बुधवार, सितंबर 11, 2013

उत्तराखंड: तबाही के 86 दिन बाद केदारनाथ में शुरू हुई पूजा

केदारनाथ  बार-बार मौसम के बदलते मिजाज के बीच केदारनाथ धाम में 86 दिन बाद पारंपरिक तरीके से भोले बाबा की पूजा शुरू कर दी गई। इससे पहले केदारनाथ के रावल के सानिध्य में मुख्य पुजारी, तीर्थ पुरोहित, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में मंदिर का शुद्धिकरण भी किया गया। इसबीच मौसम खुलने के बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा देहरादून से केदारनाथ के लिए रवाना हो गए हैं।

16-17 जून की हुई जलप्रलय के बाद पूरी केदारघाटी आपदा की भेंट चढ़ गई थी। तभी से केदारनाथ में पूजा बंद कर उखीमठ में केदारनाथ के गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में नियमित पूजा की जा रही थी। फिलहाल केदनारनाथ पहुंचने के लिए पैदल मार्ग भी तैयार नहीं है। ऐसे में मंदिर में सीमित लोगों के की उपस्थिति में ही पूजा का कार्यक्रम तय किया गया। हालांकि अब प्रशासन ने सोनप्रयाग से आगे केदारनाथ जाने के लिए आम भक्तों के लिए लगी रोक को हटा दिया। अब यदि कोई केदारनाथ जाएगा, तो उसे उसी दिन वापस लौटना होगा। उसकी जिम्मेदारी भी शासन व प्रशासन की नहीं होगी।
केदारनाथ में गत रात से लगातार हो रही थी। सुबह सात बजे के करीब ही मौसम खुलने लगा। इस बीच तय समय में सुबह सात बजे रावल भीमा शंकर लिंग, मुख्य पुजारी बागेश लिंग के साथ ही वेदपाठियों, तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों ने हवन व मंत्रोच्चारण के साथ ही शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू की। यह प्रक्रिया सुबह आठ बजे तक चली। इसके बाद पारंपरिक तरीके से गर्भ गृह में जलाभिषेक से साथ ही मंदिर में पूजा शुरू कर दी गई। हालांकि उखीमठ में पूजा पहले से चल रही थी, ऐसे में उसी क्रम में पूजा को आगे बढ़ाया गया। पूजा के लिए केदारनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था। मंदिर के भीतर पूजा के बाद, बाहर नंदी की पूजा के साथ ही मंदिर के पीछे दिव्य शिला की भी पूजा की गई। जलप्रलय के दौरान मंदिर के पीछे आई इस विशाल शिला से ही पानी का रुख मुड़ गया था और मंदिर को कम नुकसान पहुंचा।
कपाट खुलने के अवसर पर कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत, मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, उखीमठ विधायक शैलारानी, मंदिर समिति की सदस्य मधु भंट्ट, तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, महेश बगवाड़ी समेत करीब डेढ़ सौ लोग शामिल थे।
हेलीपैड आठ किमी दूर
केदारनाथ मंदिर से आठ किलोमीटर दूर अस्थायी हेलीपैड बनाया गया है, यहां से मंदिर तक के रास्ते में पुलिस और पीएसी के सत्तर जवान तैनात किए गए हैं।
अस्थायी अस्पताल
केदारनाथ में अस्थायी अस्पताल बनाया गया है, इसमें छह डाक्टरों की तैनाती की गई है।

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