केजरीवाल पर सीधे हमले की वजह
अरविंद केजरीवाल अरसे से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने अपनी तरफ से तमाम कोशिशें कर ली थीं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। जब मिली, तो ऐसी कि उन्हें भी यकीन नहीं हुआ।
बीते कई महीनों से सार्वजनिक स्तर पर केजरीवाल के हमलों और उनकी मौजूदगी को नजरअंदाज करते रहे नरेंद्र मोदी ने आखिरकार उनकी उपस्थिति पर गौर किया और जवाबी फायरिंग की। हमला करने के लिए उन्होंने पहले जम्मू को चुना, फिर दिल्ली को।
कुछ जानकारों का मानना है कि मोदी को केजरीवाल पर इस तरह से हमला नहीं करना चाहिए था और जिस तरह अब तक वो उन्हें नजरअंदाज कर रहे थे, आगे भी करते तो फायदा होता। लेकिन मोदी नौसिखिया नहीं हैं। 12 साल से एक सूबे की कुर्सी संभाल रहे हैं। अगर उन्होंने केजरीवाल पर सीधा हमला बोला, तो उसकी कई वजह हैं। जानना चाहते हैं आप?
बीते कई महीनों से सार्वजनिक स्तर पर केजरीवाल के हमलों और उनकी मौजूदगी को नजरअंदाज करते रहे नरेंद्र मोदी ने आखिरकार उनकी उपस्थिति पर गौर किया और जवाबी फायरिंग की। हमला करने के लिए उन्होंने पहले जम्मू को चुना, फिर दिल्ली को।
कुछ जानकारों का मानना है कि मोदी को केजरीवाल पर इस तरह से हमला नहीं करना चाहिए था और जिस तरह अब तक वो उन्हें नजरअंदाज कर रहे थे, आगे भी करते तो फायदा होता। लेकिन मोदी नौसिखिया नहीं हैं। 12 साल से एक सूबे की कुर्सी संभाल रहे हैं। अगर उन्होंने केजरीवाल पर सीधा हमला बोला, तो उसकी कई वजह हैं। जानना चाहते हैं आप?
अब मुमकिन नहीं था नजरअंदाज करना
आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने बीते कई दिनों से अपना फोकस भ्रष्टाचार से मोदी की तरफ शिफ्ट किया हुआ था, ऐसे में मोदी के लिए उन्हें अब और नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं रह गया था।
इसकी एक वजह यह भी है कि अगर केजरीवाल दिल्ली से मोदी पर हमला बोलते तो सही था, लेकिन अब वो बनारस में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनके खिलाफ हमला मोदी के लिए शायद जरूरी हो गया था।
लेकिन यह रहस्य कायम था कि मोदी आखिरकार केजरीवाल की चुनौती का जवाब कब, कहां और किस अंदाज में देंगे? उन्हें ऐसा पहले करने की जरूरत भी नहीं थी, क्योंकि दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा देने से पहले केजरीवाल खुद मोदी पर सीधे तौर पर बात करने से बचते रहे थे।
इसकी एक वजह यह भी है कि अगर केजरीवाल दिल्ली से मोदी पर हमला बोलते तो सही था, लेकिन अब वो बनारस में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनके खिलाफ हमला मोदी के लिए शायद जरूरी हो गया था।
लेकिन यह रहस्य कायम था कि मोदी आखिरकार केजरीवाल की चुनौती का जवाब कब, कहां और किस अंदाज में देंगे? उन्हें ऐसा पहले करने की जरूरत भी नहीं थी, क्योंकि दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा देने से पहले केजरीवाल खुद मोदी पर सीधे तौर पर बात करने से बचते रहे थे।
हमले की मोदी की अपनी रणनीति
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी को केजरीवाल को नजरअंदाज करते हुए उन्हें और उनकी पार्टी को 'छापामार स्टाइल' में चुनौती देनी चाहिए थी और उन पर व्यक्तिगत या सीधे हमले से बचना चाहिए था।
लेकिन मोदी ने सभी को चौंका दिया। उन्होंने केजरीवाल पर सीधा हमला बोला और उन्हें पाकिस्तान का एजेंट करार देते हुए एके49 की संज्ञा दे डाली। यह हमला उस दिन किया गया, जब गुजरात सरकार ने AAP नेता के सवालों के सिलसिलेवार जवाब दिए।
यह कोई संयोग नहीं है। मोदी निश्चित तौर पर केजरीवाल पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति बना रहे थे। और उन्होंने जो योजना बनाई, वो छापामार स्टाइल से पूरी तरह अलग है।
लेकिन मोदी ने सभी को चौंका दिया। उन्होंने केजरीवाल पर सीधा हमला बोला और उन्हें पाकिस्तान का एजेंट करार देते हुए एके49 की संज्ञा दे डाली। यह हमला उस दिन किया गया, जब गुजरात सरकार ने AAP नेता के सवालों के सिलसिलेवार जवाब दिए।
यह कोई संयोग नहीं है। मोदी निश्चित तौर पर केजरीवाल पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति बना रहे थे। और उन्होंने जो योजना बनाई, वो छापामार स्टाइल से पूरी तरह अलग है।
कश्मीर से केजरीवाल पर हमला
गुजरात में उनकी सरकार और पार्टी रणनीतिकारों ने जहां 'मुख्यधारा' के हमलों (गुजरात के विकास मॉडल संबंधी सवाल) से बचाने के लिए मोदी के आगे कवच तैयार किया, वहीं खुद मोदी ने उन मुद्दों को लेकर आम आदमी पार्टी नेता पर हमला किया, जिनसे वो खुद बचना चाहते हैं। कश्मीर ऐसा ही मामला है।
यही वजह है कि गुजरात सरकार आंकड़े और शीर्ष अदालत की तारीफ सामने लाई, वहीं मोदी ने केजरीवाल पर हमला बोलते वक्त वो मुद्दा उठाया, जो उनके एजेंडे में शामिल नहीं है।
