मंगलवार, अक्टूबर 22, 2013

पहली विधानसभा चुनाव जैसा मतदान है चुनौती

नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान फीसद बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग विशेष प्रयास कर रहा है। इसके लिए वैज्ञानिक ढंग से सर्वे कराने के बाद विशेष जागरूकता अभियान चलाने के साथ मतदान करने आने वालों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। आयोग को उम्मीद है कि इन प्रयासों के बेहतर नतीजे आएंगे, लेकिन अभी भी उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती 1993 के मतदान फीसद तक पहुंचना है।
वर्ष 1993 में जब दिल्ली में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे तो लगभग 62 फीसद लोगों ने मतदान किया था। दूसरे विधानसभा चुनाव में मात्र 49 प्रतिशत लोगों ने वोट दिए। हालांकि, उसके बाद से स्थिति कुछ सुधरी है, लेकिन दोबारा फिर कभी पहले विधानसभा चुनाव के बराबर मतदान नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव के मतदान फीसद के आंकड़े तो और भी निराश करने वाले हैं। हालांकि, पिछले विधानसभा, लोकसभा तथा नगर निगम चुनाव के मतदान फीसद से कुछ उम्मीद जरूर बंधती है। वर्ष 1993 के बाद विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मतदान वर्ष 2008 में 57.58 फीसद हुआ था। इसी तरह से पिछले चार लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा वर्ष 2009 में 52.3 फीसद तथा पिछले चार नगर निगम चुनावों में सबसे ज्यादा 58 फीसद वोट पड़े थे।
अधिकारियों का कहना है कि मतदान फीसद बढ़ाने के लिए इस बार ज्यादा वैज्ञानिक ढंग से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसे आयोग कितनी गंभीरता से ले रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में अलग से मतदाता जागरूकता पर्यवेक्षकों की तैनाती की जा रही है। जो मतदाता जागरूकता कार्यक्रम तथा मतदाताओं की परेशानी को दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदम पर निगरानी रखेगा।

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