शनिवार, मार्च 29, 2014

ब्रजभूमि: कसौटी पर ड्रीम गर्ल से लेकर डिंपल तक

देखनी होगी सपा की साइकिल की रफ्तार


कन्हैया के ब्रज में सियासी चौसर बिछ गई है। इसी रणांगन में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को एक बार फिर से अपनी धमक कायम करने की चुनौती है।

मैनपुरी से वे खुद तो मैदान में हैं ही, उनकी बहू व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव इत्र नगरी कन्नौज से लगातार दूसरी बार संसद में पहुंचना चाहती हैं।

चूड़ियों के शहर फीरोजाबाद से रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव पहली बार मैदान में हैं।

यादव की प्रतिष्ठा न सिर्फ 12 सीटों में पुरानी चार सीटें बचाने पर लगी हैं बल्कि पूरे प्रदेश से 60 सीटें जीतने का लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने इलाके से ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने का तगड़ा दबाव भी है।

इस क्षेत्र में सपा के पास चार, कांग्रेस के पास तीन, रालोद के पास दो और भाजपा व बसपा के पास एक-एक सीट है। कल्याण सिंह पिछला चुनाव एटा से बतौर निर्दलीय जीते थे।

ड्रीम गर्ल से है उम्मीद

नरेंद्र मोदी की भाजपा भी ब्रजभूमि से बड़ी उम्मीद लगाए बैठी है। इस क्षेत्र में पार्टी के पास केवल ताजनगरी आगरा की सुरक्षित सीट है। यहां से प्रो. रामशंकर कठेरिया सांसद हैं।

शायद यही वजह है कि एक-एक सीट के महत्व को देखते हुए भाजपा ने रालोद मुखिया अजित सिंह के पुत्र व मथुरा से सांसद जयंत चौधरी की सीट छीनने के लिए अपनी स्टार प्रचारक सिने तारिका हेमामालिनी को उतार दिया है।

हेमा ब्रजनगरी में भावनात्मक प्रचार का सहारा ले रही हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि वह खुद को मथुरा से बाहर की नहीं मानती हैं, वह कृष्‍ण की भक्‍त हैं।

कल्याण की प्रतिष्ठा का सवाल

ब्रज अंचल से पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कल्याण सिंह की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है।

भाजपा ने एटा से कल्याण सिंह की जगह उनके बेटे राजवीर सिंह को टिकट दिया है तो फर्रुखाबाद से भाजपा प्रत्याशी बने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश राजपूत भी उन्हीं की पसंद हैं।

राजवीर और मुकेश दोनों ही पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।

भाजपा में आने के बाद कल्याण सिंह को इस क्षेत्र में मुलायम सिंह के सामने ज्यादा सीटें जिताकर अपनी ताकत दिखाने का पहला मौका है। वे एक बार फिर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए हैं।

नेता पत्नियों की होगी टक्कर

ताजनगरी आगरा की फतेहपुर सीकरी सीट पर सभी प्रमुख दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।

भदावर स्टेट के राजा व प्रदेश के स्टांप शुल्क एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के मंत्री महेंद्र अरिदमन सिंह ने अपनी पत्नी पक्षालिका सिंह को यहां से सपा प्रत्याशी बनवाया है।

यह सीट इस समय पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय के कब्जे में है।

सीमा को बसपा ने दोबारा प्रत्याशी बनाया है। इसी सीट पर रालोद मुखिया अजित सिंह ने वरिष्ठ नेता अमर सिंह को उतारा है।

सलमान खुर्शीद पर लगा दांव

‘पोटेटो सिटी’ (आलू का शहर) के नाम से मशहूर फर्रुखाबाद से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

खुर्शीद 1991 के बाद 2009 का लोकसभा चुनाव यहां से जीते थे। सपा ने यहां से अपने विधायक रामेश्वर सिंह यादव को आजमाया है तो बसपा ने पूर्व मंत्री जयवीर सिंह पर दांव लगाया है।

भाजपा ने खुर्शीद को घेरने के लिए कल्याण सिंह के खास मुकेश राजपूत को उतारा है। 

क्या है 'आप' की तैयारी

आम आदमी पार्टी ने फिलहाल मुख्यमंत्री की पत्नी व सांसद डिंपल यादव की सीट कन्नौज तथा हरदोई व अकबरपुर सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है। बाकी सभी नौ सीटों पर प्रत्याशी मैदान में आ गए हैं।

सपा मुखिया मुलायम सिंह के सामने पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे बाबा हरदेव ने मोर्चा संभाल लिया है।

बसपा ने सपा मुखिया के सामने राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ. संघमित्रा मौर्या को उतारा है।

इन पर होंगी निगाहें

मुलायम सिंह यादव, सलमान खुर्शीद, हेमा मालिनी, जयंत चौधरी, रामजी लाल सुमन, प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया, रानी पक्षालिका सिंह, सीमा उपाध्याय, अमर सिंह, अक्षय यादव, राजवी‌र सिंह, डिंपल यादव, राजाराम पाल, प्रेमदास कठोरिया, संघमित्रा मौर्या, बाबा हरदेव।

इस बार नहीं दिखेंगे ये
कल्याण सिंह- इस बार कल्याण सिंह खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस बार उन्होंने अपनी सीट से बेटे राजवीर को उतारा है।

सारिका सिंह बघेल- पिछली बार चुनाव उन्होंने रालोद से जीता था। चुनाव घोषणा से पहले ही वह सपा में चली गईं थीं। सपा ने उन्हें टिकट भी दिया लेकिन बाद में उनके पति की सपा मुखिया के खिलाफ टिप्पणी को लेकर उनका टिकट काट दिया गया।

राज बब्बर-
 इस बार राज बब्बर इस सीट से नहीं बल्कि गाजियाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

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