फतेहपुर सीकरी । आगरा के फतेहपुर सीकरी में मुगल सम्राट अकबर व राणा सांगा की कहानी व कृतियों को सुनने और देखने वालों की भीड़ तो बढ़ रही है, लेकिन ग्लैमरस चेहरों के मैदान में होने के बावजूद सियासी सन्नाटा नहीं टूट रहा है। यहां के लोगों के मन का सागर उदासी का बांध तोड़ नहीं सका है। इलाके का विस्तार चंबल के खादर तक है। बीहड़ों में पहले जैसे दस्यु तो नहीं हैं, हालांकि बढ़ती बेरोजगारी ने एक बार फिर किडनैपरों की नई फसल उगा दी है। पानी के लिए लंबे अरसे से तरस रहे इस इलाके के एक बड़े हिस्से को अब किसी भगीरथ का इंतजार है। सियासी सूरमाओं से नाउम्मीद हो चुके चेहरों को देखकर यही लगता है कि फतेहपुर सिकरी के बुलंद दरवाजे को पार कर दिल्ली पहुंचना बहुत आसान नहीं है।
आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मलपुरा कस्बे में प्रात: दस बजे पहुंचने पर आभास हुआ कि लोग-बाग रोजी रोटी में ज्यादा रमे हैं। सांसद और बसपा उम्मीदवार सीमा उपाध्याय आने वाली हैं, इसलिए समर्थक तैयारी में लगे हैं। कस्बे में शौचालय, जल जमाव, जल निकास जैसी बुनियादी समस्याएं हैं। दुकानदार कृष्णमुरारी अग्रवाल पूछने पर भी कुछ खास कहने से बचते हैं। इतना जरूर कहते कि किसी ने यहां की समस्या दूर नहीं की। इसी विधानसभा क्षेत्र के मिढ़ाकुर कस्बे में भी चुप्पी का यही आलम है। मेडिकल स्टोर संचालक कृष्णवीर सिंह तो ग्रेजुएट होने के बावजूद क्षेत्र के विधायक का नाम नहीं बता पाते।
मिढ़ाकुर से आगे बढ़ते ही बड़ौता गांव से फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र शुरू है। नगला खुर्रा में राजवीर सिंह मिलते हैं, जिनके पास कोई काम नहीं है। अमर सिंह की वकालत करते हुए कहते हैं ऊंची पहुंच वाला आदमी है, यहां काम धंधा लाएगा। अमर सिंह के लिए चार को अकोला में अजित सिंह आने वाले हैं, जबकि दस अप्रैल से जयाप्रदा भी यहां रहेंगी। किरावली में पहुंचने पर 22 वर्ष के अमित कुमार से बात हुई तो उनकी कोई सियासी जिज्ञासा सामने नहीं आयी। फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजा की ओर प्रवेश करने से पहले दायीं ओर विधानसभा के पूर्व भाजपा प्रत्याशी जितेन्द्र फौजदार का घर है। वह अपने घर पर मिलते हैं। चुनाव के मौसम में घर पर मौजूदगी? सवाल उन्हें चुभता है, पर मन के गुबार को सहजता से दबा जाते हैं। आरएसएस से जुड़े थान सिंह शाखा लगाने में तो बेहद सक्रिय हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के नाम पर कुछ नहीं बोलते। चुरियारी गांव के शिक्षक तारेश शर्मा से बात हुई तो क्षेत्र की कई स्याह तस्वीरें उभर आयीं। पत्थरों की खदान पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगा देने से पचास हजार मजदूर बेकार हो गए। चक्की पाट का धंधा बंद होने लगा और ईट भट्ठे के काम में भी रुकावट आ गयी। बेरोजगारी ने चंबल के बीहड़ों में अपहरण के धंधे को फिर बढ़ावा दिया।
