लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां के निजी सचिवों की बगावत का शांत पड़ा 'जिन्न' फिर बाहर आ गया है। मंत्री ने सचिवालय प्रशासन को पत्र लिखकर सवाल किया है कि फाइलों व दफ्तर को लावारिस छोड़कर भाग निकले निजी और अपर सचिवों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। आजम ने यह भी पूछा है कि उनके हज अधिकारी तनवीर अहमद सिद्दीकी द्वारा उनके निजी सचिव के रूप में किया जा रहा कार्य क्या वैधानिक हैं?
सचिव सचिवालय प्रशासन को लिखे पत्र में आजम ने कहा है कि सरकार जनता के चुने प्रतिनिधियों से चलती है, सचिवालय प्रशासन के कर्मचारियों से नहीं। निजी व अपर निजी सचिवों पर कार्रवाई नहीं होना खेद का विषय है। इससे शासन व सरकार की छवि खराब हुई है। दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से संवैधानिक विषमता का खतरा लगातार हो गया है।
आजम ने सचिव सचिवालय प्रशासन से यह भी लिखित रूप से बताने को कहा है कि उनके कार्यालय में कार्यवाहक निजी सचिव तनवीर अहमद द्वारा किए जा रहे कार्यो की वैधानिक स्थिति क्या है? जब तक भगोड़े कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती या मेरे कार्यालय में सचिवालय का नया स्टाफ तैनात नहीं होता, तब तक कार्यवाहक निजी सचिव का कार्य वैधानिक दृष्टि से उपयुक्त रहेगा? ऐसे आधा दर्जन सवाल उन्होंने पूछे हैं।
गौरतलब है कि आजम पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाते हुए उनके निजी व अपर निजी सचिव ने काम करने से इन्कार कर दिया था। सचिवालय कर्मचारी भी लामबंद हो गए थे। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी व सचिव सचिवालय प्रशासन अरविन्द नारायण मिश्र ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कर दिया था, लेकिन सचिवालय का कोई निजी सचिव आजम के साथ कार्य करने को राजी नहीं हुआ। तब से हज अधिकारी तनवीर अहमद सिद्दीकी उनके निजी सचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं।
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