मीडिया काफी वक्त से सवाल उठा रहा था कि मोदी चुप क्यों हैं और केजरीवाल से सीधे टक्कर क्यों नहीं ले रहे? अगर ऐसा होता, तो केजरीवाल के एजेंडे पर बात होती। लेकिन मोदी ने चतुराई दिखाई। उन्होंने नया एजेंडा लपका और हमला बोल दिया।
यही वजह है कि गुजरात सरकार आंकड़े और शीर्ष अदालत की तारीफ सामने लाई, वहीं मोदी ने केजरीवाल पर हमला बोलते वक्त वो मुद्दा उठाया, जो उनके एजेंडे में शामिल नहीं है।
मीडिया काफी वक्त से सवाल उठा रहा था कि मोदी चुप क्यों हैं और केजरीवाल से सीधे टक्कर क्यों नहीं ले रहे? अगर ऐसा होता, तो केजरीवाल के एजेंडे पर बात होती। लेकिन मोदी ने चतुराई दिखाई। उन्होंने नया एजेंडा लपका और हमला बोल दिया।
आम आदमी पार्टी को गहरा घाव
अरविंद केजरीवाल अंबानी और अडानी का नाम लेकर कई दिन से मोदी को कॉरपोरेट घरानों का करीबी और उनका एजेंट बता रहे थे। मोदी ने कश्मीर का संवेदनशील मामला उठाते हुए केजरीवाल को पाकिस्तान का एजेंट बताया।
यह जोरदार हमला था, जिसमें आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को ऐसे तत्व बताने की कोशिश की गई, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। जाहिर है, जम्मू से यह संदेश देते वक्त भाजपा के पीएम पद के दावेदार के दिमाग में काशी भी रही होगी।
अब आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को इस गंभीर आरोप पर जवाब देना होगा, जिसका यह मतलब हुआ कि उन्हें मोदी के हिसाब से चाल चलनी होगी। अगर ऐसा न हुआ, तो मोदी दोबारा यह मामला उठाएंगे। कुल मिलाकर टॉस आम आदमी पार्टी ने जीता, लेकिन मोदी ने भी गुगली फेंककर शुरुआत की!
अरविंद केजरीवाल अंबानी और अडानी का नाम लेकर कई दिन से मोदी को कॉरपोरेट घरानों का करीबी और उनका एजेंट बता रहे थे। मोदी ने कश्मीर का संवेदनशील मामला उठाते हुए केजरीवाल को पाकिस्तान का एजेंट बताया।
यह जोरदार हमला था, जिसमें आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को ऐसे तत्व बताने की कोशिश की गई, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। जाहिर है, जम्मू से यह संदेश देते वक्त भाजपा के पीएम पद के दावेदार के दिमाग में काशी भी रही होगी।
अब आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को इस गंभीर आरोप पर जवाब देना होगा, जिसका यह मतलब हुआ कि उन्हें मोदी के हिसाब से चाल चलनी होगी। अगर ऐसा न हुआ, तो मोदी दोबारा यह मामला उठाएंगे। कुल मिलाकर टॉस आम आदमी पार्टी ने जीता, लेकिन मोदी ने भी गुगली फेंककर शुरुआत की!
यह जोरदार हमला था, जिसमें आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को ऐसे तत्व बताने की कोशिश की गई, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। जाहिर है, जम्मू से यह संदेश देते वक्त भाजपा के पीएम पद के दावेदार के दिमाग में काशी भी रही होगी।
अब आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को इस गंभीर आरोप पर जवाब देना होगा, जिसका यह मतलब हुआ कि उन्हें मोदी के हिसाब से चाल चलनी होगी। अगर ऐसा न हुआ, तो मोदी दोबारा यह मामला उठाएंगे। कुल मिलाकर टॉस आम आदमी पार्टी ने जीता, लेकिन मोदी ने भी गुगली फेंककर शुरुआत की!
जम्मू में हमला अलग, दिल्ली में अलग
नरेंद्र मोदी राजनीति में नए नहीं हैं और तमाम कामयाबी के बावजूद केजरीवाल को सियासत के कई सबक सीखने हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री ने सवेरे जहां कश्मीर मुद्दे को लेकर केजरीवाल को लपेटा, वहीं शाम को नया दांव खेला।
दिल्ली की रैली में उन्होंने आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की बी टीम करार दिया। भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद यह आरोप लगाती रही थी, लेकिन लोकसभा चुनावों के मौसम में यह इल्जाम कहीं ठंडे बस्ते में चला गय था।
मोदी ने यह मुद्दा फिर उठाकर दिल्ली में भगवा दल को हमला बोलने का नया जोश भी दिया है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनावों के करीब आते-आते यह दिलचस्प जंग और क्या-क्या रंग दिखाती है!
नरेंद्र मोदी राजनीति में नए नहीं हैं और तमाम कामयाबी के बावजूद केजरीवाल को सियासत के कई सबक सीखने हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री ने सवेरे जहां कश्मीर मुद्दे को लेकर केजरीवाल को लपेटा, वहीं शाम को नया दांव खेला।
दिल्ली की रैली में उन्होंने आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की बी टीम करार दिया। भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद यह आरोप लगाती रही थी, लेकिन लोकसभा चुनावों के मौसम में यह इल्जाम कहीं ठंडे बस्ते में चला गय था।
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दिल्ली की रैली में उन्होंने आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की बी टीम करार दिया। भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद यह आरोप लगाती रही थी, लेकिन लोकसभा चुनावों के मौसम में यह इल्जाम कहीं ठंडे बस्ते में चला गय था।
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