बाह विधानसभा क्षेत्र के बीहड़ों में पकड़ लायी जाने लगी और राजस्थान के अपराधी गिरोह पकड़ पर अपना कब्जा जमा फिरौती वसूल करते रहे। बाह क्षेत्र के बिजौली गांव के रामराज सिंह कहते हैं कि यह तो सरकार की विफलता का सबसे बड़ा नमूना है।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो इधर सबकी निगाहें थीं। बटेश्वर से उनका लगाव था। इलाके में दिन में भी सन्नाटे का माहौल रहता है। खासतौर से पिनाहट क्षेत्र में तो शाम ढलने के बाद लोग अपने घरों में हो जाते हैं। सक्रिय राजनीति से तौबा कर चुके कप्तान सिंह चाहर कहते हैं कि फतेहपुर सीकरी में बड़े-बड़े दिग्गजों ने दांव आजमाए हैं पर अब जनता की कसौटी पर लंबे समय तक साथ निभाने वाला नेता ही खरा उतरेगा।
खेरागढ़ क्षेत्र में परमार ठाकुरों के धनीना, सिंगायच, जगनेर, तांतपुर, कुमावत और बसई जगनेर जैसे कुछ गांव हैं, जहां सोच-समझकर निर्णय लेने की बात हो रही है। वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि अभी से हम क्या बताएं कि किसके पक्ष में हैं, पर कागारोल में मुस्लिम बहुल आबादी में साफ संकेत मिलता है कि मोदी की लहर कम करने वाला उम्मीदवार ही उनकी पसंद होगा। कागारोल से फतेहपुर सीकरी 21 किलोमीटर है और रास्ते में पडऩे वाले लोगों की बिजली-पानी जैसी शाश्वत समस्याएं हैं। राजस्थान के सीमावर्ती गांवों में एक छोटी नहर बहाने की मांग चल रही है। दूरा गांव कस्बाई संस्कृति की ओर है। यह इलाका चाहरवाटी का है जो जाट बहुल है। यहीं पर दूरा और बहा गांव के लोग डा. हाकिम सिंह के दवाखाने के बाहर बैठकर ताश खेलते मिलते हैं। रामप्रसाद चाहर, जितेन्द्र चाहर व गोविन्द सिंह समेत कई अपनी मंशा साफ कर देते हैं। कहते हैं कि अमर सिंह या बाबूलाल चौधरी को वोट देना है। पर अभी तय नहीं किया कि किसे वोट देना है, किसको देना है हम पंचायत में तय करेंगे।
दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
भाजपा उम्मीदवार चौधरी बाबूलाल जाट हैं, जबकि कांग्रेस समर्थित रालोद उम्मीदवार अमर सिंह के लिए जाटों के सबसे बड़े नेता चौधरी अजित सिंह की प्रतिष्ठा लगी है। रानी पक्षालिका सिंह और अमर सिंह ठाकुर उम्मीदवार हैं। सीमा उपाध्याय के साथ जाटव और ब्राह्मण के साथ उनके पति पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की ताकत है।
फतेहपुर सीकरी के पांच विधानसभा क्षेत्रों में चार सीटें बसपा के कब्जे में हैं। सिर्फ बाह से राजा महेंद्र अरिदमन सिंह सपा के टिकट पर जीते हैं, जो पत्नी पक्षालिका के बहाने खुद समर में जूझ रहे हैं। पक्षालिका खेरागढ़ से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं।
प्रमुख उम्मीदवार
1. चौधरी बाबूलाल - भाजपा
2. सीमा उपाध्याय - बसपा
3. अमर सिंह - राष्ट्रीय लोकदल
4. पक्षालिका सिंह- सपा
सम्बंधित विधानसभा क्षेत्र और प्रतिनिधित्व
1.आगरा ग्रामीण - बसपा
2.फतेहपुर सीकरी-बसपा
3.खैरागढ़ - बसपा
4.फतेहाबाद-बसपा
5.बाह- सपा
2009 का चुनाव परिणाम
प्रत्याशी -- दल -- मिले मत
सीमा उपाध्याय- बसपा-208972
राजबब्बर- कांग्रेस - 198882
महेंद्र अरिदमन-भाजपा-153973
रघुराज सिंह शाक्य-सपा-109138
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