सोमवार, फ़रवरी 24, 2014

देश में करोड़ों डॉलर भेजने वाले भारतीयों की मौत पर खामोशी

नई दिल्ली। देश में करोड़ों रुपये भेजने वाले भारतीय कर्मचारियों की हालत पर सवाल उठने लगे हैं। खाड़ी देशों में मौजूद भारतीय दूतावास से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन सालों के दौरान 700 से ज्यादा भारतीय मजदूरों की मौत हो गई है। मौत की वजह को प्राकृतिक कारण बताया जाता है लेकिन अधिकांश मजदूरों की मौत काम करते वक्त हो रही हैं।
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कतर में साल 2022 के फुटबॉल विश्व कप के लिए बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। यहां उन मजदूरों से काम लिया जाता है जो विदेशों से आते हैं। कतर की कंपनियां इन मजदूरों को सीधे भर्ती करने की बजाय अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से उनकी भर्ती करती हैं। किसी दुर्घटना की स्थिति में कतर की ये कंपनियां हर तरह की जिम्मेदारी से बची रहती हैं।
पिछले तीन वर्षो में विदेशों में बसे इन भारतीयों ने अपनी मेहनत और परिश्रम की कमाई से लगभग 190 अरब डॉलर की रकम भारत भेजी है। इसमें से 80 अरब डॉलर केवल खाड़ी देशों से आया। यह उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष बाहर काम करने वाले भारतीयों की तरफ से भेजी जाने वाली रकम 75 अरब डॉलर पार कर जाएगी। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा उन भारतीय निवासियों का होगा जो अरब देशों में काम कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार संघ संगठन (आइटीयूसी) जो कि मजदूर कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत है, उसके महासचिव ने शरण बूर्रो ने कहा, 'कतर मजदूरों का देश है जहां 14 लाख विदेशी लोग काम करते हैं। इन मजदूरों के दम पर कतर खुद को विकसित देश बनाने में लगा हुआ है।' निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले ज्यादातर मज़दूर तो अकसर अमानवीय परिस्थितियों में काम एक अन्य अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक, यहां सवाल इस बात पर खड़ा हो रहा है कि करोड़ों-अरबों रुपये भेजने वाले इन भारतीयों की सुरक्षा कैसे हो और भारत की सरकार इस संबंध में कुछ कर क्यों नहीं रही। भारत के लाखों नागरिक सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर में वर्षो से अपने हुनर और अपनी मेहनत से इन देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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