मीर का इस्तेमालदो योद्धाओं की दिलचस्प जंग



मैदान-ए-जंग कई दिनों से तैयार था। अपने लश्कर और हथियारों के साथ दोनों योद्धा भी मैदान में मौजूद थे। लेकिन जंग में वो बात नहीं थी। एक योद्धा दूसरे पर लगातार हमले कर रहा था और दूसरा उसे नजरअंदाज कर रहा था।

दरअसल, इसकी वाजिब वजह भी थी। बार-बार, लगातार हमले करने वाले योद्धा नया है और इस मैदान में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था। और दूसरा सिपहसालार कई दिनों से मौजूद है और इस बार की जंग में उसके जीत की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।

लेकिन नए योद्धा ने ऐसी रणनीति अपनाई कि पुराने योद्धा को कई दिनों तक चुप्पी साधने के बावजूद आखिरकार नए योद्धा पर हमला बोलना ही पड़ा। और हैरानी की बात है कि हमले से फायदा पुराने नहीं, बल्कि नए योद्धा को हुआ। हम यहां चर्चा कर रहे हैं भाजपा के पीएम पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की।

कांग्रेस छोड़, मोदी पर निशाना क्यों?

दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत मिलने तक आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के निशाने पर कांग्रेस थी। लेकिन दिल्ली की गद्दी पर 49 दिन गुजारने के बाद जब उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर पद से इस्तीफा दिया, तो यह साफ हो गया कि अगला हमला भाजपा और नरेंद्र मोदी पर होगा।

जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ भी कर दिया। केजरीवाल ने कहा, "कांग्रेस का पत्ता देश से साफ हो रहा है और विकल्प के तौर पर मोदी को पेश किया जा रहा है, लेकिन उनमें और कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है।"

इस बयान से शुरुआत हुई मोदी पर केजरीवाल के हमलों की। पहले मुकेश अंबानी, फिर अडानी, गैस कीमतें और उनके जरिए निशाना मोदी पर। कानपुर की रैली हो या गुजरात दौरा, मीडिया से बातचीत हो या 16 सवालों की फेहरिस्त लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री से मुलाकात की कोशिश, फोकस \\

मोदी ने पहली बार किया हमला

लेकिन यह सिलसिला 25 मार्च तक चला। अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की ओर से हो सिलेसिलेवार हमलों ने आखिरकार नरेंद्र मोदी का सब्र भी खत्म कर दिया। 26 मार्च को कुछ ऐसा हुआ, जिसकी उम्मीद खुद भाजपा ने नहीं की होगी।

माता वैष्‍णो के दर्शन कर नीचे उतरे नरेंद्र मोदी ने जम्मू के बाहरी इलाके पर बसे हीरा नगर में चुनावी रैली को संबोधित किया और पहली बार अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला बोला।

हालांक‌ि, इस हमले के लिए उन्होंने पाकिस्तान का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, "तीन एके ऐसे हैं, जो पाकिस्तान के एजेंट हैं। पहला, एके-47 (राइफल)। दूसरा (रक्षा मंत्री) एके एंटनी, जो पाकिस्तानी सेना के हमले को सैन्य वर्दी में आए आतंकी बताते हैं और तीसरे, एके-49 (अरविंद केजरीवाल) जिन्होंने हाल में अपनी पार्टी बनाई है। उनकी वेबसाइट पर कश्मीर पाकिस्तान में दिखता है। इनके साथ कश्मीर पर जनमत संग्रह कराने की बात करते हैं।"

हमले का फायदा केजरीवाल को ज्यादा?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के इस हमले से अर‌विंद केजरीवाल का ही फायदा हुआ है। दरअसल, वो खुद चाहते थे कि मोदी उनके बारे में कुछ कहें, क्योंकि अब तक उन्होंने दिल्ली के पूर्व सीएम को पूरी तरह नजरअंदाज कर रखा था।

इससे पहले बुधवार सवेरे केजरीवाल ने गुजरात दौरे पर जो 16 सवाल पूछ थे, मोदी सरकार के प्रवक्ता ने उन सभी का जवाब दिया और आम आदमी पार्टी के नेता को राजनीतिक रोटियां सेंकने वाला झूठा करार दिया। कुछ मिलाकर यह साफ हो गया कि भाजपा और नरेंद्र मोदी अब केजरीवाल को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

भाजपा अपनी और गुजरात के सीएम की चुप्पी के सहारे ये जताने की कोशिश करती आई है कि उसका सियासी मुकाबला कांग्रेस से है और आम आदमी पार्टी उसके लिए कोई चुनौती नहीं है। मुमकिन है कि लोकसभा चुनावों में जमीनी स्तर पर वाकई मुकाबला भाजपा-कांग्रेस का हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि केजरीवाल ने अपनी जगह तेजी से बनाई है।

केजरीवाल ने आगे बढ़ाई बातचीत

पहले गुजरात सरकार के बयान और उसके बाद जम्मू में मोदी के हमले के बावजूद केजरीवाल नहीं रुके। उन्होंने नया एंगल देते हुए मोदी से बातचीत को आगे ले जाने की कोशिश की। और जरिया चुना सोशल मीडिया का।

केजरीवाल ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, "क्या मोदीजी ने मुझे पाकिस्तान का एजेंट कहा? क्या पीएम के दावेदार को यह भाषा इस्तेमाल करनी चाहिए। मोदीजी मुद्दों की बात क्यों नहीं करते? मुद्दों की राजनीति क्यों नहीं करते? वो खुली बहस की चुनौती को बार-बार नजरअंदाज क्यों करते हैं?"

आम आदमी पार्टी के नेता ने उन्हें गैस की कीमतों पर घेरने की कोशिश की। उन्होंने लिखा, "वो गैस कीमतों और गुजरात के फर्जी विकास पर क्यों नहीं बोलते? किसानों की आत्महत्या पर क्यों नहीं बोलते? और वो मेरे खिलाफ इस तरह की भाषा इस्तेमाल करते हैं। यह तो ‌ठीक नहीं है।"

केजरी पर हमले के लिए कश्मीर का इस्तेमाल

जाहिर है, नरेंद्र मोदी ने भले पाकिस्तान और कश्मीर के हवाले से, लेकिन पहली बार अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला बोला है, तो सुर्खियां भी बनेंगी और जंग आगे और तीखी भी होगी।

भाजपा को यह समझ आ गया है कि अगर चुनाव जीतना है, तो कांग्रेस के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोलना होगा। हालांकि, मोदी की रणनीति शायद कुछ अलग है। वो गैस की कीमतों पर अडानी-अंबानी से जुड़े सवालों पर केजरीवाल को जवाब नहीं देना चाहते। ऐसा करने से उन्हें ज्यादा दिक्कत होगी।

केजरीवाल पर हमला बोलने के लिए मोदी ने कश्मीर का तीर चुना, जिसका निशाना सीधा लगा होगा। और वो उम्मीद कर रहे हैं कि इसका असर जम्मू से लेकर काशी तक हो, जहां उन्हें चुनाव में एके49 से भिड़ना है। जी हां, एके49 से!

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