नई दिल्ली। सीबीआइ ने रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की जांच से इनकार कर दिया है। एक निजी चैनल के स्टिंग आपरेशन में दो इंस्पेक्टर समेत सात पुलिस कर्मियों को रिश्वत लेते हुए दिखाए जाने के बाद गृह मंत्रालय ने सीबीआइ को पूरे मामले की जांच करने को कहा था।
माना जा रहा है कि उस समय अरविंद केजरीवाल सरकार के अधीन आने वाले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो [एसीबी) की जांच के बचाने के लिए सीबीआइ को मामला सौंपा गया था। लेकिन केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद बदली परिस्थिति में सीबीआइ ने केस दिल्ली पुलिस को वापस लौटा दिया है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय को लिखित रूप में केस नहीं लेने के बारे में बता दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह खुला केस है और आरोपी पुलिसकर्मी कैमरे पर पैसे लेते हुए साफ देखे जा सकते हैं। इसकी जांच स्थानीय पुलिस में आसानी से की जा सकती है। जाहिर है सीबीआइ के इनकार के बाद अब दिल्ली पुलिस ही पूरे मामले की जांच करेगी।
इसके साथ ही सीबीआइ ने अरुणाचल प्रदेश के छात्र नीडो तानियम की मौत की जांच हाथ में नहीं लेना का मन बना लिया है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस केस की जांच नहीं लेने का फैसला लिया जा चुका है, लेकिन अभी तक औपचारिक रुप से मना नहीं किया गया है। उनके अनुसार अगले कुछ दिनों में इस संबंध में गृह मंत्रलय और दिल्ली पुलिस को जानकारी दे दी जाएगी। नीडो तानियम हत्या मामले में आरोपी फरमान, सुंदर सिंह, पवन फरमाणिया और सन्नी उप्पल को मंगलवार को साकेत कोर्ट में पेश किया गया। महानगर दंडाधिकारी भावना कालिया ने चारों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि को 11 मार्च तक के लिए बढ़ाई है। 29 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के विधायक के बेटे नीडो तानियम का लाजपत नगर में कुछ दुकानदारों से झगड़ा हो गया था। दुकानदारों की पिटाई से अगले दिन नीडो की मौत हो गई थी।
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