शुक्रवार, सितंबर 20, 2013

सीबीआइ के चंगुल से मुक्त हुए मुलायम

नई दिल्ली सीबीआइ से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को बड़ी राहत मिली है। जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के केस में छह साल पुरानी प्रारंभिक जांच को बंद कर दिया है। सीबीआइ के अनुसार अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की संपत्ति को बाहर करने और आय-व्यय का नए सिरे से आकलन करने के बाद मुलायम के खिलाफ मामला नहीं बनता है। सीबीआइ अगले हफ्ते इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेगी। 2007 में सुप्रीम कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट में मुलायम और उनके परिवार पर 2.63 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति बताने के अपने पुराने दावे को सीबीआइ ने खुद ही गलत ठहरा दिया है।
सीबीआइ के अनुसार 2007 की रिपोर्ट को बनाते समय मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार को सफाई पेश करने का मौका नहीं दिया गया था। इस कारण उनकी असली संपत्तियों का गलत आकलन हो गया। 2007 में मुलायम सिंह द्वारा लिए गए बहुत सारे एडवांस को उनकी संपत्ति और खर्च दोनों शामिल कर दिया गया। इससे उनकी आय दोगुनी बढ़ गई थी।
मसलन सैफई में घर बनाने पर एक करोड़ 41 लाख रुपये का खर्च दिखाया गया था, लेकिन नए तथ्यों के मुताबिक इसे बनाने का 90 फीसद खर्च उनके पिता सुघर सिंह यादव ने उठाया था। मुलायम व उनके परिवार को रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट और लोन को सही पाते हुए अब सीबीआइ ने इसे उनकी आय से बाहर कर दिया।
मुलायम को सबसे बड़ी राहत सपा और राम मनोहर लोहिया ट्रस्ट के नाम पर खरीदी संपत्तियों को भी उनकी संपत्ति से बाहर करने से मिली है। इतना ही नहीं, साधना द्वारा अपने बेटे प्रतीक यादव (उस समय नाबालिग) के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों को सीबीआइ ने मुलायम की संपत्ति से निकाल दिया है। वैसे सीबीआइ ने मुलायम सिंह यादव की आय में अखिलेश यादव की विदेश में पढ़ाई और चुनाव में किए गए खर्च को भी शामिल किया। लेकिन नए आकलन में मुलायम की संपत्ति आय से अधिक नहीं ठहरी।

कोई टिप्पणी नहीं: