मंगलवार, मार्च 11, 2014

पाकिस्तान में दूसरी शादी के लिए पत्नी की सहमति जरूरी नहीं

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संवैधानिक संस्था ने सरकार को धार्मिक मसले पर दी एक सलाह में कहा कि एक व्यक्ति को दूसरी शादी करने के लिए पत्नी की सहमति की जरूरत नहीं है। इस पर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
इस्लामी विचारधारा की परिषद (सीआइआइ) ने कहा कि पहली पत्नी के रहते शौहर की दूसरी शादी के संबंध में पाकिस्तानी कानून धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ हैं। इस मसले पर बैठक के बाद सोमवार को परिषद के चेयरमैन मौलाना मुहम्मद खान शिरनी ने कहा कि शरीयत कानून में पुरुषों को एक से अधिक पत्नी रखने की अनुमति है। हमने सरकार से कानून में संशोधन किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दूसरी शादी से पूर्व पहली पत्नी से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि मुस्लिम परिवार कानून 1961 के तहत ऐसा करने के लिए मौजूदा पत्नी से अनुमति लेनी जरूरी है। परिषद की इस्लामाबाद में बैठक हुई जिसमें देश में मौजूदा परिवार कानूनों का विश्लेषण किया गया। शिरनी ने कहा कि मौजूदा परिवार कानून इस्लामी शरीयत के विपरीत हैं। हमने सरकार से निकाह, तलाक, वयस्कता और इच्छा से संबंधित उदार कानूनों यानी शरीयत तैयार करने का आग्रह किया है। सीआइआइ के इस कदम की देशभर में सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के प्रमुख विश्लेषक जाहिद हुसैन ने ट्वीट में कहा कि लगता है कि तालिबान पहले ही हावी हो गया है। एक सामाजिक कार्यकर्ता निलोफर आफरीदी काजी ने ट्वीट किया कि सीआइआइ महिलाओं को शक्तिहीन बना रही है।

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