सोमवार, दिसंबर 09, 2013

तीन राज्यों में भाजपा का धमाल, दिल्ली में सस्पेंश बरकरार

नई दिल्ली (VT NEWS)। आम चुनाव के सेमीफाइनल में जनता ने कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया है। चार राज्यों के चुनाव नतीजों में कांग्रेस का हर जगह से सूपड़ा साफ हो गया है। भाजपा और नरेंद्र मोदी की हवा के सामने कांग्रेस कहीं नहीं टिक पाई। भाजपा की सत्ता वाले मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान ने भारी अंतर तो छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह सांस रोक देने वाले मुकाबले में जीत की हैट्रिक बनाने में कामयाब रहे। वहीं, राजस्थान में वसुंधरा राजे ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर रेगिस्तान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को रौंदकर रख दिया।
मगर इन चुनावों का सबसे बड़ा उलटफेर अन्ना आंदोलन की उपज और एक साल पहले अस्तित्व में आई अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने किया। भाजपा की आंधी को केजरीवाल की जादुई झाड़ू ने दिल्ली में थाम लिया और उसे बहुमत के आंकड़े से पहले रोक दिया। इतना ही नहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं तीन बार से अपराजेय शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से केजरीवाल ने भारी मतों के अंतर से हराकर इन चुनावों का सबसे बड़ा धमाका किया।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि जनता ने कांग्रेस के खिलाफ अपने आक्रोश का बटन दबा दिया है। आम चुनावों से ठीक पहले आए ये नतीजे संप्रग सरकार की उल्टी गिनती शुरू होने के स्पष्ट संकेत के रूप में देखे जा रहे हैं। गरीबों व अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं का अंबार और लोकलुभावन घोषणाओं की लंबी फेहरिस्त, कुछ भी कांग्रेस के काम न आया। महंगाई, भ्रष्टाचार, सरकार की अकर्मण्यता, उनके नेताओं का अहंकार कांग्रेस को हर जगह ले डूबा।
इन चुनावों के बाद जहां देश की सियासत में मोदी का कद और बढ़ गया, वहीं उनके मुकाबले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हर क्षेत्र में कमतर साबित हुए। सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाले नतीजे दिल्ली के रहे। पूरे देश के लोगों के मिजाज का प्रतिनिधित्व करने वाली दिल्ली ने स्पष्ट परिवर्तन का संदेश दिया है।
दिल्ली में फ्लाईओवर और सड़कों व रोशनी की चकाचौंध से विकास के नारे पर चौथी बार सत्ता में आने का दावा कर रहीं शीला दीक्षित की सरकार को जनता ने जमींदोज कर दिया। कांग्रेस दहाई का आंकड़ा नहीं पार कर सकी। दिल्ली में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में तो उभरी, लेकिन जनता ने आप को उसके बहुत करीब पहुंचा दिया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह तक सभी ने आप की धमक को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी नई राजनीति से परंपरागत सियासत को कड़ा संदेश दिया है।
दिल्ली के बाद सबसे कांटे का मुकाबला छत्तीसगढ़ में रहा। जहां तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे डॉ. रमन सिंह अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी भावनाओं से लड़कर किसी तरह बहुमत पाने में कामयाब रहे। दिल्ली की तरह यहां पर भी उन्हें मोदी को झोंकना पड़ा। राजस्थान, जहां कांग्रेस को दोबारा सत्ता में वापसी कर इतिहास बनाने की उम्मीद थी, वहां उससे सबसे करारा झटका लगा। इतिहास तो बना, लेकिन उसकी सबसे बड़ी हार और रेगिस्तान में भाजपा की सबसे बड़ी जीत का।
कांग्रेस के लिए दिल्ली के बाद सबसे शर्मनाक प्रदर्शन यहीं रहा कि वह 199 सीटों में 21-22 पर सिमट कर रह गई। यहां पर भी मोदी ही भाजपा के ट्रंप कार्ड थे। अकेला राज्य मध्य प्रदेश ही था जहां, मोदी से ज्यादा फैक्टर भाजपा के लिए खुद शिवराज चौहान थे। चौहान ने पिछले चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवा लिया।
'निश्चित तौर पर जनता कांग्रेस से खुश नहीं है वरना वह ऐसा फैसला नहीं देती। इसके बावजूद पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए संकल्प लेती है। सही समय पर वह अपने पीएम पद के प्रत्याशी का एलान भी करेगी।'
- सोनिया गांधी
'ये नतीजे कांग्रेस और भाजपा जैसी स्थापित पार्टियों के लिए एक संदेश है कि वे अपनी राजनीति का तरीका बदलें। अगर वे नहीं सुधरे तो लोग उन्हें उखाड़ फेकेंगे।'
- अरविंद केजरीवाल
'भाजपा ने एक राज्य में जितनी सीटें जीती हैं कांग्रेस की चार राज्यों की कुल सीटें भी उसकी बराबरी नहीं कर पाई। मैं राजनाथ सिंह, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसके लिए बधाई देता हूं।'
- नरेंद्र मोदी
किसको कितनी सीटें
दिल्ली : 70
पार्टी नतीजे
भाजपा-अकाली 32 (+9)
आप 28 (-)
कांग्रेस 8(-35 )
अन्य 2 (-2)
राजस्थान : 200*
पार्टी नतीजे
भाजपा 162 (+84)
कांग्रेस 21 (-75)
अन्य 16(-10)
चुनाव हुए 199 सीटों पर
मध्यप्रदेश : 230
पार्टी नतीजे
भाजपा 165 (+20)
कांग्रेस 58 (-13)
अन्य 7 (-9)
छत्तीसगढ़ : 90
पार्टी नतीजे
भाजपा 90 (-1)
कांग्रेस 39 (+1)
अन्य 2 (0)

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