शनिवार, जनवरी 11, 2014

'आप' की सरकार के जनता दरबार में अफरा-तफरी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की एक नई पहल भारी भीड़ के कारण अफरा-तफरी की भेंट चढ़ गई। सीधे जनता से मिलकर उनकी समस्याएं हल करने के लिए शनिवार की सुबह लगाया गया सरकार का जनता दरबार अपने मकसद में फेल हो गया। जनता दरबार में पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भगदड़ की आशंका के कारण दरबार छोड़कर जाना पड़ा। भीड़ का आलम यह रहा कि लोगों ने सीएम से मिलने के लिए बैरिकेड तोड़ दिए। दरबार में आए गुस्साए कुछ लोगों ने वहां नारेबाजी भी की तो कुछ लोग तो वहां धरने पर भी बैठ गए। सोमवार से जारी रहने वाले इस दरबार को अब 2-3 दिनों के लिए टाल दिया गया है।

सरकार के मुख्यालय दिल्ली सचिवालय पर शनिवार सुबह जनता दरबार लगाया। इस दरबार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी कैबिनेट के सभी सदस्य मौजूद थे। लेकिन, सरकार का यह पहला दरबार भारी भीड़ के कारण अफरा-तफरी की भेंट चढ़ गया। पुलिस की लाख सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भारी भीड़ ने वहां पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। सचिवालय के बाहर इतने अधिक लोग पहुंच गए कि न तो पुलिस वाले और न ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें साध पाए। दरबार में कई बार लोगों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई और लोग सरकार के खिलाफ गुस्सा करते नजर आए। हजारों लोगों अपनी समस्याएं सुनाए बिना ही लौटना पड़ा।

दरबार में सीएम केजरीवाल समय पर पहुंच गए थे। दरबार में आई भारी भीड़ को समझाने के लिए उन्होंने बैरिकेड पर चढ़कर लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ पर नियंत्रण न होते देखकर वह करीब आधे घंटे के बाद ही दरबार छोड़कर चले गए। बाद में उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी एक-एक कर दरबार से निकल गए।

बाद में सीएम अरविंद केजरीवाल ने माना कि सरकार के जनता दरबार में व्यवस्था की कमी रही। उन्होंने कहा कि अगर वह दरबार छोड़कर नहीं जाते तो वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती, क्योंकि दरबार में लोग बेकाबू हो गए थे। उन्होंने कहा कि सोमवार से जारी रहने वाले इस दरबार को 2-3 दिनों के लिए टाल दिया गया है। पहले हम सिस्टम को दुरुस्त करेंगे, उसके बाद दरबार की नई तिथि तय करेंगे। सीएम के अनुसार दरबार में सबसे अधिक सरकारी लोग अपनी समस्याओं को लेकर आए थे। उसके बाद सबसे अधिक समस्याएं पानी और बिजली से जुड़ी थीं।

वैसे तो दिल्ली में इस तरह के जनता दरबार लगाने की परंपरा पहले से है। पिछली कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री और उनके मंत्री अपने निवासों पर इस तरह के दरबार लगाते रहे हैं। लेकिन, ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार के मुख्यालय दिल्ली सचिवालय के बाहर पूरी सरकार दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनने का मन बनाया। सुबह 9.30 से 11 बजे तक चलने वाले इस जनता दरबार को सुचारु चलाने के लिए वहां करीब एक हजार पुलिस वालों के अलावा पुलिस के करीब 5 दर्जन आला अधिकारी भी मौजूद थे। दरबार में लोगों के लिए करीब एक हजार कुर्सियां लगाई गई थीं। लेकिन, वहां पहुंचे लोगों की संख्या इससे कई गुणा अधिक थी। लोगों के मार्गदर्शन के लिए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी वहां भारी संख्या में मौजूद थे, लेकिन भारी भीड़ के कारण वहां कई बार अफरा-तफरी का आलम देखने को मिला।

दरबार में लोगों को सुनने के लिए हेल्प डेस्क बनाई गई थी, लेकिन भारी भीड़ के कारण वहां व्यवस्था बिगड़ गई। सबसे अधिक भीड़ सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने लगी थी। उनसे मिलने वाले लोगों की लाइन आधा किलोमीटर से भी अधिक लंबी हो गई थी। दरबार में अपना दुखड़ा सुनाने के अलावा दर्शकों की संख्या भी भारी तादाद में वहां पहुंच गई। भारी भीड़ के कारण महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। भीड़ को काबू करने के लिए आप कार्यकर्ता बार-बार लोगों से व्यवस्था बनाने की गुजारिश कर रहे थे। लेकिन, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। ऐसा लग रहा था कि दरबार में पहुंचा हर व्यक्ति मुख्यमंत्री केजरीवाल से ही मिलने आया था। दरबार में सरकार का काफिला सिमटने के बाद वहां समस्याएं लेकर पहुंचे लोगों ने नारेबाजी की और कुछ लोगों ने तो सरकार के खिलाफ धरना भी दे दिया।

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