राजनाथ और गडकरी के हाथों में कमान
भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर उत्तराखंड और झारखंड की राज्य सरकारें हैं। उत्तराखंड में भाजपा का ऑपरेशन सतपाल महाराज और झारखंड में दो झामुमो विधायकों का भाजपा में शामिल होना इसकी शुरुआत है।
भाजपा की नजर दिल्ली में भी अपनी सरकार बनाने पर है। लेकिन अपनी रणनीति को अमली जामा भाजपा लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में अपने नेतृत्व वाली सरकार बनने पर पहनाएगी।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी खुद इस रणनीति की कमान संभाल रहे हैं।
भाजपा की नजर दिल्ली में भी अपनी सरकार बनाने पर है। लेकिन अपनी रणनीति को अमली जामा भाजपा लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में अपने नेतृत्व वाली सरकार बनने पर पहनाएगी।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी खुद इस रणनीति की कमान संभाल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद पलट सकता है पासा
सतपाल महराज से पहले भाजपा द्वारा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर भी डोरे डाले गए थे।
सतपाल महाराज की विधायक पत्नी अमृता रावत समेत करीब आधा दर्जन विधायकों को सतपाल महाराज समर्थक माना जाता है। लेकिन विधायक अभी दल बदल के लिए राजी नहीं हैं। वह लोकसभा चुनावों के नतीजों तक रुकना चाहते हैं।
रणनीति है कि केंद्र में यदि भाजपा नेतृत्व की सरकार बनती है तो बगावत करके सतपाल महाराज समर्थक सभी विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे। ऐसा होते ही विधानसभा में कांग्रेस अल्पमत में और भाजपा बहुमत में आ जाएगी।
तब भाजपा सरकार बना कर खाली विधानसभा सीटों पर इस्तीफा देने वाले विधायकों को भाजपा का टिकट देकर चुनाव जिताकर राज्य में भाजपा सरकार को मजबूत और स्थिर बना दिया जाएगा।
सतपाल महाराज की विधायक पत्नी अमृता रावत समेत करीब आधा दर्जन विधायकों को सतपाल महाराज समर्थक माना जाता है। लेकिन विधायक अभी दल बदल के लिए राजी नहीं हैं। वह लोकसभा चुनावों के नतीजों तक रुकना चाहते हैं।
रणनीति है कि केंद्र में यदि भाजपा नेतृत्व की सरकार बनती है तो बगावत करके सतपाल महाराज समर्थक सभी विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे। ऐसा होते ही विधानसभा में कांग्रेस अल्पमत में और भाजपा बहुमत में आ जाएगी।
तब भाजपा सरकार बना कर खाली विधानसभा सीटों पर इस्तीफा देने वाले विधायकों को भाजपा का टिकट देकर चुनाव जिताकर राज्य में भाजपा सरकार को मजबूत और स्थिर बना दिया जाएगा।
हरीश रावत और विजय बहुगुणा पर भी डाले थे डोरे
भाजपा के एक नेता के मुताबिक उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से हुई हार को पार्टी नेतृत्व अभी तक पचा नहीं पाया है।
इसलिए जब कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया और हरीश रावत नाराज होकर घर बैठ गए तब तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने रावत से मुलाकात भी की थी। लेकिन रावत ने भाजपा का साथ देने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद जब बहुगुणा को बदलने की मुहिम कांग्रेस में चल रही थी तब विजय बहुगुणा से संपर्क साधकर भाजपा नेताओं ने उन्हें सहारा देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन बात नहीं बनी और इसकी भनक कांग्रेस नेतृत्व और खुद राहुल गांधी को लग गई।
भाजपा की रणनीति कामयाब होती इसके पहले ही कांग्रेस नेतृत्व ने बहुगुणा को हटाकर रावत को कमान सौंप दी। इसके बाद भाजपा रणनीतिकारों ने नाखुश सतपाल महाराज पर डोरे डाले।
इसलिए जब कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया और हरीश रावत नाराज होकर घर बैठ गए तब तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने रावत से मुलाकात भी की थी। लेकिन रावत ने भाजपा का साथ देने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद जब बहुगुणा को बदलने की मुहिम कांग्रेस में चल रही थी तब विजय बहुगुणा से संपर्क साधकर भाजपा नेताओं ने उन्हें सहारा देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन बात नहीं बनी और इसकी भनक कांग्रेस नेतृत्व और खुद राहुल गांधी को लग गई।
भाजपा की रणनीति कामयाब होती इसके पहले ही कांग्रेस नेतृत्व ने बहुगुणा को हटाकर रावत को कमान सौंप दी। इसके बाद भाजपा रणनीतिकारों ने नाखुश सतपाल महाराज पर डोरे डाले।
दिल्ली पर भी भाजपा की नजरें
इसी तरह भाजपा झारखंड में भी झामुमो कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की रणनीति पर काम कर रही है। झामुमो के दो विधायकों को अपने पाले में खींच कर भाजपा ने सरकार के बहुमत के आंकड़े को कमजोर कर दिया है।
लोकसभा चुनावों के बाद बदले माहौल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दबाव में लेकर भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनवाने की कोशिश होगी।
जबकि दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने में नाकामयाब रही भाजपा ने नैतिकता की दुहाई देकर जोड़तोड़ की राजनीति से अबतक खुद को दूर रखा है। लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए जरूरी चार विधायकों का जुगाड़ करने की हर मुमकिन कोशिश करेगी।
लोकसभा चुनावों के बाद बदले माहौल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दबाव में लेकर भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनवाने की कोशिश होगी।
जबकि दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने में नाकामयाब रही भाजपा ने नैतिकता की दुहाई देकर जोड़तोड़ की राजनीति से अबतक खुद को दूर रखा है। लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए जरूरी चार विधायकों का जुगाड़ करने की हर मुमकिन कोशिश करेगी।
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