

जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय और वी गोपाला गौडा की खंडपीठ ने अपने फैसले में एमआरआई अस्पताल और तीन डॉक्टरों को आठ हफ्तों के अंदर मुआवजे की रकम देने को कहा है। गौरतलब है कि 1998 में एमआरआई अस्पताल में एक एनआरआई डॉ. साहा की पत्नी अनुराधा की मौत हो गई थी। इससे पहले राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में 1.73 करोड़ रुपये डॉ. साहा को मुआवजे के तौर पर अस्पताल को देने को कहा था।
दरअसल अमेरिका में शादी के बाद अनुराधा छुट्टियों में मार्च 1988 में अपने शहर कोलकाता आई थीं। यहां उन्हें स्किन डिजीज हो गई। इलाज के लिए वह डॉक्टर सुकुमार मुखर्जी से मिलीं। डॉ. ने कोई दवा देने की बजाय उन्हें आराम करने के लिए कहा। इस दौरान उनकी समस्या बढ़ने लगी। डॉक्टर मुखर्जी ने उन्हें 80 एमजी का डेपोमेड्रॉल इंजेक्शन दिन में दो बार लगाने के लिए कहा। इस दौरान अनुराधा की हालत बिगड़ती गई और उन्हें डॉ. मुखर्जी के सुपरविजन में एमआरआई में भर्ती करा दिया गया। दो और डॉक्टर उनका इलाज करने लगे। अनुराधा की तबीयत और बिगड़ती गई, तब उन्हें मुंबई के हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। बाद में उनके पति ने कोलकाता के अस्पताल और तीनों डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।
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